बुधवार के बाद गुरुवार को भी रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी देश की चर्चाओं का हिस्सा बने हुए हैं. उनका आरोप है कि बीती रात को जब वे अपने ऑफिस से घर लौट रहे थे तब दो लोगों ने उनकी कार पर हमला किया. बाद में जब उनके सुरक्षाकर्मियों ने इन लोगों को पकड़ा तो उन्हें पता चला कि वे लोग यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता थे जिन्होंने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अर्णब को निशाना बनाने की कोशिश की थी. उन्होंने इस मामले में रात को ही एक वीडियो जारी करते हुए सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर आरोप लगाते हुए
#BREAKING | Arnab's message after being physically attacked by Congress goons #SoniaGoonsAttackArnab https://t.co/RZHKU3fdmK pic.twitter.com/SdAvoerhIH
कि -
'सोनिया गांधी! मैं आपको बस इतना बताना चाहता हूं कि आप सबसे बड़ी कायर हैं. जब मैं अपने काम से घर लौट रहा था तब आपने मुझ पर हमला करवाने की सोची. आपमें इतनी हिम्मत नहीं है कि आप मेरे जायज सवालों का सामना कर सकें. इसलिए आपने मुझ पर और मेरी पत्नी पर हमला करवाने की कोशिश की. आगे मुझ पर अगर किसी तरह का कोई हमला होता है तो मैं व्यक्तिगत रूप से आपको ही उसका जिम्मेदार ठहराऊंगा. हर कोई जो यह वीडियो देख रहा है, मैं उससे कहना चाहता हूं कि अगर मुझे कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदार सोनिया गांधी होंगी. सोनिया गांधी और वाड्रा परिवार. जो अब मेरे सवालों को सह नहीं पा रहे हैं. मैंने प्रियंका वाड्रा द्वारा हिंदू और मुसलमान (मरीजों) को अलग-अलग रखने वाली खबर का सच दिखाया था और मैं आगे भी ऐसा करता रहूंगा. अब आप आगे जाकर अपनी मशीनरी, अपने गुंडों या जिस किसी भी चीज का इस्तेमाल मेरे खिलाफ करना चाहें तो कर सकती हैं. लेकिन सोनिया गांधी मैं आपको बताना चाहता हूं कि भारत के लोग मेरे साथ हैं.'
बात तो उनके इस वीडियो और उन पर हुए कथित हमले पर भी की जा सकती है, लेकिन फिलहाल चर्चा अर्णब के उस प्रोग्राम या उसके उस हिस्से की जिसकी वजह से वे बुधवार को भी देश की चर्चा का विषय बने हुए थे. इसमें उन्होंने पालघर में हुई दो साधुओं की हत्या के बाद बेहद जज्बाती होकर कई बातें कही थीं. इनमें सोनिया गांधी को काफी भला-बुरा कहा जाना भी शामिल था. शायद वे इसी का जिक्र कर रहे थे जब कह रहे थे कि 'आपमें इतनी हिम्मत नहीं है कि आप मेरे जायज सवालों का सामना कर सकें. इसलिए आपने मुझ पर और मेरी पत्नी पर हमला करवाने की कोशिश की.'
बुधवार को सोशल मीडिया के टॉप-10 ट्विटर ट्रेंड्स में से ज्यादातर ट्रेंड न्यूज एंकर अर्णब गोस्वामी से संबंधित थे. इन ट्रेंड्स में जहां एक तरफ हैशटैग्स 'आई सपोर्ट अर्णब गोस्वामी,' 'इंडिया सपोर्ट अर्णब गोस्वामी' और 'अर्णब एक्सपोजेज सोनिया' पर की जा रही टिप्पणियों में अर्णब गोस्वामी और उनके चैनल की तारीफ के साथ-साथ उन्हे सच्चा हिंदू और राष्ट्रवादी बताया जा रहा था. वहीं, दूसरी तरफ हैशटैग्स 'अर्णब गोस्वामी,' 'अरेस्ट एंटी इंडिया अर्णब' और 'अर्णब मानवता का दुश्मन है' पर की जाने वाली टिप्पणियों में उनकी आलोचनाएं दिखाई दे रहीं थीं. दिन खत्म होने तक हैशटैग 'अरेस्ट एंटी इंडिया अर्णब' और 'आई सपोर्ट अर्णब गोस्वामी' पर छह-छह लाख से ज्यादा ट्वीट किए जा चुके थे. यानी यह कहा जा सकता है कि अर्णब गोस्वामी को लेकर किया जा रहा यह ट्विटर युद्ध दोनों तरफ से पूरी ताकत से लड़ा जा रहा था.
