। कोरोना व लाकडाउन ने वर्तमान में हर किसी के जीने की शैली को बदल दिया है। सबसे अधिक बदलाव पढ़ने वाले बच्चों में देखा जा रहा है। लॉकडाउन की शुरूआती दौर में लूडो, शतरंज, कैरम बोर्ड के अलावा मोबाइल पर अन्य गेम व टेलीविजन देख मन बहलाने वाले बच्चे पूरा दिन पढ़ाई में व्यतीत कर रहे हैं। बहरहाल पढ़ाई को ले सरकार की तरफ से उठाए कदमों का बच्चे भरपूर फायदा उठा रहे हैं। वे घर बैठे सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई ही नही कर रहे हैं बल्कि अपनी उपस्थिति भी ऑनलाइन दर्ज करा रहे हैं। चाहे वह सीबीएसई से मान्यता प्राप्त निजी स्कूल हो या फिर अन्य शिक्षा बोर्ड से निबंधित व सरकारी विद्यालय। ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने के पीछे मुख्य वजह यह है कि सरकार को पता चल सके कि कितने बच्चे विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध कराए जा रहे शिक्षण सामग्री का लाभ उठा रहे हैं।
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पढ़ने वाले सभी छात्रों के पास भले ही लैपटॉप व टैब न हो फिर भी सुबह में नीद खुलने से लेकर रात में सोने तक मोबाइल फोन जरुर दिख रहा है। उनकी नजरें वाहट्सप के अलावा दीक्षा आरोग्य सेतु समेत अन्य एप पर टिक जा रही है। वे देखने में मशगूल हो जा रहे हैं कि किसी टीचर ने कोई सवाल तो नही भेजा है। मौका मिलते ही बच्चे शिक्षकों द्वारा भेजे गए वीडियो क्लिप या राइटप से पढाई करने मे जुट जाते रहे है। जिले के सरकारी स्कूलों में दूरदर्शन, उन्नयन बिहार के तहत मेरा विद्यालय मेरा मोबाइल, दीक्षा एप के माध्यम से शिक्षक बच्चों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। दूरदर्शन पर उपलब्ध कराई जा रही शिक्षण सामग्री से फिलहाल जिले के 130 उच्च विद्यालय के नौवीं व दसवीं कक्षा के 25 हजार से अधिक छात्र छात्रा लाभ ले रहे हैं।
वही केंद्रीय विद्यालय सहित अन्य निजी स्कूल भी ऑनलाइन पढ़ाई के साथ बच्चो का उपस्थिति भी दर्ज कराई जा रही है। मोबाइल फोन पर बने वाहट्सप ग्रुप मे भेजे गए लिक के माध्यम से बच्चे हर रोज अपनी हाजिरी बना रहे है। केवि की नित्या, अबिता अंजाना, सलोनी, सृष्टि, श्वेता, शिवानी, आरती, पूजा, श्रद्धा सत्या, शोभा, प्रज्ञा, डीएवी की मृग्या शेखर के अलावा सुधांशु समेत अन्य छात्रों ने कहती हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई से सिलेबस के पिछड़ने की संभावना कम है। सावधानी व सतर्कता ही एक मात्र उपाय है, जिसके बदौलत हम कोरोना महामारी पर काबू पा सकते हैं। सरकार हर निर्देश व निर्णय का पालन करना हम सबकी जवाबदेही है।
Posted By: Jagran
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