बाल कथा: अच्छे बच्चे कैसे हों

बच्चे चंचल होते हैं, नटखट होते हैं और अक्सर आप अपने बच्चे की शैतानियों से परेशान हो जाती होंगी और किसी अनुशासित बच्चे को देखकर आपके मन में भी ख्याल आता होगा कि काश मेरा बच्चा भी अच्छा बच्चा कहलाये। मेरा बच्चा भी अनुशासित हो। आपका कहना माने। हर जगह उसकी तारीफें हों।

बच्चों की चंचलता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता लेकिन शुरू से ही उन्हें लचीले अनुशासन में रखा जाये तो वे जरूर अच्छे बन सकते हैं। याद रहे, कठोर अनुशासन व्यक्तित्व का विकास रोक देता है। बच्चे का पूर्णरूप से विकास भी होता रहे, इसके लिए उस पर अपने नियमों को सख्ती से लागू न करें।
पहले अपनी दिनचर्या के अनुसार अपने बच्चे को आदतें डालें। सुबह समय पर उठना, नहाना, नाश्ता करना, समय पर स्कूल का काम निपटाना, समय पर खेलना और दस बजने से पहले सो जाना परन्तु याद रखना चाहिए कि बच्चे पर ऐसा करने के लिए जोर नहीं डालें वरना वह चिड़चिड़ा और अधिक शैतान हो जायेगा। एकदम से इन नियमों को उस पर लागू नहीं करें बल्कि धीरे-धीरे उसे इनकी आदत डालें। बच्चे नियमों में बंधकर नहीं जी पाते। वे अक्सर उन्हें तोडऩे की गलतियां करते रहते हैं और चाहते हैं कि उनके सिर्फ 'सॉरी' कह देने से काम चल जाए। अभिभावक हमेशा उन्हें इस तरह की छूट नहीं देते जिससे बच्चों की परेशानियां बढ़ जाती हैं। ऐसा कठोर अनुशासन उन्हें हमेशा जकड़े रहता है। जिससे वे गलत व्यवहार करने लगते हैं।
माता-पिता अपने बच्चे के किसी काम को न करने को अपना अपमान समझते हैं और उसे चपत लगा देते हैं। वे यह नहीं जानते कि बच्चों का चंचल मन कभी-कभी अपनी मरजी करने के लिए खूब उछलता है। यदि उनकी इस चंचलता पर बंधन लगाया जाता है तो वे कुंठित हो जाते हैं और अपना दिमाग लगाना छोड़ सकते हैं जिससे उनके व्यक्तित्व के विकास पर बहुत बुरा असर पड़ता है। उसे अच्छा बनाने के लिए कभी-कभी उसकी इस चंचलता को भी स्वीकार किया जाना चाहिए।
बच्चे में अनुशासन पैदा करने के लिए जरूरी है कि उसे एक वक्त में एक सीख ही दें। कई सारी बातें उसे एक बार में ही सिखाने की कोशिश न करें। एक बात को एक ही तरीके से सिखायें। ऐसा न हो कि आज किसी काम का जो तरीका आप उसे बता रही हैं, कल उसकी जगह दूसरा तरीका उसे बतायें और उस पर अमल करने को कहें।
बच्चों के साथ माता-पिता को एक ही तरह से पेश आना चाहिए। मां कुछ करने के लिए कहती हो और पिता कुछ तो ऐसे में बच्चे के लिए अच्छी बातें ग्रहण करना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। यदि मां बच्चे को सुबह छ: बजे जगा रही हो तो पिता को यह नहीं कहना चाहिए कि वह सोया रहे और सात बजे उठ जाये। इससे बच्चे पर गलत असर पड़ता है।
हमेशा इस बात पर ध्यान दें कि जो काम आप बच्चे से कराना चाहते हैं, कहीं उसे उसमें कोई परेशानी तो नहीं। आपके नियमों का पालन करते हुए उसे कोई दिक्कत तो नहीं है। बच्चे को आदेश देते हुए उसकी परेशानियों पर भी सवाल करें और साथ ही अपने नियमों की उपयोगिता से भी उसे अवगत कराती रहें जिससे वह इन नियमों को अपने ऊपर लदा हुआ न माने।
जब वह लगन से इन कार्यों में जुटा रहेगा तो आपको भी लगेगा कि वह आपका कहना मान रहा है। अपने काम से आपको खुश देखकर बच्चा इन कार्यों के प्रति और अधिक प्रेरित होगा। उसका आत्मबल बढ़ेगा और उसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास होगा।
- शिखा चौधरी

अन्य समाचार