कोरोना वायरस शरीर में खून के थक्के जमाकर फेफड़ों को कर सकता है जाम

डबलिन । जानलेवा कोरोना वायरस के व्यवहार तो रोज दिन चौंकाने वाले नए-नए खुलासे हो रहे है। अब आयरलैंड के डॉक्टरों ने कोरोना वायरस के नए खतरे को लेकर आगाह किया है। डॉक्टरों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस शरीर में खून के थक्के जमाकर फेफड़ों को जाम कर सकता है। आयरलैंड के डाक्टरों द्वारा कोरोना पीड़ित 83 गंभीर मरीजों पर हुई स्टडी के दौरान वायरस का यह नया खतरा सामने आया है। डबलिन के सेंट जेम्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहना है कि यह नया वायरस फेफड़ों में करीब 100 छोटे-छोटे ब्लॉकेज बना देता है जिससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है और मरीज की मौत भी हो सकती है। शोधकर्ता प्रो. जेम्स ओ-डोनेल का कहना है कि कोविड-19 एक खास तरह के ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर (खून के थक्कों ) की वजह बनता है जो सीधे तौर पर सबसे पहले फेफड़ों पर हमला करता है। यह रिसर्च अमेरिकी विशेषज्ञों की एक हेल्थ रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कोरोना पीड़ितों की सर्वाधिक मौत की वजह शरीर में खून में थक्के जमना था। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों में भी ऐसा दिखा गया था। एक अन्य रिसर्च में यह सामने आया कि ऐसे मरीजों में अनियंत्रित रक्त के थक्के हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले भी बढ़ाते हैं। ब्रिटिश जर्नल ऑफ हिमेटोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, 83 गंभीर मरीजों में 81 फीसदी यूरोपियन, 12 फीसदी एशियाई, 6 फीसदी अफ्रीकन और एक फीसदी स्पेनिश हैं।

इन मरीजों की उम्र औसतन 64 साल थी और करीब 80 फीसदी पहले से किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे थे। इनमें 60 फीसदी रिकवर हुए थे और 15.7 फीसदी मरीजों की मौत हो गई थी। मरीजों में रक्त के थक्के कितनी जल्दी जमते हैं इसके लिए शोधकर्ताओं ने डी-डाइमर नाम के प्रोटीन के स्तर को चेक किया। डी-डाइमर एक ऐसा प्रोटीन है जो अगर शरीर में ज्यादा होगा तो रक्त का थक्का जमने का खतरा उतना ही अधिक होगा। रिसर्च में शामिल मरीजों में डी-डाइमर सामान्य से अधिक मात्रा में मिला था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, मरीजों के फेफड़ों के असामान्य ब्लड क्लॉटिंग के मामले दिखे जो छोटे-छोटे थक्के जमने की वजह बने थे। ऐसे मरीजों को सीधे आईसीयू में भर्ती किया गया। शोधकर्ता प्रो. जेम्स ओ-डोनेल के मुताबिक, निमोनिया भी फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन कोरोना के मरीजों में जिस तरह का संक्रमण फेफड़ों में दिख रहा है वैसा दूसरे संक्रमण में नहीं देखा गया। फेफड़ों में जमने वाले इन छोटे-छोटे थक्कों को समझने की कोशिश की जा रही है ताकि बेहतर इलाज किया जा सके। इसके मामले उन मरीजों में ज्यादा दिखे हैं जो पहले से हाई-रिस्क जोन में हैं यानी जिनकी उम्र अधिक है और जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी हैं।

अन्य समाचार