जयपुर हेल्थ। पूरी दुनिया में हर साल लगभग एक लाख बच्चे हर साल खसरा की बीमारी के कारण 5 साल से कम उम्र में ही मर जाते हैं। खसरा के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है, मगर बच्चों को बचपन में ही इसका टीका लगवाकर उन्हें इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है।
खसरे का खतरा उन बच्चों और बड़ों को सबसे ज्यादा होता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। आमतौर पर खसरा किसी संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकलने वाली लार, नाक से बहने वाले द्रव या छींकने, खांसने के दौरान निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदों के संपर्क में आने से होता है।
आमतौर पर इसके वायरस 2 घंटे तक सक्रिय रहते हैं और इस दौरान उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं। अगर घर में किसी एक बच्चे या व्यक्ति को खसरा हो गया, तो अन्य सदस्यों को भी इसके होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
शरीर पर दाने या चकत्ते निकलना, लगातार बुखार आना, तेज और लगातार खांसी आना, लगातार नाक बहना, आंखों का लाल हो जाना खसरा के कुछ समानये लक्षण है। खसरे का टीका बच्चों को 9 माह से 1 साल की उम्र के बीच लगाया जाता है।
इसके बाद इसका एक बूस्टर डोज लगाया जाता है, जो 18वें महीने से 2 साल की उम्र के बीच लगवाया जाता है। कई बार कुछ बच्चों को खसरे के साथ कुछ अन्य जानलेवा बीमारियों का टीका मिलाकर एक बार में ही लगा दिया जाता है।