भारतीय सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री नूतन ने 'सीमा', 'सुजाता', 'बंदिनी', 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' जैसी फिल्मों में सशक्त अभिनय किया है। उन्होंने बॉलीवुड में वुमन सेंट्रिक रोल वाली फिल्मों में काम करके बनाई। बॉलीवुड फिल्मों में अभिनेत्रियों के शोपीस होने की परंपरा को नूतन ने ही बदला।
बता दें कि 'मिस इंडिया' का खिताब जीतने वाली नूतन पहली अभिनेत्री बनीं थीं। इतना ही नहीं उन्होंने लंबे समय तक सबसे ज्यादा फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किये हैं। जमाना उनकी सरलता का दीवाना था और कहता कि वल्लाह जवाब तुम्हारा नहीं।
'मिस इंडिया' का खिताब जीतने वाली नूतन पहली एक्ट्रेस बनीं
नूतन ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत चाइल्ड एक्ट्रेस के तौर पर की थी। उनकी पहली फिल्म नल दमयंती बतौर चाइल्ड अभिनेत्री थी। वह पहली अभिनेत्री थीं जिन्होंने यह टाइटल हासिल किया था। नूतन के घर का माहौल फ़िल्मी था और इसे के चलते वह अकसर अपनी मां की शूटिंग पर जाती थीं। इसी वजह से फिल्मों की तरफ उनका रुझान हो गया और अभिनेत्री बनने का ख्वाब वह देखने लगीं।
उन्होंने फिल्म हमारी बेटी साल 1950 में 14 साल की उम्र में की। इस फिल्म का निर्माण उनकी मां शोभना समर्थ ने किया था। 'हमलोग', 'शीशम', 'परबत' और 'आगोश' जैसी फिल्में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर की। उसके बाद लंदन वह चली गईं थी और जब वह वापस आईं तो उन्होंने फिल्म सीमा में विद्रोही नायिका का किरदार निभाया था और उसके लिए बेस्ट एक्ट्रेस का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड उन्हें मिला था।
हीरो के बराबर के रोल या लीड रोल उन्हें शादी के बाद भी ऑफर होते रहे
उस समय कहा जाता था कि एक्ट्रेस का करियर शादी खत्म हो जाता है लेकिन नूतन के स्टारडम की वजह से अपनी फिल्मों में फिल्ममेकर्स उन्हें शादी के बाद भी लेने को तैयार रहते थे। वे सुनिश्चित करते थे उन्हें फिल्म में लेने से पहले कि फीमेल लीड की भूमिका सशक्त और हीरो के बराबरी हो। पाथ ब्रेकिंग किरदार निभाने के लिए नूतन को पहचान मिली थी।
फिल्मों में साड़ी में लिपटी शांत, सरल और सुलझी हुई महिला का किरदार भी नूतन ने निभाया साथ ही उन्होंने बोल्ड कपड़े भी स्क्रिप्ट की डिमांड पर पहने। उनसे इंस्पायर शबाना और स्मिता पाटिल जैसी एक्ट्रेसेज भी हुईं। बॉलीवुड के दिग्गज निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि नूतन जैसी सहज और करिश्माई एक्ट्रेस उन्होंने नहीं देखी। नूतन जैसी एक्टिंग वह चाहकर भी किसी से नहीं करवा सकते।
नूतन को देखकर अमिताभ स्कूटर से गिरते-गिरते बचे थे
जब अमिताभ बच्चन दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे तब के समय की यह बात है। नूतन को सड़क पार करते हुए एक दिन उन्होंने देखा था। उस समय पति रजनीश बहल के साथ नूतन थीं। उस समय कनॉट प्लेस के पास से अमिताभ स्कूटर से जा रहे थे। उन्हें देखते ही स्कूटर से वह गिरने वाले थे पर वह बच गए थे।
