13 अगस्त 1997 का दिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का काला दिन कहलाता है। इस दिन म्यूजिक कंपनी टी सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या कर दी गई थी। किसी फिल्मी हस्ती पर उस साल हुआ ये पहला हमला नहीं था। इसके एक पखवाड़ा पहले 31 जुलाई को ताड़देव के कामर्स सेंटर के सामने भी गोलीबारी हुई। कार में सवार हमलावरों ने राजीव राय नाम के फिल्म निर्देशक पर गोलियां चलाईं। राजीव एक्शन फिल्मों के निर्देशक थे तो तुरंत संभल गए। उनके अंगरक्षकों की जवाबी गोलीबारी में एक हमलावर घायल हुआ और पकड़ा गया। गुलशन कुमार की हत्या इसी हमले के नाकाम रहने की बौखलाहट थी और जिन राजीव राय पर ये कातिलाना हमला हुआ, उनकी बतौर निर्देशक पहली फिल्म युद्ध बाइस्कोप की आज की कड़ी की फिल्म है।
राजीव राय पर हमला हुआ था बॉबी देओल, मनीषा कोइराला और काजोल की सुपरहिट फिल्म गुप्त के रिलीज होने के ठीक बाद। गुप्त निर्देशक राजीव राय के करियर की आखिरी कामयाब फिल्म भी रही क्योंकि इसके बाद वह परिवार समेत लंदन भाग गए और दोबारा लौटे तो फिर कामयाबी उनसे दूर भाग गई। गुप्त से पहले राजीव ने मोहरा, विश्वात्मा, त्रिदेव और युद्ध जैसी सुपर डुपर हिट फिल्में बनाईं। 1985 से लेकर 1997 तक इन फिल्मों से राजीव राय के पिता गुलशन राय ने इतना पैसा कमाया था कि उनसे 10 करोड़ रुपये की राशि अंडरवर्ल्ड ने मांग ली थी। इसे देने से इंकार करने पर ही उनके बेटे पर गोली चली।गुलशन राय बंटवारे के बाद पाकिस्तान से बंबई आ बसे थे। फिल्म वितरण का काम उनका अच्छा चला तो उन्होंने फिल्में बनाने का भी फैसला लिया। पहली फिल्म बतौर निर्माता गुलशन राय ने मशहूर अभिनेता देव आनंद और प्राण को लेकर बनाई, जॉनी मेरा नाम। फिल्म के निर्देशक थे देव आनंद के भाई विजय आनंद। फिल्म सुपरहिट रही और गुलशन राय ने अगली तीन फिल्में बनाईं मशहूर निर्देशक यश चोपड़ा के साथ। देव आनंद के साथ बनाई उनकी फिल्म जोशीला तो खास कामयाब नहीं रही। लेकिन दीवार और त्रिशूल ने गुलशन राय पर नोटों की बारिश कर दी। दोनों में हिंदी सिनेमा के नए एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन थे हीरो और साथ में थी बड़े सितारों की लंबी फौज। त्रिशूल के बाद गुलशन राय ने सुभाष घई को निर्देशक लेकर एक और सुपर डुपर हिट फिल्म विधाता भी बनाई, जिसमें दिलीप कुमार, शम्मी कपूर, संजीव कुमार और संजय दत्त ने कमाल का अभिनय किया है।
इन फिल्मों से गुलशन राय के बेटे राजीव राय करीब से जुड़े रहे और जब वह खुद फिल्म निर्देशन करने के काबिल हुए तो गुलशन राय ने उन्हें सौंपे उस वक्त के दो उभरते कलाकार जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर। वैसे ये फिल्म पहले संजय दत्त और राज किरन के साथ बननी थी। फिल्म लॉन्च भी हुई विधाता के साथ ही। फिल्म का मुहूर्त क्लैप देने खुद सुनील दत्त आए थे। लेकिन, उन्हीं दिनों संजय दत्त नशे की गिरफ्त में आए। इसी फिल्म की स्क्रिप्ट सुनकर लौटते समय उनका एक्सीडेंट भी हुआ। और, गुलशन राय ने उन्हें फिल्म से निकाल दिया। शक्ति कपूर ने बहुत कोशिश की थी कि किसी तरह संजय दत्त फिल्म में बने रहें, लेकिन गुलशन राय अपने बेटे की पहली फिल्म के लिए कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते थे। उन दिनों टीना मुनीम ने भी संजय दत्त से उनकी आदतों की वजह से रिश्ते तोड़ लिए थे।
