जयपुर: एक ऐसा छोटे से घर से निकला वो लड़का जो एक बार अपने गुरु की डांट पड़ने पर पूरी रात भर रोता रहा था और आंखें सूज कर लाल हो गई थी. गुरुजी ने कहा की और कितनी बड़ी आंखें करेगा सबक लें और कुछ सीख. गुरु का वह सबक जिंदगी भर उसके जेहन में ऐसा होता कि पीछे मुड़कर नहीं देखा और 4 दरवाजे सुभाष चौक जैसे इलाके का यह लड़का ऑस्कर तक जा पहुंचा. जी हां आज हम इरफान की ही बात कर रहे हैं जिसके थिएटर ग्रुप डॉ रवि चतुर्वेदी आज अंतर्मन से रोगी रहे थे और उन्हें फक्र महसूस हो रहा था कि किरदार छोटा था लेकिन पूरी दुनिया उस किरदार को सलाम कर रही है.
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कभी भी उन्होंने महसूस नहीं होने दिया कि वह आज इतना बड़ा एक्टर: आज जब फर्स्ट इंडिया न्यूज़ संवाददाता ऐश्वर्य प्रधान देश के जाने-माने थिएटर पर्सन रवि चतुर्वेदी के घर पहुंचे तो रवि चतुर्वेदी इरफान की पुरानी फोटोग्राफ्स को देखकर रुंआसे हो रहे हैं. हां रवि चतुर्वेदी बहुत गर्व से कह रहे थे कि इरफान उन्हीं का शिष्य था और कभी भी उन्होंने महसूस नहीं होने दिया कि वह आज इतना बड़ा एक्टर है. लेकिन रवि चतुर्वेदी को एक तो आज भी है वह यह है कि इरफान खान जैसे अन्य कई कलाकार हैं जिन पर कभी सरकारों की नजर गई की नहीं. चतुर्वेदी ने फर्स्ट इंडिया न्यूज़ से वह तमाम बातें शेयर की जैसे कि कोई भी व्यक्ति सुनकर ताजुब करेगा. यह देखिए एक एक्सक्लूसिव खास इंटरव्यू में क्या कुछ कहा इरफान खान के एक्टिंग गुरु ने...
जयपुर: दो फेज के लॉक डाउन के चलते प्रदेश में दूध की आवक और खपत काफी कम हो गई है. लॉकडाउन से पहले प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट डेयरियों के माध्यम से करीब 50 लाख लीटर दूध का संकलन हो रहा था. लेकिन अब यह घटकर 35 लाख लीटर के आसपास रह गया है.
दूध की खपत भी 25 से 30 प्रतिशत कम हो गई: प्रदेशभर में सबसे ज्यादा दुग्ध संकलन और दूध वितरण का कार्य राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन करता है. फेडरेशन सरस ब्रांड नाम से अलग-अलग जिला दुग्ध संघों के माध्यम से दूध का संकलन और सप्लाई का कार्य करता है. लॉकडाउन से पहले आरसीडीएफ के 21 जिला दुग्ध संघों पर दुग्ध उत्पादकों से 41 लाख लीटर दूध रोज संकलित हो रहा था, जो अब घटकर 27 लाख लीटर प्रतिदिन रह गया है. इसके पीछे फेडरेशन अफसरों का तर्क है कि अब गर्मी की वजह से प्राकृतिक रूप से पशुओं में दूध उत्पादन कम हो गया है. वहीं दूध खरीद की रेट भी पूरे प्रदेश में कम हो गई हैं. अब केवल समिति सदस्यों का ही दूध लिया जा रहा है, जबकि पहले डिमांड अधिक होने से अस्थाई उत्पादकों का भी दूध ले रहे थे. अब बात करते हैं दूध की सप्लाई की, दरअसल लॉक डाउन के कारण दूध की खपत भी 25 से 30 प्रतिशत कम हो गई है. आपको बता दें कि लॉकडाउन से पहले प्रदेश में विभिन्न डेयरियां रोजाना करीब 30 लाख लीटर दूध सप्लाई कर रही थीं, जो अब घटकर 21 लाख लीटर रह गया है. इसमें अकेले आरसीडीएफ की सप्लाई 23 लाख से घटकर 16 लाख लीटर प्रतिदिन रह गई है. 5 लाख लीटर दूध प्राइवेट डेयरियां सप्लाई कर रही हैं.
