कोरोनवायरस महामारी की रोकथाम के लिए सरकार से लेकर आम आदमी तक प्रयत्नशील है. इसी को लेकर कई नवाचार भी देखने को मिल रहे हैं. इसी क्रम में एशिया के मशहूर सारंडा जंगल में पाए जाने वाले औषधीय पौधों से वन एवं पयार्वरण विभाग ने आयुवेर्दाचायोर्ं की मदद से एक काढ़ा तैयार किया है. इस हर्बल पेय को 'इम्युनिटी बूस्टर' (प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला) बताया जा रहा है.
सारंडा के वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) रजनीश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि इस पेय पदार्थ के निमार्ण में मुख्य रूप से गिलोय, अजुर्न वृक्ष की छाल, अमरूद की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च, गुड़ इत्यादि का इस्तेमाल किया गया है. इस काढ़े का नाम 'सारंडा इम्युनिटी बूस्टर' दिया गया है. उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत सारंडा वन क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय गुण से परिपूर्ण जड़ी बूटियों की मदद से प्रशिक्षण केन्द्र के आयुवेर्दाचार्य मधुसूदन मिश्रा के नेतृत्व में इसको तैयार किया गया है.
इस पेय पदार्थ का लोकार्पण पश्चिम सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल ने बुधवार को खुद पीकर किया था. उपायुक्त ने इसके लिए वन एवं पयार्वरण के अधिकारियों व कर्मचारियों को धन्यवाद देते हुए बोला कि वन प्रमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में लोकल करमपदा वन समिति के द्वारा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुवेर्द में वर्णित सामग्रियों का इस्तेमाल करते हुए इस हर्बल पेय पदार्थ का निमार्ण किया गया है.वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश ने कहा, “झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में स्थित वर्ष के जंगलों के लिए मशहूर सारंडा जंगल में औषधीय पोधे बहुतायत में पाए जाते हैं.
इनमें सफेद मूसली, काली मूसली, मुलेठी, सतावर, गुडमार, चेरेता, कालीहारी, पत्थरचूर, तुलसी, अजुर्न, हरेर् आदि प्रमुख हैं.” उन्होंने बताया कि इसे बनाना भी सरल है. सबसे पहले अजुर्न की छाल को पीसकर चटनी जैसा बनाने के बाद 5०० ग्राम गिलोय, 25० ग्राम अमरुद की पत्ती, 350 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम अदरक, 3०० ग्राम तुलसी, 1०० ग्राम दालचीनी, 1०० ग्राम इलायची का बीज, 15० ग्राम काली मीर्च, 1०० ग्राम लौंग को पीसकर 15 लीटर पानी में मिला दें. उसके बाद गुड़ तीन किलोग्राम घोलकर एक साथ मिला दें. उसके बाद किसी बर्तन में रखकर गर्म करें. एक घंटा में यह इम्युन बूस्टर बनकर तैयार हो जाएगा. कुमार ने बोला कि गुजरात में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को पेय पदार्थ के रूप में हर्बल पेय काढ़ा देने की जानकारी के बाद उन्होंने इसके लिए आयुवेर्दाचार्य मधुसूदन मिश्रा व बॉटनिकल सवेर् ऑफ इंडिया के हरिलाल से सम्पर्क किया व इसकी तैयारी प्रारम्भ की, जिसके सुखद परिणाम सामने आए हैं. उन्होंने आगे कहा, “सारंडा वन प्रमंडल के भीतर आने वाली वन समितियों को धनवंतरि आयुवेर्िदक शोध संस्थान तथा पंचकर्म विज्ञान चिकित्सालय व आयुवेर्िदक अस्पताल के निदेशक और प्रधान डॉक्टर डाक्टर मधुसूदन मिश्र के जरिए जंगल में उपलब्ध पौधों से औषधि तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.”
डीएफओ ने बताया कि सारंडा में अनेक प्रकार की वनस्पतियां हैं व हर वनस्पति की भिन्न-भिन्न विशेषता है. आयुवेर्दाचार्य की देख-रेख में इसे वनस्पति पार्क में लगाया जा रहा है. इधर, पश्चिम सिंहभूम के उपविकास आयुक्त आदित्य रंजन ने आईएएनएस को बोला कि आयुष विभाग के दिशा-निदेर्श पर बनाए गए इस हर्बल पेय पदार्थ को दवा दुकानों में बिक्री के लिए ड्रग कंट्रोलर से बात की गई है, अनुमति मिलने के बाद इस पेय पदार्थ को जिले की दवा दुकानों पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा. दूसरे जिलों में भी इसे उपलब्ध करवाया जाएगा. रंजन ने कहा, “इस पेय पदार्थ की बिक्री के बाद निमार्ण में जुड़े लोकल वन समितियों के सदस्यों के आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी तथा वर्तमान समय में कोरोनावायरस से जारी इस जंग में एक मजबूत सहारा भी होगा. जिले के क्वारंटाइन सेंटर में रुके लोगों को भी यह पेय पदार्थ पीने को दिया जाएगा.” उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले तक सारंडा जंगल की पहचान नक्सलियों की शरणस्थली के रूप में होती थी.