क्या आपको गर्भवती होने में दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है? अगर हां, तो आपको गर्भवती होने की प्लानिंग करने से पहले ओव्यूलेशन चक्र के बारे में जनना बहुत जरूरी है। अपनी फर्टिलिटी विंडो को ठीक से जानें। यह आपको गर्भधारण करने में सफलता दिलाएगा।
आपको बता दें कि ओव्यूलेशन मासिक धर्म चक्र का एक सामान्य हिस्सा है, जिसमें अंडाशय से निकला अंडा फैलोपियन ट्यूब में घूमता रहता है। ऐसा तब होता है जब महिला को 30 से 32 दिन के भीतर एक निश्चित समय पर पीरियड्स आते हैं। ओव्यूलेशन की प्रक्रिया पीरियड्स की 12वें या 16वें दिन होती है। ओव्यूलेशन के बाद अंडे लगभग 24 से 36 घंटे तक जीवित रहते हैं। वहीं एक महिला के अंदर शुक्राणु 48 से 72 घंटे तक जीवित रहते हैं । इस दौरान केवल जीवित शुक्राणु अगर फैलोपियन ट्यूब में रहते हैं तो इससे महिला के गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है। विशेष रूप से अनियमित मासिक चक्र वाली महिलाओं में ओव्यूलेशन विंडो को ट्रैक करना गर्भावस्था दर ऑप्टिमाइज करने में बहुत मदद करता है।
शरीर का बुनियादी तापमान:
ओव्यूलेशन के बाद प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उछाल शरीर के बुनियादी तापमान को बढ़ाता है। यह आपके शरीर का तापमान होता है। इस आप सुबह सो कर उठने के बाद अच्छी तरह से जांच सकते हैं। यदि कुछ दिनों तक तापमान में निरंतर वृद्धि होती है तो इससे आपको पता चल जाएगा कि आपने ओव्यूलेट किया है या नहीं।
ओव्यूलशन स्ट्रिप:
प्रेगनेंसी स्ट्रिप की तरह ही ओव्यूलेशन स्ट्रिप भी होती है। ओव्यूलेशन स्ट्रिप इस बात को निर्धारित करती हैं तक अपकी यूरीन में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन है या नहीं। ओव्यूलेशन से 24 से 36 घंटे पहले आपके शरीर में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। ओव्यूलेशन स्ट्रिप्स पर दो लाल रेखाओं की उपस्थिति इस बात की ओर इशारा करती हैं ओव्यूलेशन 24 से 36 घंटों में हो जाएगा। ओव्यूलेशन स्ट्रिप से परीक्षण का सबसे अच्छा समय दोपहर के मध्य में होता है।
ओव्यूलेशन कैलकुलेटर:
वर्तमान समय में स्मार्टफने में कई एप्लिकेशन उपलब्ध हैं जो आपको ओवुलेशन का सही समय बता देंगी इस दौरान यौन क्रिया होने से गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हालाकि, यह एप्लिकेशन तब विश्वसनीय परिणाम देने में असफल हो जाती हैं जब आपके पीरियड्स अनियमित होते हैं।
इस तरह, देखा जाए तो ओवुलेशन को ट्रैक करना संभव है। आप इस का अंदाजा इस बात सके भी लगा सकती हैं कि महीने की निश्चि अवधि के दौरान आपको मूड स्विंग्स की परेशानी हो जाती है। ऐसा हार्मोनल क्रियाओं के कारण होता है। ओव्यूलेशन एक ऐसा ही समय होता है जब हार्मोनल क्रियाएं होती हैं। ये सभी तरीके आपको गर्भावती बनाने की संभावनाओं को बढ़ाते हैं।