कोरोना महामारी के कारण दुनिया के कई देशों में चल रहे लॉकडाउन से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। अमेरिका में पिछले दिनों हुए सर्वे में यह बात सामने आई है कि घरों में कैद रहते हुए लोगों में तनाव और चिंता बढ़ी है। बहुत से लोगों में अवसाद के लक्षण भी देखे गए हैं। मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए इंटरनेट पर सुझावों की भरमार है। अमेरिका की येल विश्वविद्यालय से जुड़ीं प्रोफेसर लॉरी सैंटोस भी ऐसी स्थिति से निबटने के लिए उपाय बताते हुए इन दिनों चर्चा में हैं। दरअसल, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म कोर्सेरा पर प्रो. सैंटोस का 'द साइंस ऑफ वेलबिइंग' नाम से कोर्स है। इस कोर्स से अबतक 20 लाख से ज्यादा छात्र जुड़ चुके हैं। प्रो. सैंटोस ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को दिए साक्षात्कार में उदासी और अकेलेपन से लड़ने के बारे में बात की।
हाथ धोने, सफाई, हाईजीन मेंटेन करने और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर तमाम दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य के लिए सुझाव अपेक्षाकृत हैं। प्रो. सैंटोस के मुताबिक इसी कारण लोग मेंटल हेल्थ के लिए समाधान तलाश रहे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि वे अपनी भावनाओं का ख्याल कैसे रखें। वह कहती हैं कि हर कोई डरा हुआ है, चिंता और अनिश्चितता महसूस कर रहा है और ऐसे में लोग बेहतर महसूस करने के लिए कुछ करना चाहते हैं।
कोरोना संकट से पहले सैंटोस को खुशी पाने के अपने तरीके को परखने का पर्याप्त मौका मिला। उन्होंने साल 2018 में येल में 'साइकोलॉजी एंड द गुड लाइफ' कोर्स शुरू किया था, जो यूनिवर्सिटी के इतिहास में सबसे सफल पाठ्यक्रमों में से एक बन गया। उनका मानना है कि छात्र मानसिक स्वास्थ्य के लिए साक्ष्यों पर आधारित तरीके तलाश रहे थे। सैंटोस के मुताबिक, उन्होंने जो सलाह तैयार किए, उसके पीछे साक्ष्य इकट्ठा करने में तीन दशकों की मेहनत लगी। कोरोना संकट के इस दौर में खुश रहने के लिए वह मुख्यत: तीन सलाह देती हैं। आइए जानते हैं इस बारे में।
1). वीडियो कॉलिंग से ही सही, लेकिन लोगों से घुले-मिलें सैंटोस के मुताबिक शोध बताते हैं कि खुश लोग बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा घुलते-मिलते हैं। कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन के दौर में यह थोड़ा मुश्किल है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आप लोगों के साथ घूम-फिर नहीं सकते। लेकिन तकनीक का सहारा ले सकते हैं। वीडियो कॉलिंग के माध्यम से आप अपने दोस्तों, साथियों, परिजनों के साथ समय बिता सकते हैं। आप जब उनके चेहरे के भाव देखते हैं, तो आवाज में भावनाएं समझ पाते हैं और उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं।
2). मदद करें और अच्छा महसूस करें सैंटोस बताती हैं कि खुश लोग दूसरों के बारे में वाकई बहुत सोचते हैं। यानी वे अपनी खुशी से ज्यादा दूसरों की खुशियां चाहते हैं। शोध बताते हैं कि अगर आप लोगों को कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं, जैसे कि पैसे दान करना, तो इससे वे ज्यादा सुखी महसूस करते हैं। खासतौर पर आपदा या फिर वर्तमान के कोरोना संकट वाली स्थिति में, दयाभाव का कोई भी काम करना बहुत मददगार साबित हो सकता है। इसका आपके आसपास और समाज पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।
3). वर्तमान में जिएं सैंटोस वर्तमान में जीने पर जोर देते हुए कहती हैं कि सजग रहें। खुश लोग ज्यादा सजग रहते हैं, वर्तमान में जीते हैं और इसपर ध्यान देते हैं कि उनके साथ वर्तमान में क्या हो रहा है। वह कहती हैं कि इस संकट के समय में मेडिटेशन यानी ध्यान बहुत ही सशक्त माध्यम है। यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करने में आपकी मदद करता है कि वर्तमान में, इस समय आपके शरीर में क्या चल रहा है। आपका मन इस विचार में खोया नहीं रहे कि आपकी इच्छाएं कब पूरी होंगी। यह जरूरी है। कहा भी गया है कि भविष्य के बारे में चिंता नहीं, बल्कि चिंतन करना चाहिए। चिंता को चिता के समान माना गया है।