जब गिलक्रिस्ट ने ग्लव्स में बॉल छिपाकर ऑस्ट्रेलिया को वर्ल्डकप जिताया

साल 2003 वर्ल्डकप फाइनल. इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया ऐतिहासिक मैच. रिकी पोन्टिंग की 140 रनों की ऐतिहासिक पारी ने भारत से 20 साल बाद वापस आए मौके को छीन लिया. उस मैच के बाद ऐसी बहुत-सी बातें कानों से गुज़रीं कि पोन्टिंग के बल्ले में स्प्रिंग था. खैर इन बातों के साथ-साथ 2003 विश्वकप भी आया और गया.

चार साल बाद 2007 में फिर से विश्वकप आया. इंडियन टीम टूर्नामेंट में उतरी और हारकर पहले ही राउंड में ही बाहर हो गई. इस टूर्नामेंट की शुरुआत में ही इंडिया और पाकिस्तान के बाहर होने के बाद करोड़ों लोगों का इससे मोह भंग हो गया.
28 अप्रैल 2007: ऑस्ट्रेलिया vs श्रीलंका, बारबडोस, वर्ल्डकप फाइनल
इस बार फिर से ऑस्ट्रेलिया फाइनल में था. फाइनल था श्रीलंका के साथ. लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंची ऑस्ट्रेलियन टीम का फिर से वही काल रूप दिखा. उन्होंने श्रीलंका को बुरी तरह से रौंद दिया. इस बार ऑस्ट्रेलिया की जीत के नायक थे 'सम्मानजनक' एडम गिलक्रिस्ट.
गिलक्रिस्ट की पारी की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने बारिश के बीच इस मैच में 38 ओवर में 4 विकेट खोकर 281 रन बनाए. जवाब में श्रीलंका की टीम ने कोशिश तो की, लेकिन 36 ओवर में सिर्फ 215 रन ही बना सकी. 53 रनों के साथ ऑस्ट्रेलिया ने विश्वकप जीत की हैट्रिक लगा दी थी.
मैच जीत के बाद गिलक्रिस्ट का सम्मान जाता दिखा!
गिलक्रिस्ट ने उस मुकाबले में 149 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली. लेकिन शतक पूरा करते ही लाखों क्रिकेट फैंस की नज़र में वो विलेन बन गए. दरअसल गिलक्रिस्ट ने शतक पूरा करने के बाद अपने बल्ले और गेंद के अलावा अपना ग्लव्स भी दिखाया.
इस ग्लव्स में कोई मोटी सी चीज़ छुपी दिख रही थी. इस लम्हे को संगाकारा भी देख रहे थे, श्रीलंकन भी देख रहे थे, मैदान पर मौजूद दर्शक भी देख रहे थे और टीवी पर मैच देख रहे दुनियाभर के फैंस भी.
ऑस्ट्रेलिया के विश्वकप जीतने के बाद गिलक्रिस्ट ने खुदकर आकर बताया-
"मैंने अपने ग्लव्स के अंदर एक स्कवॉश की बॉल छुपा रखी थी, जिससे बल्ले की ग्रिप मजबूत हो सके. क्रिकेट में ये कोई नई तकनीक नहीं है. हां, लेकिन बहुत से लोग इसे मैच में इस्तेमाल नहीं करते."
13 साल से नेट्स में इस ट्रिक को आज़मा रहे थे गिली
दरअसल गिली को ये ट्रिक उनके बैटिंग कोच बॉब म्यूलोमेन ने सिखाई थी. उन्होंने भी इस घटना के बाद सामने आकर कहा था-
"मैंने गिली के साथ 12-13 साल तक नेट्स में स्क्वॉश बॉल के साथ प्रेक्टिस की है. लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल मैच में अब किया है."
गिलक्रिस्ट ने बाद में आईसीसी को दिए एक इंटरव्यू में इस तकनीक के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा था-
"मैं पर्थ में बल्लेबाजी कोच की सलाह पर इस छोटे उपकरण का उपयोग कर रहा हूं. अक्सर, वो मुझे इस स्क्वैश गेंद को अपने बैटिंग ग्लव्स के नीचे रखने के लिए देते हैं. मेरे कोच ने मुझे बताया कि इसका इस्तेमाल करते वक्त बाएं हाथ की आखिरी की दो या तीन उंगलियों से बल्ले की ग्रिप को ज्यादा ज़ोर देकर नहीं पकड़ना होता."
एमसीसी की मोटी किताब में इसके लिए कोई नियम नहीं है हालांकि इस घटना के सामने आने के बाद श्रीलंकाई क्रिकेट ने आईसीसी से इस बारे में शिकायत भी की. श्रीलंकाई क्रिकेट ने तब कहा था- "उन्होंने क्रिकेट की स्पिरिट और परंपरा को नुकसान पहुंचाया है." लेकिन क्रिकेट के नियम बनानी वाली संस्था एमसीसी ने श्रीलंका की शिकायत को सिरे से ये कहते हुए नकार दिया था- "गिलक्रिस्ट ने क्रिकेट के नियम और स्पिरिट से किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया है." इस घटना के बाद खूब हो-हल्ला भी हुआ. लेकिन क्रिकेट की नियम बनाने वाली संस्था एमसीसी की मोटी किताब में इस तरह की घटना को रोकने के लिए लिए कोई भी नियम निकलकर सामने नहीं आया.

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