झारखंड स्थित दुमका राज्य एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। झारखंड का पूर्वोत्तर भाग दुमका जिले के अंतर्गत आता है। इस स्थल को नाग दुमका के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां की अधिकांश आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी है। इस शहर का नाम इसकी खास भौगोलिक स्थिल और खूबसूरत वातावरण के कारण पड़ा है। माना जाता है कि इस शहर का नाम मुगलो ने रखा था। यहां से बहने वाली अजय और मयूराक्षी नदी इसे संवारने का काम करती है। पर्यटन के लिहाज से यह एक खास स्थल है, जहां आप कई खूबसूरत जगहों का भ्रमण कर सकते हैं। प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से यह एक समृद्ध स्थल है। इस लेख के माध्यम से जानिए अपने विभिन्न पर्यटन आकर्षणों के साथ दुमका आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है। मसानजोर बांध दुमका भ्रमण की शुरुआत आप यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल मसानजोर बांध की सैर से कर सकते हैं। मयूराक्षी नदी पर बनाया गया यहा बांध जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां के प्राकृतिक नजारों को देखने के लिए स्थानीय के साथ दूर-दराज के पर्यटकों को आगमन भी होता है। यह स्थल वीकेंड के लिए काफी खास माना जाता है। जानकारी के अनुसार इस डैम का निर्माण 1955 में हुआ था और यह 34.4 मीटर ऊंचा और 609.6 मीटर लंबा है। इस बांध का निर्माण बिजली उत्पादन करने के उद्देश्य के किया गया था। आप यहां का प्लान अपने परिवार या दोस्तों के साथ बना सकते हैं। ततलोई मसानजोर बांध के अलावा आप शहर से ततलोई भ्रमण की सैर का प्लान बना सकते हैं। ततलोई दुमका जिले के अंतर्गत एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो अपने गर्म पानी के कुंड के लिए जाना जाता है। यहां रोजाना दूर-दराज के पर्यटकों का आगमन लगा रहता है। माना जाता है कि इस गर्म पानी के कुंड में औषधीय गुण हैं, जिसका पानी त्वचा संबंधी विकारों को दूर करने में मदद करता है। कुंड का आसपास का प्राकृतिक क्षेत्र देखने लायक है। आप ततलोई से रामगढ़ हिल्स भुरभुर नदी की सैर का प्लान बना सकते हैं। एक शानदार अनुभव के लिए यह एक आदर्श जगह है। मलूटी दुमका के पर्यटन स्थलों की श्रृंखला में आप मलूटी की सैर का प्लान बना सकते हैं, यह एक ऐतिहासिक स्थल है, जो अपने 72 पुराने मंदिरों के लिए जाना जाता है, जिनका निर्माण बज बसंत राजवंश के शासनकाल के दौरान हुआ था। इस स्थल को रामायण और महाभारत काल से जोड़कर भी देखा जाता है। हालांकि अब ये मंदिर प्राकृतिक आपदा और अपर्याप्त प्रबंधन की वजह से खंडहर बनने की कगार पर आ गए हैं। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं। कला-संस्कृति और अतीत में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक आदर्श स्थल हैं।