कोरोना वायरस को लेकर अबतक हुए अध्ययन में ये बात तो सामने आ चुकी है कि बच्चे भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन बड़े-बुजुर्गों की तुलना में उन्हें संक्रमण का खतरा कम है। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने करीब 72 हजार संक्रमितों का डाटा विश्लेषण करने करने पर पाया था कि महज दो फीसदी मरीज ही 19 साल से कम उम्र के हैं। वहीं, अमेरिका ने भी करीब 500 कोरोना संक्रमितों पर की गई स्टडी में पाया था कि एक भी बच्चे की मौत कोरोना की वजह से नहीं हुई थी। बच्चों के संक्रमित होने की संभावना के बाद उनसे व्यस्कों में संक्रमण फैलने की संभावना पर भी अध्ययन की जरूरत महसूस हुई।
बच्चों में संक्रमण होने पर कम गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक बाद स्विट्जरलैंड में अधिकारियों ने 29 अप्रैल को कहा कि 10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अपने दादा दादी को गले लगाना सुरक्षित है, क्योंकि छोटे बच्चे वायरस को प्रसारित नहीं करते हैं। वहीं, इसके एक दिन बार 30 अप्रैल को प्रकाशित एक अध्ययन में जर्मन वायरोलॉजिस्ट क्रिश्चियन ड्रोस्टन ने बताया है कि व्यस्क की ही तरह बच्चे भी संक्रमण फैला सकते हैं। हालांकि इसके फिलहाल कोई स्पष्ट सबूत नहीं हैं और ऐसे में कुछ देशों का मानना कि बच्चों से संक्रमण फैलने का जोखिम कम होने की स्थिति में निकट भविष्य में स्कूलों को फिर से खोला जा सकता है।
तो क्या बच्चे वयस्कों को संक्रमित कर सकते हैं? रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ (आरसीपीसीएच) के साथ डोंट फॉरगेट द बबल्स पीडियाट्रिक ब्लॉग पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में बच्चों पर पड़ने वाले कोविड 19 के प्रभावों पर हुए मौजूदा शोधों का विश्लेषण किया गया। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण में बच्चों की भागीदारी के बारे में कोई निश्चितता नहीं है। ट्रांसमिशन में बच्चों की भूमिका स्पष्ट नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि वायरस संक्रमण फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाते हैं।
चीन के रीडिंग यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. क्लार्क के मुताबिक, इस विषय पर केवल चार महीनों से ही हम जानते हैं, डाटा भी सीमित है, इसलिए अभी इस पर शोध जारी है और आगे और अध्ययन की जरूरत है। क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, नौ साल के एक ब्रिटिश बच्चे में वायरस के बहुत ही हल्के लक्षण दिखाई दिए थे और देखा गया कि 172 लोगों के संपर्क में आने के बावजूद उसने किसी को संक्रमित नहीं किया। इस स्टडी में पाया गया कि बच्चे कोरोना वायरस के संक्रमण का महत्वपूर्ण स्रोत नहीं हो सकते हैं।
द इकॉनोमिस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई सारे अध्ययनों की समीक्षा के बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों की अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क ने भी कहा है कि बच्चों से व्यस्कों में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है। संस्था के मुताबिक, बच्चों में वायरस संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं और कोरोना संक्रमण से बच्चों की मौत के मामले तो लगभग नहीं के बराबर हैं। इसलिए दुनियाभर के माता-पिता को डरने की जरूरत नहीं है।कमजोर इम्यूनिटी के आधार पर संक्रमण फैलने की बात से विशेषज्ञों को इस बात की आशंका थी कि बच्चे कोरोना वायरस से आसानी से संक्रमित हो सकते हैं और उनमें लक्षण सामने नहीं आते हैं। ऐसे में वे व्यस्कों के बीच संक्रमण फैला सकते हैं। लेकिन कई अध्ययनों से पता लगा है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों के संक्रमित होने की संभावना बेहद कम रहती है।
वहीं, साइंस और लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित चीन के दो अध्ययनों में बताया गया है कि बच्चों पर वायरस का असर कम पड़ता है। इटली में तीन हजार लोगों की जांच के दौरान 10 वर्ष से कम उम्र के 234 बच्चों में से एक भी संक्रमित नहीं पाए गए। वहीं, स्टॉकहोम में 700 लोगों की जांच में 15 या उससे कम उम्र के महज 2.8 फीसदी बच्चे ही संक्रमित पाए गए थे। नीदरलैंड्स में एक स्टडी के मुताबिक, दो हजार लोगों की जांच में 20 वर्ष से कम आयु के महज दो फीसदी लोग ही संक्रमित पाए गए। वहीं, 20 से अधिक आयुवर्ग के 4.2 फीसदी लोग संक्रमित थे। छोटे बच्चों में यह दर बेहद कम पाई गई।
आइसलैंड और नीदरलैंड्स में संक्रमण की चेन की स्टडी करनेवाले शोधकर्ताओं ने पाया कि एक भी बच्चे के कारण उनके परिजन संक्रमित नहीं हुए हैं। वहीं, आस्ट्रेलिया के न्यूसाउथ वेल्स में 15 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में 735 छात्रों और 128 कर्मचारियों के बीच महज दो बच्चे ही संक्रमित पाए गए। यूरोपीय रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के मुताबिक भी बच्चों से वयस्कों में संक्रमण नहीं फैलता है। रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ (आरसीपीसीएच) के अध्यक्ष प्रोफेसर रसेल विनर के मुताबिक, यह माना जा रहा है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चे कोरोना फैलाने नहीं के बराबर भागीदार हैं और इस बारे में सुनिश्चित होने के लिए बहुत ज्यादा डाटा एकत्र करने और उसपर अध्ययन करने की जरुरत है।