8 में से सिर्फ तीन डेयरी ही बेच रही उत्पाद ? - प्रदेश में 8 से अधिक प्राइवेट और सरकारी डेयरी दूध सप्लाई करती हैं - लेकिन लॉकडाउन के बाद सरस, अमूल, लोट्स डेयरी ही मार्केट में दूध सप्लाई करती नजर आ रही हैं - बाकी प्राइवेट डेयरियां अब उत्पादकों से न तो दूध संकलित कर रही, न ही दूध सप्लाई करती दिख रही हैं - डेयरी से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कारोबार में मंदी होने से छोटी डेयरियां उत्पाद सप्लाई नहीं कर रहीं - सवाल यह भी कि हर दिन आने वाला 15 लाख लीटर अतिरिक्त दूध अब क्यों नहीं आ रहा ? - लॉकडाउन से पहले और बाद के दूध की आवक में करीब 15 लाख लीटर दूध का अंतर आ रहा है - सवाल उठे रहे कि यह दूध अब कहां खप रहा है या फिर पहले नकली दूध की प्रोडेक्शन हो रहा था, जो लॉकडाउन के बाद बंद हो गया है - हालांकि डेयरी विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि लॉकडान के बाद गांवों में लोगों की संख्या बढ़ी है, इससे गांवों में ही 4 लाख लीटर दूध की खपत बढ़ गई है - करीब 4 लाख लीटर दूध गर्मी की वजह से कम हो गया - इसके बाद बचे 7 लाख लीटर दूध पर विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए, कहा, कुछ हद तक तो नकली दूध का प्रोडक्शन हो ही रहा था
लॉकडाउन के बाद अब नकली दूध का कारोबार काफी हद तक बंद हो गया है. आपको बता दें कि सबसे अधिक नकली दूध के मामले अलवर, भरतपुर, दौसा, करौली, धौलपुर के गैर सहकारी क्षेत्र में पकड़े गए हैं. अलवर में तो आए दिन दूध चोरी और नकली दूध के मामले पकड़े जा रहे हैं. दूध में मिलावट के सवाल पर सरस डेयरी के उच्च अधिकारियों का कहना है कि सरस दूध के संकलन पर लॉकडाउन का ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. पहले जितना ही दूध आ रहा है. सरस में नकली दूध आने की संभावन नहीं है. क्योंकि सरस दूध की तीन स्तर पर जांच होती है. पहले समितियों पर, इसके बाद चिलिंग प्लांट और तीसरी जांच सरस प्लांट पर होती है. गर्मियों में वैसे भी दूध की आवक कम हो जाती है. कुलमिलाकर लॉक डाउन ने दूध के मिलावटी कारोबारियों पर काफी हद तक बंदिश लगाने का कार्य किया है.
...काशीराम चौधरी, फर्स्ट इंडिया न्यूज़, जयपुर
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान गाय, कुत्तों जैसे पशुओं व पक्षियों को खाना, चारा व इलाज मुहैया कराने व अतिरिक्त इंतजाम करने के निर्देश दिये है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रीजीत महांति और जस्टिस सतीश शर्मा की खण्डपीठ ने रमन गुप्ता, मुकेशसिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिये है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा था कि बेसहारा पशु और पक्षियों के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है सामाजिक संगठन के लोग भी इस काम में जुटे हुए हैं.
पशु-पक्षियों के कल्याण के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए: याचिकाओ में कहा गया था कि लॉकडाउन के दौरान बेसहारा गाय व कुत्तों सहित अन्य जानवरों को खाने, चारे व इलाज की सुविधा नहीं मिल रही. लॉक डाउन के चलते सडक़ पर आम लोगों का निकलना बंद हो गया है. जिससे सड़कों पर रहने वाले पशुओं व पक्षियों को भोजन व पानी मिलना बंद हो गया है और इससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. जिस पर महाधिवक्ता ने कहा कि पशु-पक्षियों के कल्याण सहित खाना, चारा व इलाज के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं.