सोशल मीडिया पर यह हलचल अर्णब गोस्वामी के चैनल के एक वीडियो पर मची हुई थी. इसमें वे कई ऐसी बातें कहते दिखते हैं जिन्हें पत्रकारिता, नैतिकता और कानून आदि के पैमानों पर ठीक ठहराना काफी मुश्किल है. यह वीडियो रिपब्लिक भारत की एक न्यूज डिबेट का था. इसमें पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के पालघर में हुई मॉब-लिंचिंग की घटना पर चर्चा की जा रही थी. पालघर में एक भीड़ ने बच्चा चोर होने के शक में दो साधुओं सहित तीन लोगों की हत्या कर दी थी. इस सिलसिले में नौ नाबालिगों सहित 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है और महाराष्ट्र सीआईडी मामले की जांच कर रही है. चर्चित हो रहे वीडियो में अर्णब गोस्वामी, इस घटना पर चुप्पी साधने के लिए तमाम मीडिया संस्थानों और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सवालों के घेरे में खड़ा करते दिखाई देते हैं. लेकिन ऐसा करते हुए उनका रवैया कुछ ऐसा था जो किसी भी ठीक-ठाक समझ वाले इंसान को भौचक्का कर सकता है.
वीडियो में अर्णब गोस्वामी अपने स्टूडियो में बैठकर पालघर की घटना पर कुछ सवाल पूछते दिखते हैं. इनमें यह सवाल भी शामिल था कि 'अगर साधुओं की जगह किसी मौलवी या पादरी की हत्या हुई होती तो देश में क्या माहौल होता?' इसके अलावा, वीडियो में वे घटना से जुड़ी अपनी कुछ धारणाएं और सोनिया गांधी से जुड़ी कुछ कल्पनाएं भी सामने रखते हैं कि ऐसा हुआ है तो सोनिया गांधी अब क्या सोच रही होंगी और आगे क्या करने वाली होंगी. वे कहते हैं कि 'अगर पादरियों की हत्या होती तो रोम से आई हुई, इटली वाली, एंतोनिया माइनो, सोनिया गांधी चुप नहीं रहती. मुझे लगता है कि मन ही मन वो खुश है कि सड़कों पर संतों को मारा गया है. वो इटली में रिपोर्ट भेजेगी कि जहां पर मैंने एक सरकार बना ली वहां पर हिंदू संतों को मैं मरवा रही हूं.' इन बातों को सुनकर किसी को भी यह जिज्ञासा हो सकती है कि सोनिया गांधी के मन की बात अर्णब को कैसे पता चल गई थी?
यह पत्रकारिता के किसी भी पैमाने पर सही नहीं है. एक पत्रकार के तौर पर आपको हमेशा तथ्यों और तर्कों के साथ अपनी बात कहनी होती है. लेकिन उनके इस एकालाप में न तो पत्रकारों वाली सतर्कता बरती गई और न ही यहां पर आगे-पीछे की घटनाओं और प्रतिक्रियाओं के आधार पर खबर का विश्लेषण होता दिखा. उन्हें यहां पर देखकर ऐसा लगता है जैसे कुछ तथ्यहीन बातों को भावुकता का पुट देकर वे दर्शकों को इस बात का यकीन दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे जो कह रहे हैं, वही सच है और इसके आगे उन्हें कुछ जानने की नहीं बल्कि जागने की जरूरत है. पालघर में हुई घटना साम्प्रदायिक हिंसा का नहीं बल्कि भीड़ के हिंसक हो जाने का मामला था और इसमें मरने वाले तीन लोग तो हिंदू थे ही सभी
The list of the 101 arrested in the #Palghar incident. Especially sharing for those who were trying to make this a communal issue.. pic.twitter.com/pfZnuMCd3x
ही हैं. अगर वे उस समय तक यह नहीं जानते थे तो जज्बाती होकर जज बनने से पहले तथ्यों के सामने आने का थोड़ा इंतजार कर सकते थे.
