नेशनल हेल्थ सर्विसेज के अस्पतालों के मुताबिक ब्रिटेन में कोरोना वायरस के मौत से का सबसे ज्यादा खतरा एशियाई और अल्पसंख्यकों को है संक्रमण के जो मामले सामने आया उसने यह ट्रेंड देखने को मिला है अस्पतालों से जारी आंकड़ों के मुताबिक गोरों के मुकाबले में संक्रमण अश्वेतों में संक्रमण के बाद मौत का आंकड़ा दोगुना हैइसका मतलब है ब्लैक एशियन एंड माइनोरिटी एथेनिक आंकड़े सामने आने के बाद सरकार ने इसे असामनता की वजह को समझने के लिए जांच शुरू कर दी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक एनएच के अस्पतालों ने जो आंकड़ा जारी किया है उसके मुताबिक 1000 लोगों पर 23 ब्रिटिश 27 एशियन और 4 3 अश्वेत लोगों की मौत हुई है 1000 लोगों पर 69 मौतों के साथ सबसे ज्यादा खतरा केबियाई लोगों के लिए है वही सबसे कम खतरा बांग्लादेशियों को है स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में रह रहे कि कैरेबियायी मूल के लोग लगभग हर क्षेत्र में है यह ज्यादातर होमवर्कर , बस ड्राइवर ,चर्च लीडर्स और कलाकार हैं बेम कम्युनिटी के बढ़ते मौत के मामले में इंग्लैंड अकेला देश नहीं है स्वीडन की कुल आबादी का 5 फ़ीसदी संक्रमण वहां रह रहे सोमानिया के अश्वेत लोगों को है।
वही शिकागो में कोरोना से अश्वेतों की होने वाली मौतों का आंकड़ा 70 फ़ीसदी है ब्रिटेन के डॉक्टर नागपाल के मुताबिक जरूरी चीजों का अभाव एक सेहतमंद जीवन को प्रभावित करता है और कैरेबियायै लोग ब्रिटेन के लोगो से कहीं ज्यादा गरीब है यह जिस तरह के प्रोफेशन में है वहां संक्रमण का खतरा भी अधिक है आमतौर पर यह हेल्थ ,सामाजिक मदद, दुकानदार और पब्लिक सर्विस से जुड़े हैं इनके काम ही ऐसे हैं कि इनको अधिकतर सोशल डिस्टेंसिंग बनाना संभव नहीं हो पाता और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
मानव अधिकार आयोग के पूर्व प्रमुख एवं स्लिप्स के मुताबिक आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं अगर कोई यह मान रहा है कि कोरोना वायरस भेदभाव नहीं करता है तो वह इंसान या तो आंकड़ों को ध्यान से नहीं देख रहा है या हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहता है ट्रैवल फिलिप्स ने सरकार को इस मामले की समीक्षा करने की सलाह दी है।