फिल्में छोड़ ओशो से प्रभावित होकर संन्यासी बन गए थे विनोद खन्ना, बर्तन से लेकर आश्रम में साफ करते थे टॉयलेट

बॉलीवुड के हैंडसम हीरो विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। विनोद खन्ना का स्टारडम ऐसा था कि उनके सामने किसी और हीरो की गिनती तक नहीं होती थी। कहा तो ये भी जाता है कि विनोद खन्ना में बॉलीवुड का महानायक बनने की क्षमता थी लेकिन संन्यासी बनने की चाहत ने उन्हें करियर के सबसे ऊंचे शिखर से नीचे खींच लिया। हालाकि वो दोबारा लौटे और उन्होंने अपने करियर को फिर उन्हीं ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 27 अप्रैल 2017 को विनोद खन्ना का मुंबई में निधन हो गया था।

विनोद खन्ना ओशो (आचार्य रजनीश) से प्रभावित होने लगे थे। 1982 में वह रजनीश आश्रम में संन्यासी बन गए। इससे पहले उन्होंने घंटों ओशो के वीडियो देखे। उनके साथ समय बिताया। वह सोमवार से लेकर शुक्रवार तक बॉलीवुड में काम करते और फिर उनकी कार पुणे की ओर भागती नजर आती। हफ्ते के आखिरी दो दिन वह पुणे के ओशो आश्रम में गुजारते।
विनोद खन्ना ने एक इंटररव्यू में कहा था, 'मैं ओशो के बगीचे (अमेरिका में) की रखवाली करता था। मैं टॉयलेट साफ करता था। मैं खाना बनाता था और उनके कपड़ों का नाप मुझसे लिया जाता था क्योंकि हमारी कद-काठी एक थी।'
अमर उजाला से खास बातचीत में विनोद खन्ना के बेटे अक्षय खन्ना ने उनकी निजी जिंदगी के राज से पर्दा उठाया था। इस बारे में बात करते हुए अक्षय ने कहा था, 'संन्यास जीवन की दिशा बदल देने वाला फैसला होता है। मेरे पिता को जब लगा की उन्हें यह करना चाहिए तो उन्होंने यह किया। जब मैं पांच साल का था तब मैं यह बात नहीं समझ सकता था लेकिन अब मैं यह बात समझ सकता हूं।'
10 साल बाद विनोद खन्ना ने संन्यासी जीवन छोड़कर फिर से बॉलीवुड में एंट्री की थी। ऐसा कहा जाता है कि बहुत लोगों को ओशो से मोहभंग हो गया था इसलिए विनोद खन्ना अपनी पुरानी जिंदगी में वापस आ गए थे। इस बारे में अक्षय का कहना था कि जितना उन्होंने इस बारे में अपने पिता से बात की और समझा तो उनकी वापसी की यह वजह तो बिल्कुल भी नहीं थी। दरअसल वह धर्म-संप्रदाय भंग हो गए थे जिसके बाद सभी को अपनी राह खोजनी पड़ी। उनके पिता भी उसी वक्त वापस आए। अन्यथा वह कभी भी वापस नहीं आए होते।

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