मोनोपॉज या रजोनिवृत्ति कोई बीमारी या विकार नहीं है और ना ही इसके लिए कोई उपचार की आवश्यकता है। ज्यादातर महिलाओं को 45 से 55 की उम्र के आस-पास यह समस्या होती है। मोनोपॉज महिला शरीर में होने वाला एक कुदरती बदलाव है लेकिन इससे गुजरना मुश्किल भरा हो सकता है। अध्ययनों में यह पाया गया है कि रजोनिवृत्ति के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने में शारीरिक गतिविधियों से मदद मिल सकती है। आज हम आपको 3 ऐसे योगासन के बारे में बताएंगे, जो रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले समस्या को कम कर सकती है। आइए जानते हैं इन योगासनों के बारे में...
सुखासन सुखासन का अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक शांति का अनुभव होता है। इस आसन को योग की शुरुआत करने से पहले किया जाता है, जिससे सांस लेने की प्रक्रिया पर नियंत्रण किया जा सके। इस आसन को करने के लिए जमीन पर चटाई बिछा कर पालथी मारकर बैठ जाएं। आंखों को बंद करके अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें और गहरी सांस लें।
ताड़ासन ताड़ासन करने से श्वास सतुंलित रहती है और यह आपके पैरों को भी शक्ति प्रदान करता है। यह आसन मांसपेशियों को अवश्यक खिंचाव दे सकता है। इस आसान को करने के लिए सबसे पहले आप खड़े हो जाए। ध्यान रहे कि इस आसान को करते समय कमर और गर्दन झुकनी नहीं चाहिए। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर करें और धीरे-धीरे अंदर खीच लें। इस आसान को आप 2-4 मिनट तक करें और फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
सर्वांगसन रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं को डिप्रेशन की समस्या हो जाती है। यह आसन डिप्रेशन की समस्या के साथ-साथ हार्मोनल परिवर्तन के कारण होने वाले मूड स्विंग को कम करने में मदद करता है।सर्वांगसन को करने के लिए जमीन पर पीठ के बल सीधे होकर लेट जाएं। पैरों को आपस में जोड़े रखकर धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। कोहनियों को जमीन पर टिकाकर दोनों हाथों से कमर को पकड़ते हुए सहारा दें। कमर के ऊपर वाला पैरों का भाग सीधा रखें। सिर को जमीन पर ही टिकाए रखें। इस स्थिति में कम से कम एक मिनट तक रहें। धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए इस आसन को करने की समयावधि बढ़ायी जा सकती है।