होम आइसोलेशन: कोरोना के मरीज की देखभाल कैसे करें, किन स्थितियों में अस्पताल ले जाने की जरूरत?

कोरोना वायरस के हल्के लक्षण वाले मरीज अपने घर में सेल्फ आइसोलेशन में रह सकते हैं। इसके लिए सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी किया है। होम आइसोलेशन में मरीज ऐसे रहें कि परिवार के अन्य सदस्यों के संपर्क में न आएं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, ऐसे मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्साकर्मियों को जांच करने के बाद पुष्टि करनी होगी कि मरीज में लक्षण मामूली या शुरुआती हैं। इसके साथ ही मरीज को जिला निगरानी अधिकारी को अपने स्वास्थ्य की नियमित जानकारी देनी होगी। घर पर ऐसे मरीजों को खास देखभाल की जरूरत है और मरीज की देखभाल करने वाले सदस्य को भी अपना ख्याल रखने की जरूरत है।

होम आइसोलेशन की पात्रता व्यक्ति की जांच के बाद तय होगा कि उसके भीतर शुरुआती लक्षण हैं या नहीं ऐसा कोई लक्षण है तो संबंधित व्यक्ति के साथ उसका परिवार घर पर आइसोलेट होगा मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को हर समय घर पर ही रहना होगा डॉक्टरी सलाह पर रोगी की देखभाल और उसके संपर्क में आने वाले हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा लेंगे मरीज अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और इसकी जानकारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी या अपने क्षेत्र के स्वास्थ्य विभाग की टीम को देते रहें आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करना होगा, ब्लूटूथ और इंटरनेट ऑन कर एप को एक्टिव रखना होगा
मरीज की देखभाल करने वाले ध्यान में रखें ये बातें मरीज के पास जाने से पहले मास्क पहन लें, मास्क को छुए नहीं मरीज के कमरे से बाहर निकलने के बाद मास्क को डिब्बाबंद डस्टबिन में फेंक दें हाथों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, नियमित हाथ धोते रहें मरीज की किसी छुई हुई चीज को सावधानी से छुएं या साफ करें मरीज की सेवा में लगे हैं तो रोगी का भी हाथ सैनिटाइज करवाएं
चेन को तोड़ना ही लक्ष्य अभी कोरोना पॉजिटिव को अस्पताल में क्वारंटीन किया जा रहा है संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए हर व्यक्ति को ध्यान रखना होगा नियंत्रण चरण में मामूली, मध्यम या गंभीर मरीजों की पहचान होगी फिर क्वारंटीन सेंटर, स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में भर्ती कराना होगा। बचाव के लिए आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करना होगा, ब्लूटूथ-वाईफाई ऑन रखें
कब अस्पताल जाने की जरूरत? तेज बुखार के साथ बेचैनी हो और तकलीफ बढ़ जाए सांस लेने में तकलीफ हो या सांस फूलने लगे सीने में दबाव महसूस हो या दर्द शुरू हो जाए चेहरा, होंठ अचानक से नीले पड़ने लग जाए इन परिस्थितियों में डॉक्टर की सलाह पर नजदीकी अस्पताल पहुंचें
ध्यान रहे मरीज से सीधे संपर्क में न आएं देखरेख करने वाले मरीज छींक या खांस रहा है तो उससे दूर रहें मरीज की नाक या मुंह से तरल पदार्थ निकल रहा है तो सावधान रहें मरीज को खाना कमरे में ही दें, उसके बर्तन को अलग से साफ करें मरीज की छुई हुई चीज को छूने से पहले ग्लव्ज जरूर पहनें नियमित अंतराल पर मरीज के तापमान की जांच करते रहें
मरीज भी रखें अपना ध्यान मास्क हमेशा पहनें रहें और हर आठ घंटे में उसे बदल दें हाथ 40 सेकंड तक धोएं या सैनिटाइजर से साफ करें सोडियम हाइपोक्लोराइट से डिसइन्फेक्ट करने के बाद ही मास्क को फेंके दूसरे लोगों से दूरी बनाकर रखे, दूसरों के कमरे में न जाएं रोगी को आराम करना होगा व पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीना होगा अपनी कोई भी व्यक्तिगत चीज किसी दूसरे को न दें
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना के 80 फीसदी मरीजों में मामूली, जबकि 20 फीसदी में गंभीर लक्षण होते हैं। इन 20 फीसदी मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। अस्पताल में भर्ती केवल पांच फीसदी को आईसीयू में शिफ्ट किया जाता है। होम आइसोलेशन के दिशानिर्देशों के मुताबिक, आइसोलेशन में रह रहे व्यक्ति की समय-सीमा तब खत्म होगी जब संबंधित क्षेत्र का चिकित्सा अधिकारी जांच पड़ताल के बाद इसकी पुष्टि कर देगा कि व्यक्ति में कोरोना का कोई लक्षण नहीं है। इसके लिए लैब में जांच होगी।

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