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प्रभावी नियंत्रण के लिए हर जिले में कंट्रोल रूम भी बनाए: राज्य सरकार ने पशु-पक्षियों के मामलों में प्रभावी नियंत्रण के लिए हर जिले में कंट्रोल रूम भी बनाए हैं. कई एनजीओ व सेल्फ हैल्प ग्रुप भी पशु-पक्षियों के कल्याण कार्य में लगे हैं. जिस पर अदालत ने कहा कि राज्य सरकार पूर्व में दिए निर्देशों का पालन करे और आवारा पशुओं गाय, कुत्ता व पक्षियों सहित अन्य के भोजन, चारे व इलाज मुहैया कराए. इसी के साथ पशु पक्षियों के लिए अतिरिक्त देखभाल करे.
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घरों में भेजने से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कहा कि वे प्रवासी मजदूरों को भी वे सभी सुविधाए प्रदान जो स्थानिय निवासियों को दी जा रही है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और जस्टिस सतीश शर्मा की खण्डपीठ ने जेम्स बेदी ओर पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिये है.
स्थानीय पहचान पत्र नहीं होने पर समान लाभ नहीं दिये जा रहे: हाईकोर्ट ने कहा कि उनके संज्ञान में लाया गया है कि प्रवासी मजदूरों के पास उनके राज्य के आधार कार्ड होने के बावजूद उन्हे स्थानीय पहचान पत्र नहीं होने पर समान लाभ नही दिये जा रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने इन बिंदुओं पर जवाब देने के लिए समय मांगा है. वहीं प्रवासी मजदूरों को उनके गृहराज्य वापस भेजने के मामले में राजस्थान सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि जैसे ही केन्द्र सरकार नीति बनाएगी वे तुरंत लागू कर देंगे. पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से अधिवक्ता पूनमचंद भंडारी व टी एन शर्मा ने बहस करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार नीति बनाए तब तक ये अन्तरिम आदेश प्रदान करें कि जो मजदुर अपने खर्चे पर जाना चाहें उन्हें अनुमति दी जाए तथा कई फैक्ट्री के मालिक भी अपने खर्चे पर मजदूरों को उनके गांव भेजने को तैयार हैं क्योंकि मजदूर घर से लंबे समय से दूर होने के कारण मानसिक अवसाद में हैं.
विभिन्न प्रदेशों के मध्य वार्ता चल रही: एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आर डी रस्तोगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही याचिका पर सोलिसिटर जनरल को निर्देश दिए हैं कि वे नीति न्यायालय में पेश करें जैसा कि विभिन्न प्रदेशों के मध्य वार्ता चल रही है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति एवं न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने अंत में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिए कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की प्रति पेश करें और मामला आगे सुनवाई हेतू 15 मई को नियत किया गया है.
नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए लॉकडाउन लागू है. इसी वजह से देश में कई लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हुए है. इनमें फंसे छात्र, मजदूर, टूरिस्ट और श्रद्धालु शामिल है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसको लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदशों को नया आदेश जारी किया है.
राज्य सरकार ने जारी की औद्योगिक इकाइयों व संस्थानों को एडवाइजरी, लॉकडाउन अवधि का बिना कटौती भुगतान करें
घर ले जाए जाने से पहले लोगों का मेडिकल चेकअप किया जाएगा: बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की मांग के बाद गृह मंत्रालय ने नई गाइडलाइन तैयार की है. इसके तहत घर ले जाए जाने से पहले लोगों का मेडिकल चेकअप किया जाएगा. इसके साथ ही दूसरे जगह ले जाने पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखना होगा और जब लोग अपने-अपने घर पहुंचेंगे तो उन्हें होम क्वॉरन्टीन में रहना होगा.
राज्यों को आपस में बात करनी होगी: नई गाइडलाइन के अनुसार सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपने नोडल अधिकारी नियुक्त करने और ऐसे फंसे हुए व्यक्तियों को वापस भेजने और लेने के लिए एक एसओपी की तैनाती करनी होगी. वहीं नई गाइडलाइन के मुताबिक एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के इच्छुक लोगों के लिए राज्यों को आपस में बात करनी होगी.
