मिथिला में नहीं मुंबई में बजी थी 'सीता' जन्म की बधाई, दीपिका की 10 अनसुनी कहानियां

रामानंद सागर के निर्देशन में बने धारावाहिक 'रामायण' में सीता का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका चिखलिया को भारत के हर घर में माता सीता के रूप में ही पहचाना जाता है। यह सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि सीता एक देवी हैं, बल्कि यह इसलिए है क्योंकि दीपिका ने देवी सीता के किरदार को पर्दे पर कुछ इस तरह निभाया कि लोग उन्हें ही माता समझने लगे। लोगों की नजर में दीपिका सिर्फ देवी सीता हैं जबकि उन्होंने अपने पूरे अभिनय करियर में अब तक भारत की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं की फिल्मों में काम किया है। रामानंद सागर के धारावाहिक 'रामायण' के अलावा कई और टीवी शोज का भी दीपिका हिस्सा रही हैं। माता सीता के किरदार को पर्दे पर जीवंत करने वाली अभिनेत्री दीपिका चिखलिया की आज हम आपको कुछ रोचक कहानियां बताते हैं।

दीपिका का जन्म 29 अप्रैल 1965 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था। दीपिका का रुझान शुरुआत से ही अभिनय की तरफ था। वह अपने स्कूल में भी हमेशा छोटे-मोटे नाटकों में भाग ले लिया करती थीं। एक इंटरव्यू में दीपिका ने खुद बताया कि उनके पिता जी का ट्रांसफर कोलकाता में हुआ जहां वह चार साल रहीं। एक पार्टी के दौरान बंगाली फिल्मों के जाने माने अभिनेता उत्तम कुमार ने जब उन्हें देखा तो उन्होंने अपनी फिल्म में दीपिका को बाल कलाकार के रूप में लेने की बात कही। हालांकि दीपिका बहुत छोटी थीं इसलिए उनके मम्मी पापा ने इसकी इजाजत नहीं दी। उनका मानना था कि इससे दीपिका की पढ़ाई लिखाई में बाधा आएगी।दीपिका के पूर्वज गुजरात से हैं उस हिसाब से दीपिका का मूल वहीं से जुड़ा हुआ है। हालांकि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मुंबई से ही की। उस वक्त दीपिका 14 साल की थीं जब उन्होंने कमर्शियल विज्ञापनों में काम करना शुरू कर दिया था। दीपिका ने लोगों के दिलों दिमाग पर यहीं से छाप छोड़ना शुरू कर दिया था। उनके पिता को उनका फिल्मों में काम करना बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन दीपिका की मां शुरुआत से ही हमेशा दीपिका का सहयोग किया करती थीं।
दीपिका के फिल्मी करियर की शुरुआत बहुत अच्छी हुई थी। उन्हें पहली ही फिल्म राजश्री प्रोडक्शन की मिली। वर्ष 1983 में उन्हें सबसे पहले राज किरण के साथ फिल्म 'सुन मेरी लैला' में मुख्य अभिनेत्री के तौर पर देखा गया। दीपिका ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह फिल्म इतने बड़े बैनर की थी, फिर भी इसको रिलीज होने के लिए बहुत वक्त लगा। हालांकि अंत में इस फिल्म को रिलीज की तारीख मिली और यह फिल्म काफी अच्छी चली।राजश्री प्रोडक्शन ने दीपिका चिखलिया को शुरुआत तो अच्छी दिला दी। उसके बाद दीपिका का करियर बहुत अच्छा चल रहा था। जब राजश्री प्रोडक्शन ने दीपिका को अपने ही एक धारावाहिक 'पेइंग गेस्ट' के एक एपिसोड में काम करने के लिए पूछा तो दीपिका ने हां कर दिया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि फिल्मों के बाद उस समय में टीवी करना बहुत बुरी बात थी। ऐसा समझा जाता था कि इस कलाकार के पास कोई काम नहीं है इसलिए अब टीवी में आ गया है। लेकिन राजश्री प्रोडक्शन का उनके ऊपर एक एहसान था इसलिए वह इस धारावाहिक के लिए मना नहीं कर पाईं।
