कोरोना वायरस ने पूरी संसार को अपनी चपेट में ले लिया है. हिंदुस्तान में भी कोविड-19 के मुद्दे बढ़ रहे हैं. लोगों के मन में रोज नए-नए सवाल उठ रहे हैं. यहां हम दुनिया स्वास्थ्य संगठन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही कोरोना से जुड़ी जानकारियों को आप तक पहुंचाएंगे.
ठीक होने के बाद भी कुछ लोग जाँच में कोविड-19 पॉजिटिव क्यों निकल रहे हैं? डब्ल्यूएचओ के निर्देशों के अनुसार, अच्छा होने के बाद भी मरीज की जाँच दो बार नेगेटिव आनी चाहिए. हम दो तरह से आदमी के वायरस से सम्पर्क को जानते हैं. एक शरीर में वायरस की मौजूदगी की जाँच करके व दूसरा एंटीबॉडी जाँच से. वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने में शरीर को करीब 7 दिन लगते हैं. अगर एंटीबॉडी जाँच उससे पहले की जाती है, तो रिपोर्ट नेगेटिव आने की संभावना बढ़ जाती है. जाँच की पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट करते हैं. हालांकि 10 में से 3 में आरटी-पीसीआर की जाँच गलत हो सकती है.
सार्वजनिक इमारतों, सोसायटी की लिफ्ट और सीढ़ियों का इस्तेमाल करना कितना सुरक्षित है? लिफ्ट के बटन व सीढ़ियों की रेलिंग ऐसी जगहें हैं, जहां से संक्रमण का खतरा होने कि सम्भावना है. सीढ़ियां चढ़ते समय जहां तक हो सके, रेलिंग आदि को न पकड़ें. लिफ्ट का बटन दबाते समय टिश्यू पेपर का प्रयोग कर सकते हैं. उंगली की बजाय कोहनी से दबा सकते हैं. एक बार इस्तेमाल के बाद टिश्यू पेपर डस्टबिन में फेंक दे. अगर छूना पड़ रहा है, तो हाथ धोए बिना चेहरे आदि को न छुएं. हालांकि बड़ी सोसायटी और सार्वजनिक इमारतों को असंक्रमित करने पर ध्यान दिया जा रहा है. फिर भी, आपको एहतियात रखना होगा. हाथ धोते रहें.
घर में बनाए सैनिटाइजर कितने सुरक्षित हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि घर में सैनिटाइजर बनाना दरअसल उतना सरल है नहीं, जितना कई सारे वीडियोज में दिखाया जाता है. इसमें प्रयोग सामग्री का अनुपात बेहद अहम होता है, जिसके गड़बड़ाने पर यह प्रभावी नहीं होगा. साथ ही, सामग्री का असंतुलित अनुपात स्कीन को नुकसान भी पहुंचा सकता है. वैसे अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी के अनुसार, सैनिटाइजर के बदले साबुन व पानी से अच्छी तरह हाथ धोना कोरोना वायरस से बचाव में कहीं ज्यादा प्रभावी है.