कोरोना से जंग लड़ने में स्वास्थ्यकर्मियों का स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण- हाईकोर्ट
ट्रांसपोर्ट के लिए बस का इस्तेमाल किया जाएगा: आदेश के अनुसार ट्रांसपोर्ट के लिए बस का इस्तेमाल किया जाएगा. बस के भीतर बैठाए जाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा. जब कोई शख्स अपने लोकेशन तक पहुंच जाएगा तो वहां की लोकल हेल्थ अथॉरिटी उन्हें देखेंगे. जब तक इंस्टीट्यूशनल क्वॉरन्टीन की जरूरत न हो उन्हें होम क्वॉरन्टीन में रहना होगा.
जयपुर: लॉक डाउन के कारण कर्मचारियों व श्रमिकों को अप्रैल महीने के वेतन से वंचित नहीं होना पड़ेगा. राज्य सरकार ने औद्योगिक इकाइयों व संस्थानों के कार्मिकों व श्रमिकों के अप्रेल माह के वेतन भुगतान के लिए एडवाइजरी जारी की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने जारी एडवाइजरी के माध्यम से औद्योगिक इकाइयों व संस्थानों को अपने कार्मिकों और श्रमिकों को लॉकडाउन अवधि का बिना कटौती के डिजिटल प्लेटफार्म पर लेन-देन के माध्यम से वेतन भुगतान करने को कहा है.
एडवाइजरी अप्रैल माह के वेतन भुगतान के लिए जारी की गई: सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी में लॉक डाउन अवधि में कर्मचारियों व श्रमिकों की बिना कटौती के निर्धारित समय पर डिजीटल प्लेटफार्म पर सीधे खातों में ऑनलाईन या सीधे खातों में हस्तांतरण यानी डीबीटी के माध्यम से या एनईएफटी या आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करने को कहा है. पूर्व में 30 मार्च, 2020 को जारी एडवाइजरी के क्रम में यह एडवाइजरी अप्रैल माह के वेतन भुगतान के लिए जारी की गई है.
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कार्मिकों व श्रमिकों द्वारा वेतन की आवश्यकता महसूस की जा रही: उद्योग विभाग के एसीएस डॉ सुबोध अग्रवाल ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों में इन इकाइयों के कार्मिकों व श्रमिकों द्वारा वेतन की आवश्यकता महसूस की जा रही है. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों व संस्थानों को लॉकडाउन अवधि में बिना कटौती के समय पर वेतन भुगतान को कहा गया है. एडवाइजरी पुलिस आयुक्त, जिला कलक्टरों, पुलिस अधीक्षकों और श्रम आयुक्त को भी समन्वय हेतु भेजी गई है. वहीं उद्योग आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल ने जिला उद्योग केन्द्रों के महाप्रबंधकों को विभागीय एडवाइजरी के व्यापक प्रचार-प्रसार का निर्देष दिए हैं ताकि कार्मिकों व श्रमिकों को समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित हो सके.
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सा और स्वास्थ्यकर्मियों के स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण मानते हुए केन्द्र और राज्य सरकार के साथ मेडीकल काउंसिल आफ इंडिया को आदेश दिये है कि वो इन स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षित रखने के लिए इनकी कोरोना टेस्टिंग को लेकर अलग से गाईडलाईन बनाए. रामवीर यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और जस्टिस सतीश शर्मा की खण्डपीठ ने ये आदेश दिये है.
