कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से भारत समेत पूरा विश्व परेशान है। इस घातक वायरस के संकट से श्रीलंका भी जूझ रहा है। श्रीलंका में हाल ही में 60 नौसैनिक कोरोना पीड़ित पाए गए। अबतक यहां पर करीबन 420 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक तौर पर श्रीलंका बहुत ही अच्छा देश है, जिसका इतिहास काफी पुराना है। 70 फीसदी बौद्ध आबादी वाले इस देश के लोग बेहद धार्मिक हैं। इसके अलावा श्रीलंका में 12 फीसदी हिंदू, 9 फीसदी मुस्लिम और 7 फीसदी क्रिश्चियन हैं। हालांकि इस देश के नागरिक खुद को धर्म के आधार पर पुकारा जाना बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं। श्रीलंका में एक ऐसा भी मठ है, जहां महात्मा बुद्ध के दांत रखे गए हैं। इस मठ के प्रति लोगों की बहुत ही श्रद्धा है और पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ के लिए लोगों को छुट्टी मिलता है।
चावल के बिना खाना अधूरा श्रीलंकन लोगों को ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर तीनों समय चावल से बनी चीज खाने को मिल जाए तो उससे बढ़िया और कुछ नहीं हो सकता है। यहां के लोग नाश्ते में चावल से बने नूडल्स खाना पसंद करते हैं। इसके साथ ही नारियल भी इनके हर पकवान में शामिल होता है। यहां पर नारियल की कई तरह की डिश बनाई जाती है। यहां की सबसे खास बात ये है कि लोग अपने खाने की हर चीज पर ऊपर से नमक और काली मिर्च डालते हैं, चाहे वो आम ही क्यों न हो।
साक्षरता में आगे श्रीलंकन लोग एशिया के सबसे पढ़े-लिखे लोगों में शुमार हैं। यहां पर साक्षरता दर 92 फीसदी है। साथ ही श्रीलंकन लोग साक्षरता में ही नहीं बल्कि कमाई में भी कई देशों से आगे हैं। इसलिए यहां प्रति व्यक्ति जीडीपी के लिहाज से देखें तो यह एशिया का दूसरा सबसे अमीर देश है।
क्रिकेट का शौकीन देश वैसे तो श्रीलंका का राष्ट्रीय खेल वॉलीबॉल है, लेकिन भारत के तरह ही यहां के लोगों को क्रिकेट में ज्यादा दिलचस्पी है। श्रीलंका में 1996 का एक क्रिकेट मैच बहुत ही ज्यादा अहमियत रखता है। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराकर श्रीलंका ने पहली बार और इकलौता विश्वकप अपने नाम किया था।
यहां की कुछ खास बातें श्रीलंका को दुनिया में चाय की राजधानी के तौर पर जाना जाता है। यहां पर पहली बार चाय का आगमन 1867 में हुआ था। इससे पहले श्रीलंका कॉफी के लिए पूरे विश्व में मशहूर था। हमलोग 'हां' कहने के लिए सिर ऊपर और नीचे को हिलाते हैं लेकिन श्रीलंकन लोग अपना सिर दाएं-बाएं हिलाते हैं। स्मार्ट और हैंडसम आदमी को श्रीलंका में 'डूड' के बदले 'मचान' कहा जाता है। भारतीय परंपरा की तरह श्रीलंका में भी महिलाएं पुरुषों व बच्चों को खाना खिलाने के बाद खुद खाना खाने बैठती हैं।