बिहार सरकार का एलान, प्रवासी मजदूरों से नहीं लिया जाएगा ट्रेन का किराया

पटना.लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके गृह राज्य लाने के लिए चलाई गयी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के किराए को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है. दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों से ट्रेन किराया वसूलने के विवाद के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि आने वाले छात्रों और मजदूरों से किराया नहीं वसूला जा रहा है. उन्होंने कहा कि रेलवे का किराया राज्य सरकार वहन करेगी. नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा कि विशेष ट्रेनों से लौट रहे विद्यार्थियों से किराया नहीं लिया जाएगा जबकि प्रवासी मजदूरों को लौटने के दौरान लगे किराये का पैसा 21 दिनों का पृथक-वास पूरा करने के बाद लौटाया जाएगा एवं अन्य सहायता भी दी जाएगी. मुख्यमंत्री ने सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि "बाहर से आने वाले छात्रों को किसी प्रकार का किराया नहीं देना है. किराया बिहार सरकार वहन कर रही है." नीतीश ने अपने संदेश में केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि "हमलोगों की मांग प्रारंभ से ही थी कि बाहर फंसे लोगों को ट्रेनों से ही लाया जा सकता है. केंद्र सरकार ने हमारा सुझाव माना." मुख्यमंत्री ने मजदूरों का जिक्र करते हुए कहा कि "बिहार के जो भी लोग बाहर से आ रहे हैं, और वे जिस स्टेशन पर आएंगे, वहां से उन्हें प्रखंड मुख्यालय तक ले जाया जाएगा. स्टेशनों पर उनके लिए व्यवस्था की गई है." उन्होंने कहा कि "बाहर से आए छात्र-मजदूर 21 दिन बाद क्वारंटीन सेंटर से जब जाने लगेंगे तो उन्हें आने में होने वाले खर्च वहन के तौर पर तय न्यूनतम राशि 1000 रुपये और उसके अलावा 500 रुपये अलग से देकर विदा किया जाएगा." मुख्यमंत्री ने कोरोना से भयभीत नहीं होने, बल्कि सजग रहने की अपील करते हुए कहा कि "हमारी सरकार का विश्वास काम करने में है और हमलोग काम कर रहे हैं." उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बिहार में ज्यादा परेशानी नहीं है, यहां के लोगों में जागरूकता है जिस कारण कोराना वायरस का कम प्रभाव पड़ा है.

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