स्मृति शेष: शकल... सूरत सवा सौ करोड़ जैसी, विश्व सिनेमा पर छोड़ी छाप

अपने 32 साल के करियर में करीब 80 फिल्में करने वाले इरफान को राइटिंग और इश्क का मजा एक साथ आना शुरू हुआ था। अगर आप इरफान की फिल्में देखेंगे तो आपको समझ भी आएगा कि परदे पर उनका अपनी हीरोइन के साथ इश्क करने का अंदाज इसीलिए बहुत अलहदा होता है। 'मकबूल' का वो सीन याद कीजिए जब तब्बू और इरफान कुछ गज की दूरी पर खड़े हैं। दोनों के बीच आंखों से बातचीत हो रही है औ तब्बू के मुंह से फूटता है, मेरी जान। इन दो शब्दों को जिस तरह से फिर इरफान खेलते हैं, उसका आनंद देखकर ही लिया जा सकता है। फिल्म 'द वॉरियर' के बाद लोगों ने नोटिस ही इरफान को उनके इस खेल की वजह से किया। एक इंटरव्यू में इरफान ने कहा, 'वॉरियर में मेरे बहुत सारे सीन ऐसे थे जिनमें मुझे कुछ बोलना नहीं था। लेकिन मुझे तो कैमरे से बात करनी थी तो इसमें मुझे एनएसडी की तमाम हरकतों का फायदा मिला और मैंने आंखों से कैमरे से बतियाना सीख लिया।'

ऐसा नहीं कि इरफान ने हमेशा महान सिनेमा ही किया। मकान और गाड़ी की ईएमआई भरने के लिए उन्होंने थैंकयू और हिस्स जैसी फिल्में भी की हैं। लेकिन सफलता के बाद भी इरफान ने कभी खुद को आसमान से उतरा फरिश्ता नहीं समझा। अनिल कपूर के मिशन इंपॉसिबल या पंकज त्रिपाठी के एक्स्ट्रैक्शन का हिस्सा बनने से बरसों पहले इरफान एजेंलीना जोली, डैनी बॉयल, एंग ली और मार्क वेब जैसे सितारों के साथ हॉलीवुड धूम मचा चुके थे। दिलचस्प है कि जिस अभिनेता को उसकी शक्ल सूरत की वजह से बरसों हिंदी सिनेमा में दुत्कारा गया, उसे बाद में महिला पत्रकारों के संगठन ने फिल्म नेमसेक के लिए बेस्ट सिडक्शन एक्टर का अवार्ड दिया गया। जीक्यू जैसी फैशन मैगजीन ने उन्हें 'मैन ऑफ द ईयर 'के खिताब से नवाजा।
तमाम पीआरओ इरफान से कहते कि अपना लुक बदल लीजिए, हम आपकी तकदीर बदल देंगे। इरफान ने कई बार अपने फैशन फोटो सेशन कराए भी लेकिन किसी पीआरओ के कहने पर नहीं बल्कि पैसे की जरूरत पूरी करने क लिए। जैसा कि उनकी फिल्म मदारी का एक संवाद है, 'कपड़े, लत्ते, शकल सूरत सब सवा सौ करोड़ जैसी है, कैसे ढूंढोगे मुझे?' वह सब कुछ करके भी रहे इरफान ही। न अपनी चाल बदली और न अपनी सूरत।
आखिरी फिल्म के समय बिगड़ी तबीयत पिछले साल लंदन से इलाज करवाकर लौटने के बाद से इरफान कोकिलाबेन अस्पताल के डॉक्टरों की निगरानी में रहे। 'अंग्रेजी मीडियम' उनकी आखिरी फिल्म साबित हुई। कई बार वह कीमोथेरेपी कराना भूल गए। करीब 30 साल पहले मुंबई आए इरफान ने अपने करियर के शुरुआती दौर में बहुत संघर्ष किया।
विश्व सिनेमा पर छाप छोड़ी ऑस्कर अवार्ड देने वाली द एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, 'स्लमडॉग मिलेनियर, 'लाइफ ऑफ पाई' व 'द नेमसेक' जैसी फिल्मों में अविश्वसनीय प्रतिभा दिखाने वाले इरफान खान ने वैश्विक सिनेमा पर अपनी छाप छोड़ी। उन्हें लाखों लोगों के लिए प्रेरणा के तौर पर याद किया जाएगा।

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