सभी हैल्थ वर्कर्स को सुरक्षित रखने के लिए टेस्टिंग की कवायद की जाये: हाईकोर्ट ने कहा कि एक ऐसी योजना पर कार्य किया जाये जिससे कि सभी हैल्थ वर्कर्स को सुरक्षित रखने के लिए टेस्टिंग की कवायद की जाये. क्योकि वर्तमान में बढते कारोना संक्रमण से लड़ने में हैल्थवर्कस ही सबसे आगे रहकर मरीजों का उपचार कर रहे हैं. ऐसे में इन हैल्थ वर्कस का स्वस्थ रहना हमारे लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. हाईकोर्ट ने स्वास्थ्यकर्मियों के साथ आवश्यक सेवाओं के वर्कस की सुरक्षा के लिए गाईडलाइन तैयार करने के आदेश दिये है. मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी. याचिकाकर्ता रामवीर यादव की ओर से एडवोकेट एस के सिंह ने पैरवी की.
डीजे कैडर की वरिष्ठता मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, हाईकोर्ट कमेटी के निर्णय पर लगायी मुहर
जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के न्यायिक अधिकारियेां की वरिष्ठता के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की कमेटी के निर्णय पर मुहर लगाते हुए अधिवक्ता कोटे और पदोन्नत न्यायिक अधिकारियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने लिमिटेड कैटेगरी के न्यायिक अधिकारियों को आंशिक राहत देते हुए उनके बैच की वरिष्ठता के स्थान पर मेरिट के आधार पर वरिष्ठता देने के आदेश दिये है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को लिमिटेड कैटेगरी के अधिकारियों की 4 सप्ताह में वरिष्ठता सूची जारी करने के आदेश दिये है. ये आदेश जस्टिस यू यू ललित की बैंच ने डीजे दिनेश गुप्ता, किशनचंद, राजस्थान ज्यूडिशियल आफिसर्स एसोसिएशन सहित 10 विशेष अनुमति याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिये है.
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हाईकोर्ट की कमेटी के निर्णय पर मुहर: राजस्थान न्यायिक अधिकारियों के लिए वर्ष 2010 में संशोधित रूल्स तैयार किये गये. इसके साथ ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश संवर्ग में पदोन्नत न्यायिक अधिकारियों को 65 प्रतिशत, अधिवक्ता कोटे के लिए 25 प्रतिशत और प्रतियेागी परीक्षा के जरिए लिमिटेड कैटेगरी के लिए 10 प्रतिशत की सीटे रखी गयी. 2010 के नियमों के अनुसार राज्य में अधिवकता कोटे से 2013 में भर्ती कि गयी. इस भर्ती से नियुकत हुए अधिकारियेां ने अपनी वरिष्ठता 2010 से देने की मांग की. यही से विवाद शुरू हुआ जो पहले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचां. 2019 में तत्कालिन मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मार्च 2019 को नयी संशोधित वरिष्ठता सूची जारी की. जिसमें 1993 बैंच के न्यायिक अधिकारियों को अधिवक्ता कोटे के अधिकारियों से उपर वरिष्ठता दी गयी. इस मामले को पुन: सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी गयी. सुप्रीम कोर्ट ने अब इस कमेटी के निर्णय पर मुहर लगा दी है.
ये रहे कमेटी में शामिल: जिला न्यायाधिश सवंर्ग की वरिष्ठता मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के तत्कालिन मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग की अध्यक्षता में कमेटी का गठन हुआ था. इस कमेटी में तत्कालिन प्रशासनिक जज और वर्तमान में उड़ीसा सीजे जस्टिस मोहम्मद रफीक, जस्टिस संगीत लोढा, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एस पी शर्मा शामिल थे. कमेटी ने 15 मार्च 2019 को संशोधित वरिष्ठता सूची जारी की थी.
हाईकोर्ट रजिस्ट्रार सहित 47 डीजे की वरिष्ठता रहेगी यथावत: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब पदोन्नत न्यायिक अधिकारियेां की वरिष्ठता और अधिवक्ता कोटे के न्यायिक अधिकारियेां की वरिष्ठता का संशय समाप्त हो गया है. इस फैसले से वर्तमान हाईकोर्ट रजिस्ट्रार निर्मलंसिंह मेड़तवाल, जयपुर मेट्रो डीजे उमाशंकर व्यास रालसा सदस्य सचिव अशोक जैन, प्रमुख विधि सचिव विनोद भारवानी, अलवर डीजे संगीता शर्मा सहित प्रदेश के कई जिलों में डीजे व अन्य उच्च पदस्थ 47 डीजे की वरिष्ठता यथावत रहेगी. इन न्यायिक अधिकारियों के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है.