इस धारावाहिक के बाद दीपिका के पास दूसरे टीवी शोज की लाइन लग गई थी। उन्होंने रामानंद सागर के धारावाहिक विक्रम बेताल में शानदार काम किया। इस धारावाहिक की अलग-अलग छोटी-छोटी कहानियों में वह कई छोटे और बड़े किरदारों में नजर आईं। उन्होंने इस धारावाहिक में इतना काम किया कि वह रामानंद सागर की सबसे पसंदीदा अभिनेत्रियों में से एक बन गईं। उस दौर में मीडिया में उनकी छवि ऐसी बन गई थी कि उन्हें टीवी शोज की रानी कहा जाने लगा था। फिर वह वक्त आया जब दीपिका को रामानंद सागर के ही सबसे लोकप्रिय टीवी धारावाहिक 'रामायण' में सीता के किरदार के लिए चुना गया। हालांकि, उन्हें धारावाहिक यह धारावाहिक इतनी आसानी से नहीं मिल गया था। इस किरदार के लिए लगभग 25 कलाकारों ने एक साथ स्क्रीन टेस्ट दिया था। चूंकि दीपिका पहले से ही अभिनय में सक्रिय थीं इसलिए उनके लिए यह टेस्ट देना थोड़ा सा आसान रहा। टेस्ट में उनके संवाद बोलने और चेहरे के हाव-भाव का ही नहीं, बल्कि उनके चलने फिरने का भी पूरा जायजा लिया गया था।
दीपिका की जिंदगी में सीता का यह किरदार उनके लिए अब तक का सबसे बड़ा काम रहा। इस किरदार को निभाने के बाद उन्हें भारत के घर-घर में जाना जाने लगा। या फिर यूं कहें कि पूजा जाने लगा तो भी गलत नहीं होगा। इस किरदार को निभाने के बाद उनकी लोकप्रियता इतनी ऊपर हो गई कि उस समय के भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें खुद अपने यहां दावत पर बुलाया। उसी वक्त दीपिका राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी से भी मिलीं और उन दोनों ने भी उनकी बहुत तारीफें कीं।दीपिका एक बार की घटना का जिक्र करते हुए बताती हैं कि उनके घर पर एक शादी का निमंत्रण पत्र आया। दीपिका के पिता ने वह पत्र दीपिका के हाथ में देते हुए कहा कि पढ़ो। दीपिका ने सोचा कि पिताजी उन्हें अपनी जगह शादी में भेजना चाहते होंगे। इसलिए उन्होंने वह पत्र खोल कर देखा। उस पत्र में साफ-साफ लिखा हुआ था कि 'हस्त मिलाप का समय रामायण धारावाहिक के एपिसोड के खत्म होने के बाद'। इस किरदार को निभाने के बाद ना जाने और कितने ऐसे ही किस्से दीपिका के अनुभव का एक हिस्सा बने।
टीवी और फिल्मों में काम करने के अलावा दीपिका ने अपनी उपस्थिति भारतीय राजनीति में भी दर्ज कराई। वर्ष 1991 में उन्होंने भाजपा की तरफ से गुजरात के बडोदरा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन चुनावों में उन्होंने राजा रणजीत सिंह गायकवाड को 50 हजार वोटों से मात दी थी। दीपिका के लिए यह वह समय था जब लोग उनकी पूजा करते थे। हालांकि, वह बताती हैं कि राजनीति में जाने का उनका कोई विचार नहीं था। यह तो 'रामायण' में रावण का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी की वजह से हुआ था। उन्होंने ही दीपिका को राजनीति में जाने की सलाह दी थी।दीपिका ने कॉस्मेटिक्स के एक बहुत बड़े व्यापारी हेमंत टोपीवाला से शादी की। इस शादी से उन्हें दो लड़कियां हुईं जिनका नाम निधि टोपीवाला और जूही टोपीवाला है। दीपिका को शुरुआत से ही पेंटिंग करने का बहुत शौक रहा है। आज भी जब उन्हें खाली वक्त मिलता है तो वह अपना समय पेंटिंग करने में इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा वह अपने पति के बिजनेस में भी हाथ बंटाती हैं। उनके ऑफिस में दीपिका रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में काम करती हैं। उसके साथ ही वह कंपनी की मार्केटिंग हेड भी हैं।

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