'श्रीकृष्णा' में इस अभिनेता ने निभाया था 'कृष्ण' का किरदार, इंडस्ट्री छोड़ अब कर रहे ये काम

'रामायण' और 'महाभारत' के दोबारा प्रसारण से दूरदर्शन की टीआरपी में भारी उछाल आया है। सोशल मीडिया पर यूजर्स रामानंद सागर के ही एक और सीरियल 'श्रीकृष्णा' को भी दिखाए जाने की मांग कर रहे थे। दर्शकों की मांग को देखते हुए दूरदर्शन जल्द ही इनका प्रसारण शुरू करने वाला है। एक ट्वीट कर चैनल ने इसकी जानकारी दी है, हालांकि सीरियल कब से शुरू होगा ये अभी नहीं बताया है। 'श्रीकृष्णा' में कृष्ण का किरदार अभिनेता सर्वदमन बनर्जी ने निभाया था। अब जब सीरियल फिर से दिखाया जाने वाला है तो चलिए आपको बताते हैं कि आजकल सर्वदमन बनर्जी कहां हैं और क्या कर रहे हैं।

सीरियल का प्रसारण साल 1993 से 1996 के बीच हुआ था। उस वक्त ये शो ना सिर्फ लोगों के बीच काफी पॉपुलर हुआ बल्कि इसका हर किरदार दर्शकों के दिलों में रच-बस गया। उन्हीं किरदारों में से एक था भगवान कृष्ण का। सर्वदमन डी बनर्जी ने कृष्ण के किरदार को इस कदर अपने में बसा लिया था मानो असल में भगवान ने अवतार लिया हो।
अपने इस किरदार से सर्वदमन बनर्जी को काफी लोकप्रियता मिली थी। इसके बाद उन्हें इसी तरह के कई शोज ऑफर हुए जिनमें वो नजर आए, जैसे कि 'अर्जुन', 'जय गंगा मैया' और 'ओम नम: शिवाय। इनमें भी ज्यादातर वो विष्णु या कृष्ण बने ही दिखे।
टीवी के अलावा सर्वदमन बनर्जी ने बड़े परदे पर भी अपनी किस्मत आजमाई और कई फिल्मों में नजर आए। इनमें 'स्वामी विवेकानंद', 'आदि शंकराचार्य' जैसी फिल्में शामिल हैं। इसके अलावा सर्वदमन ने कुछ बंगाली और तेलुगू फिल्मों में भी काम किया। सर्वदमन काफी सालों बाद फिल्म 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' में नजर आए थे।
एक वक्त के बाद सर्वदमन ने टीवी और फिल्म की दुनिया को अलविदा कह दिया। आज जो सर्वदमन कर रहे हैं उसके बारे में जानकर आप भी उन पर गर्व करेंगे। चकाचौंध भरी दुनिया से दूर सर्वदमन बनर्जी ऋषिकेश में रहते हैं और वहां लोगों को मेडिटेशन सिखाते हैं।
एक इंटरव्यू में सर्वदमन ने बताया था कि आखिर क्यों उन्होंने इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। सर्वदमन ने कहा था, 'मैंने 'कृष्णा' करते वक्त ही फैसला कर लिया था कि मैं 45-47 साल की उम्र तक ही काम करूंगा। बस फिर मुझे मेडिटेशन मिल गया और अब मैं पिछले 20 साल से वही कर रहा हूं।'
मेडिटेशन के अलावा सर्वदमन बनर्जी 'पंख' नाम की एक एनजीओ को भी सपोर्ट कर रहे हैं जो उत्तराखंड में झुग्गियों में रहने वाले करीब 200 बच्चों को आजीविका कमाने में मदद कर रही है। साथ ही गरीबी में रहने वाले 200 बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने में सहायता कर रही है।

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