कांग्रेस से नाराजगी या CM पद की लालच, नीतीश के पलटी मारने के पीछे क्या हैं मायने..

27 Jan, 2024 12:07 PM | Saroj Kumar 522

बिहार में एक बार सियासी भूचाल आया हुआ है, नितीश कुमार शायद नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के पद के लिए शपथ लेने को तैयार है। 28 फरवरी को नीतीश कुमार के बीजेपी की मदद से फिर सीएम बनने की अटकलें तेज हैं। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार ने पाला बदला हो। जानकारी के अनुसार पिछले 9 सालों में वह तीन बार इस तरह पाला बदल सरकार बना चुके हैं। इनता ही नहीं नीतीश कुमार साल 2022 में 8 वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री भी हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उनका यह कदम कांग्रेस या I.N.D.I.A. गठबंधन से नाराजगी है या फिर CM बने रहने की उनकी लालसा। आइए समझते हैं बिहार में बदलते पूरे घटनाक्रम को।
जदयू की लोकसभा सीटों पर है नजर


राजनीतिक जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार कांग्रेस से नाराज हैं। इसकी बड़ी वजह है कि उन्हें I.N.D.I.A. गठबंधन में संयोजक पद का नहीं देना। इसके अलावा जदयू की बिहार की लोकसभा सीटों पर नजर है। इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग में हो रही देरी से वह नाराज थे। यहां आपको बता दें कि जदयू के पास इस समय देशभर की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 16 सीटों पर अपनी पार्टी के जीते हुए सांसद हैं, जिन्हें पार्टी बढ़ाना चाहती है।
इंडिया गठबंधन को मजबूत करने पर सवाल 


नीतिश कुमार ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की Bharat Jodo Nyay Yatra पर भी सवाल खड़ा किया था। नीतीश कुमार ने कहा था कि कांग्रेस नेता इंडिया गठबंधन, सीट बंटवारे पर काम करने की बजाए न्याय यात्रा कर रहे हैं। जबकि उन्हें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों में इंडिया गठबंधन को और मजबूत करना चाहिए। बताया जाता है कि इंडिया गठबंधन नीतीश कुमार का ही ब्रेन चाइल्ड था।
सोशल मीडिया पर बढ़ी रार


बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने के बाद बिहार राजनीतिक में उस समय भूचाल आ गया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की सोशल मीडिया पर तारीफ की। इसके बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। इन ट्वीट में बिना किसी का नाम लिए विचाराधारा को लेकर कटाक्ष किया गया था। ट्वीट में उन्होंने कहा- समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है।’ रोहिणी आचार्य ने इन ट्वीट ने बिहार की राजनीति में आग में घी डालने का काम किया।

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