.Rajasthan Corona Updates: पॉजिटिव मरीजों का ग्राफ पहुंचा 2393, जिलेवार जानें आंकड़े
जस्टिस एन एस ढड्डा की वरिष्ठता को भी दी थी चुनौति: डीजे दिनेश गुप्ता व अन्य ने जस्टिस एन एस ढड्डा की वरिष्ठता पर भी आपत्ति जतायी थी. डीजे कोटे से जस्टिस एन एस ढ्डडा का नाम हाईकोर्ट जज के लिए भेजे जाने के बाद इस मामले में उन्हे पक्षकार बनाया गया था. इन याचिकाओं में उन्हे भी एक पक्षकार बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 47 न्यायिक अधिकारियेां को नोटिस दिये थे इसमें जस्टिस एन एस ढड्डा का नाम भी शामिल था. उन्हे नोटिस भी तामिल किये गये थे लेकिन उनकी ओर से मामले में कोई जवाब नही दिया गया था.
जयपुर: राजस्थान में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. प्रदेश में आज भी 29 नए पॉजिटिव केस सामने आए है. इनमें अजमेर में सबसे ज्यादा 11, उसके बाद जयपुर में 8, चित्तौड़गढ में 5, बांसवाड़ा में एक, धौलपुर में एक, कोटा में एक और उदयपुर में एक पॉजिटिव मरीज मिला है. ऐसे में अब राजस्थान में पॉजिटिव मरीजों का ग्राफ 2393 पहुंच गया है. वहीं 52 इसकी चपेट में आने से 52 लोगों ने दम तोड़ दिया है.
VIDEO: हॉट स्पॉट जोन की गर्भवती महिलाओं की कोविड जांच ! प्रदेश में जननी सुरक्षा के प्रति चिकित्सा विभाग अलर्ट
प्रदेश में सबसे ज्यादा संक्रमण के केस जयपुर में: प्रदेश में सबसे ज्यादा संक्रमण के केस जयपुर में हैं. यहां 869 (2 इटली के नागरिक) संक्रमित हैं. इसके अलावा जोधपुर में 448 (इसमें 47 ईरान से आए), कोटा में 190, अजमेर में 146, टोंक में 131, भरतपुर में 110, नागौर में 117, बांसवाड़ा में 64, जैसलमेर में 49 (इसमें 14 ईरान से आए), झुंझुनूं में 42, झालावाड़ में 40, बीकानेर में 37, भीलवाड़ा में 35 मरीज मिले हैं. वहीं दौसा में 21, चूरू में 14, हनुमानगढ़ में 11, सवाईमाधोपुर में 13, चित्तौड़गढ़ में 8, अलवर में 7, डूंगरपुर में 6, सीकर में 6, उदयपुर में 8, धौलपुर में 10, करौली में 3, पाली में 3, बाड़मेर और प्रतापगढ़ में 2-2 कोरोना मरीज मिल चुके हैं. जबकि राजसमंद में सबसे कम 1 संक्रमित मिला है.
अलविदा...! जानिए, प्रसिद्ध अभिनेता इरफान खान के करियर से जुड़ी कुछ अहम बातें
मंगलावार को सामने आये थे 102 नए केस: इससे पहले मंगलवार को राजस्थान में 102 नए पॉजिटिव मामले सामने आए थे. इसमे सर्वाधिक 26 नए केस जयपुर में मिले थे. इसके अलावा अजमेर में 11, बांसवाड़ा में 1, धौलपुर में 4, जोधपुर में 25, कोटा में 24, नागौर में 1, सीकर में 1, टोंक में 8 और उदयपुर में एक पॉजिटिव केस चिन्हित किया गया था. ऐसे में प्रदेश में पॉजिटिव मरीजों का ग्राफ 2364 पहुंच गया था. वहीं पिछले 24 घंटे में कोरोना की चपेट में आने से 2 मरीजों ने दम तोड़ दिया था. ऐसे में प्रदेश में मौत का आंकड़ा 52 पहुंच गया था.