इंडी म्यूजिक को लॉकडाउन से हो सकता है लाभ : जिगर सरैया

लोकप्रिय संगीतकार डुओ सचिन-जिगर के जिगर सरैया का कहना है कि कोविड-19 के कारण चल रहे लॉकडाउन से संगीत उद्योग के लिए एकमात्र उम्मीद की किरण यह है कि फिल्मों और फिल्म संगीत में देरी होने से स्वतंत्र संगीत को थोड़ा और स्पेस मिल सकता है। फिल्म उद्योग को लॉकडाउन के कारण बड़ा झटका लगा है, और संगीत उद्योग इससे कितना प्रभावित हुआ है? इस पर जिगर ने आईएएनएस से कहा, "अगर हम बड़े झटके के बारे में बात करें, तो हमारी फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम' 13 मार्च को रिलीज हुई। यह फिल्म केवल एक दिन के लिए ही सिनेमाघरों में टिक सकी, क्योंकि सिनेमा हॉल एक दिन बाद ही बंद हो गए। सबसे अधिक प्रभावित फिल्म हमारी फिल्म है, लेकिन साथ ही इस साल का सबसे सफल गाना 'कुड़ी नु नचने दे' है, जो कि उसी फिल्म का है। मुझे लगता है कि गाने को लॉकडाउन से फायदा हुआ क्योंकि लोग घर पर हैं, वे उस गाने पर डांस कर रहे हैं और अपने वीडियो बना रहे हैं।"लॉकडाउन के दो प्रभाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह सीईओ से लेकर संगीतकारों, व्यवसायी व सभी लोगों को प्रभावित करने वाला है.. हर किसी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. आप इतने बड़े ठहराव से कैसे उबर पाएंगे? बेशक संगीत भी, अगर फिल्मों को पीछे ढकेला जा रहा है तो संगीत को भी धक्का मिलेगा, लेकिन जैसा कि मैं और सचिन बहुत से स्वतंत्र संगीत बनाते हैं, तो उसे थोड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि जब बहुत सारी फिल्में और उसके गाने आते हैं तो वहां स्वतंत्र संगीत को जगह नहीं मिल पाती है। टीवी और रेडियो में भी कोई स्लॉट नहीं मिलता है।"जिगर ने आगे कहा, "जैसा कि फिल्म के गाने थोड़ी देर से आएंगे, स्वतंत्र संगीत को थोड़ी और जगह मिल जाएगी। भारत को अभी सबसे अधिक जरूरत रीमिक्स के चलन से बाहर निकलने की और मूल संगीत को बनाने जरूरत है। शायद हो सकता है कि यह मैं संगीतकारों के लिए इसे उम्मीद की किरण के तौर पर सोच रहा हूं।"

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