डिजिटल रिव्यू: हंड्रेड (वेब सीरीज) कलाकार: लारा दत्ता, रिंकू राजगुरु, करण वाही, सुधांशु पांडे, परमीत सेठी, मकरंद देशपांडे, राजीव सिद्धार्थ आदि निर्देशक: रुचि नारायण, आशुतोष शाह और ताहेर शब्बीर ओटीटी: हॉटस्टार रेटिंग: ***1/2 राकेश, अमित और तिलक नाम के तीन किरदारों की तिकड़ी मशहूर निर्देशक के बालाचंदर की 1983 में रिलीज फिल्म जरा सी जिंदगी में अपने नामों के पहले अक्षर लिखकर आर ए टी यानी रैट की तिकड़ी बनाती है। ऐसी ही एक तिकड़ी रुचि, आशुतोष और ताहेर ने हॉटस्टार की वेब सीरीज हंड्रेड में बनाई है। वैसे तो हिंदी पट्टी में कहावत है कि तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा लेकिन यहां क्रिएटिव टीम में आशुतोष दुबे की एंट्री टीम को चौकड़ी भरने का मौका दे देती है। आठ एपीसोड की वेब सीरीज हंड्रेड में आपके मनोरंजन के लिए बहुत कुछ है। कुछ कमियां भी हैं लेकिन लारा दत्ता और रिंकू राजगुरु की केमिस्ट्री इन सबको ढक लेती है।
42 साल की लारा दत्ता और 18 साल की रिंकू राजगुरु के लिए बिल्कुल सही कहानी है हंड्रेड। दोनों अपनी अपनी जिंदगी में दुखी प्राणी हैं। एसीपी सौम्या शुक्ला को उनका अपना ही पुलिस विभाग खुलकर कुछ करने नहीं दे रहा और ठेके पर मतगणना करने वाली कंपनी में काम करने वाली नेत्रा को सरकारी अस्पताल की मेडिकल जांच ने बता दिया है कि उसकी जिंदगी बस सौ दिन की बाकी है। दोनों जिंदगी के एक चौराहे पर मिलते हैं। एक दूसरे को कभी टंगड़ी मारकर तो कभी मदद करके जिंदगी में रफ्तार का रोमांच महसूस करने की दोनों कोशिश करते हैं और पहुंचते हैं उस स्टेशन पर जहां से दोनों एक दूसरे के रास्ते फिर से काटने को तैयार हैं, लेकिन सीजन 2 में।
हंड्रेड के सीजन वन में 12 मसाले 56 जायके हैं। आईएफएस छोड़ आईपीएस बनी सौम्या शुक्ला के कंधे पर तीन सितारे और महाराष्ट्र पोलीस सेवा क्यों लिखा है, ये तो सीरीज के निर्देशक ही जानें लेकिन उसकी हरकतें आप जज करें, उससे पहले ही वह इसकी चेतावनी दे देती है। एक स्ट्रगलर सिंगर कम डीजे की वह बेडटाइम दोस्त है। ये डीजे उसका खबरी भी है। नेत्रा उसे राह चलते मिली मौका है। उसका कब, कहां, कैसे और कितना इस्तेमाल करना है, इसकी रेसिपी सीखते सीखते सौम्या जिंदगी के तमाम दांव पेंच भी सीख जाती है। अपने ऊपर लगी डिमार्टमेंट की आइटम गर्ल की चिप्पी हटाने के लिए सौम्या जो कुछ करती है, वह देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बुनावट पर गहरी चोट करने वाली टिप्पणी भी है।
वेब सीरीज हंड्रेड के आठों एपीसोड बिंच वॉच में देखे जाने लायक है। चौथे एपीसोड को छोड़ दिया जाए तो सीरीज के बाकी एपीसोड्स की पटकथा बहुत चुस्त है। लारा दत्ता यहां माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर जैसी अभिनेत्रियों के लिए एक सबक भी बनकर आती हैं। और वह बताती हैं कि चालीस पार करने के बाद कैसे खुद पर हंसकर भी लोगों को हंसाया जा सकता है। लारा को लाइनें भी अच्छी मिली हैं। हंसते हंसते शब्द चबाकर गालियां देने का उनका स्टाइल रोचक है। वेब सीरीज हंड्रेड लारा का नया लप्पा है और इसे लपकने में कोई बुराई भी नहीं है। रिंकू राजगुरू ने हिंदी मनोरंजन जगत में डेब्यू के लिए बिल्कुल सही सीरीज चुनी है। उनके भीतर कहीं से भी स्मिता पाटिल या नंदिता दास की जगह लेने की उत्सुकता नहीं दिखती। रिंकू कॉमेडी में वह स्पेस लेने की कोशिश में दिखती हैं, जहां कभी गोविंदा राज किया करते थे।
सीरीज की कास्टिंग बहुत सही है। सौम्या के बॉस बने परमीत सेठी का कांइयांपन, पति बने सुधांशु पांडे के भीतर बीवी को लेकर हमेशा उबलती रहनी वाली असुरक्षा, सट्टा लगाने वाली कंपनी के सत्तू अंकल यानी मकरंद देशपांडे, नेत्रा को पहली नजर में ही भा जाने वाला सट्टाबाज यानी राजीव देशपांडे और डीजे बने करण वाही, सब इस सीरीज की फुलझड़ियां बनकर जहां जरूरत हो, वहां छूटते रहते हैं। और, कलाकारों की इस दीवाली का अनार बम है सुयश जुनजुरके। हर वक्त पैसा बनाने वाली किसी न किसी स्कीम में बिजी रहने वाले सुयश की ख्वाहिश नेत्रा के साथ घर बसाने की तो है, लेकिन जिंदगी बसाने की कोई स्कीम उसके पास नहीं है।
तकनीकी रूप से भी वेब सीरीज हंड्रेड अच्छी बन पड़ी है। सीरीज का कैमरावर्क दर्शकों को इसकी कहानी का हिस्सा बनाने में कामयाब है। कहानी चूंकि पुलिस, अस्पताल और अपराधियों के बीच खूब घूमती है तो तारों, सितारों की रिसर्च थोड़ी बेहतर हो सकती थी। सीरीज का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है पर फिल्म लव सेक्स और धोखा के टाइटल सॉन्ग का इस्तेमाल फिट नहीं बैठता। सीरीज का कॉन्सेप्ट धांसू है। सीजन वन खत्म भी बहुत सस्पेंस वाले मोड़ पर हुआ है। पहले सीजन की कमियां ठीक की जा सकीं तो ये सीरीज दूसरे सीजन में और उसके बाद भी लंबा खिंच सकती है।