भोजपुरी सिनेमा पर कितना भारी पड़ेगा लॉकडाउन, जानें

भारत में बढ़ रहे कोरोना जैसी महामारी के कारण पुरे दुनिया की आर्थिक स्थिति संकट में आ चुकी है जिसे लेकर हर प्रदेश के प्रधान मंत्री ,राष्ट्रपति जैसे महान नेता काफी चिंतित नजर आ रहे है. कोरोना का कहर दिन व दिन बढ़ता ही जा रहा है और लॉकडाउन जैसे गंभीर स्थिति पुरे देश में उतपन्न हो रही है. इस महामारी के कारण देश में लॉकडाउन भी बढ़ता ही जा रहा है जिससे पूरी दुनिया परेशान है और सभी के दिमाग में एक से एक सवालो को जन्म दे रहा है जहां कुछ लोग अपनी बड़ी इंडस्ट्री को लेकर चिंतित है ,तो कुछ लोग अपने बिज़नेस को लेकर तो वही दूसरी ओर फिल्म इंडस्ट्री वाले अपनी आने वाली विषम परिस्थिति को लेकर सवाल खड़े कर रहे है.

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कुछ ऐसी ही परिस्थिति भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के साथ नजर आ रही है जिसमे बहुत से एक्टर एक्ट्रेस इसके बारे में सोच रहे है. एक पल के लिए देखा जाय तो बड़े एक्टर तो कही न कही किसी न किसी तरह अपनी रोजी रोटी चला लेंगे पर उन छोटे कलाकारों का क्या होगा जिनकी जिंदगी केवल उनके ही दम पर चल रही है वो कहा जायेंगे क्या करेंगे किसके सहारे जियेंगे. लॉकडाउन के बाद कैसे उभरेगा भोजपुरी इंडस्ट्री. अगर एक साल का रिकॉर्ड देखा जाये तो भोजपुरी इंडस्ट्री में एक साल में औसतन करीब 60 से 70 फिल्मे रिलीज़ होती है लेकिन हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बिसनेस नहीं कर पाता है लेकिन उनमे से कुछ ही फिल्मे है जो इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ा रही है.
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आपको बता दे की भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का ये तीसरा दौर है जिसे मनोज तिवारी ने 'ससुरा बड़ा पैसा वाला' से खड़ा किया था जिससे भोजपुरी में नयी जान आयी या कहे की इनका उत्थान हुआ और पूरी तरह से फलने फूलने लगी. इस फिल्म के बाद से ही छोटे बड़े सिंगर का उदय हुआ. जिसके बाद ही पवन सिंह ,खेसारी लाल यादव ,दिनेश लाल यादव जैसे स्टार को जगह मिल पायी और आज इतने बड़े स्टार बन चुके है. आज के नए दौर में रितेश पांडेय जैसे बहुत से कलाकार उभरते नजर आ रहे है. लेकिन अब इस लॉकडाउन जैसी विसम परिस्थिति में इस इंडस्ट्री का क्या होगा. जहां बिहार में सिंगल स्क्रीनिंग काफी ज्यादा मात्रा में थी वही इस लॉकडाउन की स्थिति में अर्थव्यस्था के बिगड़ते हालत में इस सिंगल स्क्रीनिंग में 30 प्रेसेंट की कमी आयी है. बिहार के सिनेमाघरों में अच्छी व्यवस्था न होने के कारण फिल्मो से अच्छी इनकम नहीं हो पा रही है जिसके कारण बिहार में जो फिल्मे पहले करोड़ो में इनकम देती थी वो अब केवल कुछ लाखो में ही सिमट कर रह गयी है.
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ऐसे में देखा जाय तो बिहार से इसकी इनकम में काफी गिरावट आयी है. बिहार में सिंगल स्क्रीनिंग में 25 से 30 की कमी आयी है. जैसा की देखा गया है की मल्टीप्लेक्स भोजपुरी फिल्म लगती नहीं है हालाँकि इसके ऊपर काम किया जा रहा है लेकिन एक बहुत बड़ा तबका है जो हमारी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ है जैसे की कैमरा मैन ,स्पोर्ट्स बॉय ,तकनीशियन आदि जैसे लोग इस इंडस्ट्री पर निर्भर है. जो की लॉकडाउन के बाद बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न करने वाली है. भोजपुरी इंडस्ट्री में सीरियल तो बनते नहीं है जिससे इनकी कुछ उम्मीदे हो भोजपुरी में एल्बम बनती है लेकिन उसमे में भी बहुत ही कम इनकम होती है तो ऐसे में आप ही सोच सकते है की उनकी क्या स्थिति होने वाली है कैसी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा.
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