इस बात का जिक्र अमिताभ ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था कि, नूतन अपने काम के प्रति बहुत संजीदा थीं। वे सुबह 6 बजे के शॉट के लिए 'सौदागर' के सेट पर सबसे पहले मेकअप लगाकर रेडी रहती थीं। बेहद शानदार उनके बातचीत करने का तरीका था। ह सिंगिंग भी करती थीं, एक बार जब मैं और नूतन दिल्ली में एक फंक्शन के दौरान मिले तब वे वहां परफॉर्म कर रही थीं। उन्होंने मुझसे स्टेज पर जाने से पहले कहा कि मैं भी उनके साथ स्टेज पर ऑडियंस के सामने चलूं, जो मेरे लिए गर्व की बात थी।
नूतन ने किया प्रेग्नेंसी में भी काम, 'बंदिनी' बनी करियर की बेस्ट फिल्म
अपने करियर में तमाम हिट फ़िल्में नूतन ने दी हैं। अपने जमाने की अभिनेत्रियों से उनकी चॉइस सबसे ज्यादा अलग थी। उन्होंने ने ज्यादातर वुमन सेंट्रिक फिल्मों का चयन ही किया था। इसी वजह से 'सीमा', 'सुजाता', 'बंदिनी' और 'सोने की चिड़िया' जैसी फिल्मों में उन्होंने काम किया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब फिल्मों से उन्होंने ब्रेक लेने का विचार किया तो फिल्म 'बंदिनी' का ऑफर लेकर बिमल रॉय तब गए थे।
हालांकि अपने हाथ से बिमल दा की फिल्म को गवाना नहीं चाहती थी लिकेन बिमल दा को पहले उन्होंने मना कर था। उसके बाद उन्हें बिमल रॉय की यह फिल्म करने के लिए उनके पति रजनीश ने कन्विंस किया। दरअसल उन दिनों नूतन प्रेग्नेंट थीं फिर उन्होंने वह फिल्म करने के लिए हामी भरी। जब फिल्म रिलीज हुई तो उनके अभिनय का हर कोई दीवाना हो गया। उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म यह बन गयी।
थिएटर के अंदर अपनी ही फिल्म के प्रीमियर में घुसने नहीं दिया
बता दें कि फिल्म नगीना साल 1951 में रिलीज हुई थी और उसमें कई डरावने सीन भी थे जिसकी वजह से फिल्म देखने के लिए नाबालिगों को मना किया गया था। उस समय नूतन की उम्र सिर्फ 15 साल की थी। फिल्म के प्रीमियर पर वह अपने फैमिली फ्रेंड शम्मी कपूर के साथ गयी थीं। उन्हें ऐसा लग रहा था कि उनका जोरदार स्वागत होगा क्योंकि वह फिल्म की हीरोइन हैं लेकिन हुआ था इसका उल्टा। नूतन को थिएटर के गेट पर ही वॉचमैन ने रोक दिया। उन्हें अंदर बहुत बहस करने के बाद भी नहीं जाने दिया था।
संजीव कुमार को अफेयर की खबरों से बौखलाकर मारा था थप्पड़
1969 में 'देवी' की शूटिंग के दौरान नूतन और संजीव कुमार से जुड़ा एक किस्सा बहुत मशहूर हैं। दरअसल इस फिल्म की शूटिंग के दौरान संजीव को सरेआम थप्पड़ नूतन ने थप्पड़ मारा था। बता दें कि एक-दूसरे से ज्यादा बात नूतन और संजीव शुरुआत में बात नहीं करते थे लेकिन दोनों के बीच दोस्ती धीरे-धीरे हो गयी।
चर्चा का विषय दोनों की जबरदस्त ट्यूनिंग बन गयी जिसके दोनों की दोस्ती को अफेयर का नाम दे दिया था। इस बात पर झगड़ा भी नूतन का पति से होने लग गया। 'देवी' के सेट पर ही एक मैगजीन नूतन ने पढ़ी और उसमें उनके और संजीव के अफेयर के बारे में छपा था। जिससे वह बहुत गुस्सा हुई और सबके सामने संजीव को थप्पड़ लगा दिया। इस पर ज्यादातर लोगों ने कहा था कि पति के कहने पर उन्होंने ऐसा किया।
अधूरी ख्वाहिश पूरी हुई 'कर्मा' में
'शिकवा' नाम की फिल्म साल 1953 में बन रही थी और इसमें दिलीप कुमार हीरो थे। यह फिल्म दुर्भाग्य से पूरी नहीं हो पायी थी। नूतन को काफी समय तक इसका मलाल रहा कि वो फिल्म उस समय के टॉप एक्टर दिलीप कुमार संग नहीं कर पायीं। उसके बाद सुभाष घई फिल्म 'कर्मा' बना रहे थे उसमें नूतन को दिलीप कुमार के अपोजिट कास्ट किया गया। तब दिलीप संग काम करने की अधूरी ख्वाहिश नूतन की पूरी हुई।