दूरदर्शन के पुराने शो जबसे वापस आए हैं और जनता द्वारा एक बार फिर इन शो को भरपूर प्यार मिल रहा है। बी आर चोपड़ा की महाभारत आज की नई युवा पीड़ी को भी पसंद आ रही है। तीन दशक बाद भी जनता महाभारत में काम करने वाले एक्टर्स को खूब पसंद कर रही है। इसके साथ ही शो से जुड़ी कुछ रोचक बातें भी बाहर आ रही है। ऐसे में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले एक्टर गजेन्द्र चौहान से जीवन से जुड़ी कुछ बाते सामने आ रही है। कैसे AIIMS में कर्मचारी के रूप में काम करने वाले गजेन्द्र चौहान एक मशहूर अभिनेता बने। गजेन्द्र का जन्म दिल्ली के छोटे से इलाके खामपुर में हुआ था। खामपुर दिल्ली के वेस्ट पटेल नगर के पास है। उन्होंने आनंद पर्वत के रामजस स्कूल से पढ़ाई की थी। गजेन्द्र के 4 भाई और चार बहनें थे और वे अपने घर के सबसे छोटे और सबसे लाडले थे। स्कूल में पढ़ने के बाद उन्होंने कॉलेज में जाने का फैसला किया। गजेन्द्र को किरोड़ीमल कॉलेज में एडमिशन मिला था। हालांकि उन्होंने AIIMS में भी अप्लाई किया था, तो उन्हें वहां से कॉल आई। वहीं उन्होंने 2 साल पढ़ाई की और फिर जॉब भी पा ली। लेकिन उनके पिता ने आगे पढ़ाई करने का बोलकर उन्हें मना कर दिया।
इसके बाद उन्होंने बीएस की पढ़ाई भी पूरी कर ली। इस दौरान गजेन्द्र चौहान को नौकरी के खूब ऑफर आ रहे थे। उन्होंने सी टी स्कैन का कोर्स किया था और उस समय ज्यादा लोगों को ये नहीं आता था। इसलिए उनके पास ऑफर्स की भरमार थी। 1979 में गजेन्द्र ने पढ़ाई के साथ-साथ AIIMS में नौकरी करनी शुरू कर दी थी।इसके बाद उन्होंने IAS सिविल सर्विसेज की तैयारी की लेकिन वे पास नहीं हो पाए। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे से एक्टिंग क्लासेज का ऑफर आया। गजेन्द्र को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। वे बचपन में गांव में होली के त्योहार में एक्टिंग किया करते थे। उन्होंने स्कूल में सांतवी क्लास में श्रवण कुमार का रोल निभाया था, जिसके लिए उन्हें अवॉर्ड भी मिला था।
लेकिन गजेंद्र चौहान ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कभी एक्टिंग में करियर बनाने का मौका मिलेगा। 1982 में वे एक्टिंग क्लासेज के लिए बॉम्बे चले गए। अपनी दिनचर्या को चलाने के लिए उन्होंने पार्ट टाइम नौकरी करने लगे। वे पैसे बचाने के लिए ट्रेवल भी पैदल ही करते थे। बस या ट्रेन का कम इस्तेमाल करते थे। उस समय गजेन्द्र चौहान अंधेरी में रहा करते थे। लेकिन 25 पैसे बचाने के लिए वे 8 किलोमीटर दूर बांद्रा में खाना खाने पैदल जाया करते थे। उन्होंने अपनी जिंदगी में पाई-पाई जमा करके अपना गुजारा किया। राजश्री प्रोडक्शन के सीरियल पेइंग गेस्ट में उन्हें काम करने के लिए 201 रुपये मिले थे। ये बतौर एक्टर उनकी पहली कमाई थी। उसके बाद उन्होंने अपनी पहली ऐड से 101 रुपये थे। ये 1983 की बात है। महाभारत / युद्ध में आम जनता बनी थी सैनिक, लोग मुफ्त में करते थे काम महाभारत / बिना कट के शूट हुआ था द्रौपदी चीर हरण का सीन, शूटिंग के बाद फूट-फूटकर रोई थीं रूपा गांगुली
इसके बाद उन्होंने रजनी, दर्पण, कशमकश और सिहांसन बत्तीसी में काम किया। इन सबके बाद गजेन्द्र चौहान को सीरियल महाभारत में युधिष्ठिर का रोल निभाने का मौका मिला, जिससे वे देशभर में फेमस हो गए। गजेन्द्र चौहान हनुमान के भक्त हैं। ऐसे में वे मानते हैं कि भगवान पल पल आपकी मदद करते हैं। 1983 में वे मुंबई के एक ट्रेन स्टेशन पर जल्दी ट्रेन पकड़ने के लिए पटरी पार कर रहे थे। वे बीच में थे और अपने दोस्त को पुकार रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि पीछे से ट्रेन आ रही है। बाद में गजेन्द्र ने अपने आप को ट्रेन स्टेशन पर पाया। हालांकि उन्हें आज भी नहीं याद कि वे प्लेटफार्म पर कब और कैसे पहुंचे। वे मानते हैं कि ये सबकुछ हनुमान जी की कृपा से हुआ था।