लेकिन वे जितने ऊंचे स्वरों में अपनी बात कह रहे हैं, वह भी हमें कुछ तो बता ही सकता है. कई बार लोग तथ्यों और उन पर आधारित सही तर्कों के न होने की भरपाई अपनी ऊंची आवाज से करने की कोशिश करते हैं. इस वीडियों में अर्णब गोस्वामी जिस तरह का व्यवहार करते नजर आ रहे हैं वह न तो पत्रकारिता के लिहाज से ठीक लगता है और न न्यूज एंकरिंग के लिहाज से. एक न्यूज एंकर का काम खबरों को दर्शकों तक पहुंचाना भर होता है, न कि बिना या बहुत ज्यादा सोच-समझकर गलत खबर देना और किसी व्यक्ति या समुदाय को कोई अप्रिय स्थिति पैदा करने के लिए उकसाना. हालांकि अर्णब गोस्वामी का यह रवैया अक्सर ही टीवी पर देखने को मिलता है, लेकिन यहां पर बात केवल उनके ढाई मिनट लंबे वायरल वीडियो की हो रही है. इसमें उनकी ऊंची आवाज पर यह सवाल भी पूछा जा सकता है कि क्या आपके इतने हाई-फाई स्टूडियो में माइक और बाकी मशीनरी ढंग से काम नहीं करती जो आपको हमेशा ऐसे चिल्लाते रहने की जरूरत पड़ती है?
पत्रकारिता के सिद्धांतों के साथ ही, अर्णब गोस्वामी का यह वीडियो कानून की धज्जियां उड़ाता भी दिखता है. कोरोना संकट के इस समय में जब सरकार और प्रशासन की तरफ से लगातार यह बात कही जा रही है कि किसी भी तरह की अफवाह या गलत जानकारी को आगे बढ़ाने से बचना है और आम लोगों से उम्मीद की जा रही है कि वे इसका ध्यान रखेंगे. यहां तक कि पिछले दिनों कुछ नागरिकों और पत्रकारों पर फर्जी खबर फैलाने के आरोप में कार्रवाइयां भी की गई हैं. ऐसे नाजुक समय में गोस्वामी द्वारा प्राइम टाइम पर तथ्यों की पूरी अनदेखी करते हुए एक बहुत संवेदनशील मामले को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाती है. क्या यह एक ऐसा आपराधिक कृत्य नहीं है जिसके लिए उन पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए?
हो सकता है कि अर्णब गोस्वामी को किसी कानूनी कार्रवाई का डर न हो. जिस पत्रकार से बदसलूकी करने पर एक जाने-माने कॉमेडियन को कई एयरलाइन्स बैन सकती हों, शायद उसे इस बात की चिंता न हो. लेकिन उन्हें कम से कम उस भारतीय और हिंदू संस्कृति की चिंता तो जरूर होगी जिसकी दुहाई वे इसी वीडियो में देते दिखाई देते हैं. लेकिन इसी वीमें ही उनकी बातें भारतीय धर्म-संस्कृति के बिलकुल खिलाफ जाती हुई भी दिखती हैं.
अर्णब गोस्वामी, इस वीडियो में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के लिए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वह भारतीय परंपरा के कौन से मानकों पर सही कही जाएगी, यह केवल उसे समझा पाना मुश्किल है जिसने इसे न समझने की कोई कसम खाई हो. एक राजनेता, मतदाता, पत्रकार या नागरिक के तौर पर कोई भी सोनिया गांधी से मतभिन्नता रख सकता है. हो सकता है कि कई लोग उनके विदेशी-मूल का होने को लेकर उतने सहज न हों. लेकिन उनके खिलाफ इस तरह की असम्मानजनक भाषा के प्रयोग को किसी राष्ट्रीय चैनल पर तो क्या वैसे भी कैसे सही ठहराया जा सकता है? वह भी तब जब बात एक 73 वर्ष की महिला के बारे में की जा रही हो. भारतीय संस्कृति और मिथॉलजी में तो तमाम तरह के मतभेदों और शत्रुता को किनारे कर महिलाओं का सम्मान देने के अनगिनत उदाहरण मिलते हैं. क्या यहां पर गोस्वामी से यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि आलोचना करते हुए वे महिलाओं से और उनके बारे में सभ्यता से बात करने की सामान्य सी सीख को क्यों भुला बैठे हैं?