युद्ध की शूटिंग जब शुरू हुई तो जैकी श्रॉफ की बतौर हीरो पहली फिल्म हीरो रिलीज हो चुकी थी। अनिल कपूर इस लिहाज से जैकी श्रॉफ से थोड़ा सीनियर हैं कि उनकी फिल्में जैकी श्रॉफ की पहली फिल्म स्वामी दादा से भी पहले आने लगी थीं। निर्देशक बापू की हिंदी फिल्म हम पांच में वह साल 1980 में ही दिख चुके थे। बतौर हीरो उनकी पहली फिल्म वंश वृक्षम (तेलुगू) भी रिलीज हो चुकी थी। हां, दोनों को देश के घर घर में पहचान दिलाने वाली फिल्में हीरो और वो सात दिन जरूर एक ही साल 1983 में रिलीज हुईं। हीरो का जय किशन उर्फ जैकी दादा सबको खूब भाया तो वो सात दिन के प्रेम प्रताप पटियालावाले ने अपने भोलेपन से लोगों का दिल जीत लिया। दोनों ने एक साथ पहली बार 1984 में रिलीज हुई फिल्म अंदर बाहर में एक साथ काम किया। मुन मुन सेन के साथ मिलकर दोनों ने इस फिल्म में ऐसा धमाल मचाया कि दोनों की जोड़ी की गिनती सबसे कमाल जोड़ी के रूप में होनी लगी। युद्ध दोनों की एक साथ बनी दूसरी फिल्म थी।जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर ने अंदर बाहर और युद्ध के बाद आगे चलकर कर्मा, काला बाजार, परिंदा, राम लखन, रूप की रानी चोरों का राजा, 1942 ए लव स्टोरी, त्रिमूर्ति, कभी हां कभी ना, लज्जा और शूट आउट एड वडाला में साथ काम किया है। ये बात कम लोगों को ही पता होगी कि अनिल कपूर असल जिंदगी में जैकी श्रॉफ से बड़े हैं। लेकिन, जब भी फिल्मों में दोनों भाई बने, अनिल कपूर ने हमेशा छोटे भाई का ही रोल किया है। दोनों के बीच कोई 38 दिनों की छोटाई बड़ाई है। फिल्म अंदर बाहर की ही तरह फिल्म युद्ध में भी जैकी श्रॉफ ने पुलिस इंस्पेक्टर का रोल किया और अनिल कपूर बने क्रिमिनल। हालांकि युद्ध में अनिल कपूर का डबल रोल है। एक कानून के इस तरफ तो दूसरा कानून के उस तरफ। फिल्म का सस्पेंस भी इसी से आता है।
फिल्म युद्ध में एक मेहमान भूमिका धारावाहिक रामायण के राम यानी अभिनेता अरुण गोविल ने भी निभाई। ये रोल उन्होंने रामायण का प्रसारण शुरू होने से पहले निभाया, उन दिनों अरुण गोविल छोटे परदे पर खूब काम किया करते थे और छोटे परदे के मशहूर कलाकारों को फिल्मों में खास रोल देने का उन दिनों चलन हुआ करता था। फिल्म युद्ध में अरुण गोविल ने एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया, जिसका बेटे का किरदार आगे चलकर जैकी श्रॉफ ने निभाया। अरुण गोविल की इस फिल्म में एंट्री की अजब कहानी है। इस रोल के लिए पहले सुरेश ओबेरॉय को साइन किया गया था लेकिन एक दिन कहीं उन्होंने बयान दे दिया कि उन्हें स्टार पुत्रों की नई खेप से कोई डर नहीं लगता। बस गुलशन राय ने इतनी सी बात पर सुरेश ओबेरॉय को फिल्म से निकाल बाहर किया और उनकी जगह अरुण गोविल को ले लिया।फिल्म युद्ध की शुरुआत महाभारत में अर्जुन को उपदेश देते कृष्ण की तस्वीर से होती है और पीछे से अमित कुमार की आवाज में गाने के बोल कहते हैं, डंके में चोट पड़ी है, सामने फौज खड़ी है, किशन ने कहा अर्जुन से, ना प्यार जता दुश्मन से, युद्ध कर, युद्ध कर। कहानी भी कुछ ऐसे ही आगे बढ़ती है कि पुलिस इंस्पेक्टर विक्रम को लगता है कि शहर में हो रहे अपराधों में उसकी पहचान के अविनाश राठौड़ का ही हाथ है। वह समझ नहीं पाता कि करे तो क्या करे? हालांकि हकीकत में ये अपराध अविनाश का हमशक्ल उसका जुड़वा भाई कर रहा होता है जिसका बचपन में अपहरण कर लिया गया था। फिल्म में प्राण ने पुलिस उपायुक्त का जानदार और शानदार किरदार किया है। फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा और हेमा मालिनी खास भूमिकाओं में हैं। फिल्म की लीड हीरोइन थीं टीना मुनीम (अब, अंबानी)। फिल्म युद्ध में जैकी श्रॉफ और टीना मुनीम के बीच एक बेहद रोमांटिक गाना भी फिल्माया गया है। फिल्म में संगीत कल्याणजी आनंद जी का है। ये फिल्म आप ओटीटी जी5 पर देख सकते हैं।