इस वीडियो में अर्णब गोस्वामी एक उलटबांसी सी बात कहते हुए भी दिखाई देते हैं. वे कहते हैं कि 'अस्सी प्रतिशत हमारी आबादी हिंदू है. अस्सी प्रतिशत आबादी सनातन धर्म को मानती है. यहां पे हिंदू होना, गेरुआ पहनना पाप हो गया है.' यहां जिस खबर के कारण अर्णब गोस्वामी हिंदू धर्म और संस्कृति के खतरे में जाने की कल्पना कर उत्तेजित हो रहे हैं, वह अपने आप में एक अजीब सा विरोधाभास लिए हुए है. इसे कुछ इस तरह कहा जा सकता है कि 'भगवा कपड़ों' में नज़र आ रहे 'हिंदु साधुओं' को 'सौ हिंदुओं' की भीड़ उस 'पुलिस' के सामने पीट-पीटकर मार डालती है जिसमें ज्यादातर शायद हिंदू ही होंगे और जो कल तक एक 'हिंदुत्ववादी शासन व्यवस्था' का ही हिस्सा थे.
खैर, धर्म और संस्कृति के सवाल पर लौटें तो अर्णब गोस्वामी के दावों को देखते हुए यह पूछा जा सकता है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि बहुसंख्यक हिंदुओं वाले इस देश के हिंदू, हिंदुओं से ही गलत तरीके से व्यवहार कर रहे हैं? या इस हिंदू बहुसंख्यक देश की वह संस्कृति कैसी है जहां अपने ही संतों का सम्मान करने की बजाय उन्हें बच्चा चोर समझकर मार दिया जाता है? या फिर ऐसा कैसे हो गया कि साधु-संतों को हमारे यहां ज्ञानी-ध्यानी मानने के बजाय शक की नज़रों से देखा जाने लगा? अगर यह सब हो रहा है तो फिर यह कहा जाना चाहिए कि अर्णब गोस्वामी को देर से पता चला है कि हिंदू संस्कृति खतरे में है. जैसे हालात हैं, उनसे तो यही अंदाजा लगता है कि यह बहुत समय से खतरे में है.
एक बार फिर अर्णब गोस्वामी के वीडियो पर वापस आएं तो पत्रकारिता, कानून और धर्म के पैमानों पर तो उनकी बातें ठीक लगती ही नहीं हैं, मानवीय मूल्यों के लिहाज से भी ये काफी खतरनाक लगती हैं. अंग्रेजी से हिंदी मीडिया का हिस्सा बने अर्णब गोस्वामी भली तरह से जानते हैं कि किसी हिंदी न्यूज चैनल की पहुंच और असर ज्यादा होता है. हिंदी चैनलों पर की गई भड़काऊ बातें न सिर्फ ऊंची टीआरपी लाती हैं बल्कि इनका कई तरह से इस्तेमाल भी किया जा सकता है. यह काम अगर कोई नौसिखिया पत्रकार करता है तो उससे लोगों के प्रभावित होने का खतरा शायद थोड़ा कम हो, लेकिन अर्णब गोस्वामी सरीखे स्थापित का यह करना कहीं ज्यादा खतरनाक स्थितियां पैदा कर सकता है. एक ऐसे वक्त में जब सिर्फ भारत ही नहीं सारी दुनिया ही महामारी के संकट से जूझ रही है अर्णब गोस्वामी जैसे पत्रकारों का इस तरह से गैरजिम्मेदार हो जाना किसी भी देश-समाज के लिए उससे भी बड़े संकट की वजह बन सकता है.
अर्नब गोस्वामी - वो इटली वाली एंटोनियो माइनो(सोनिया गांधी) चुप रहती क्या अगर मौलवी की हत्या होती!!#हिन्दू_विरोधी_राहुल_गांधी pic.twitter.com/vxw4r1bvGr