आज तारीख है 23 अप्रैल और बाइस्कोप का हैंडिल घुमाकर जो हमने देखा तो इस तारीख को रिलीज हुई फिल्मों में हमें दिखीं तीसरी आंख, देश प्रेमी, रंग बिरंगी, खुलेआम, प्लेटफॉर्म, जय हिंद द प्राइड, शादी का लड्डू और बर्दाश्त की तस्वीरें। तो आज हम आपको बताते हैं फिल्म देशप्रेमी के कुछ दिलचस्प किस्से, जिसका गाना, आपस में प्रेम करो देशप्रेमियों, तो आपने हर 15 अगस्त, 26 जनवरी जरूर ही सुना होगा।
जी हां, बाइस्कोप में आज हमने आपके लिए जो खास फिल्म देशप्रेमी चुनी है, इसमें उस सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ उत्तम कुमार, हेमा मालिनी, शर्मिला टैगोर, परवीन बॉबी, शम्मी कपूर, अमजद खान, नवीन निश्चल आदि कलाकारों ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। मनमोहन देसाई के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अमिताभ बच्चन दोहरे किरदार में नजर आए। आइए बताते हैं कि इस फिल्म की क्या थी कहानी? और यह भी कि फिल्म क्यों है खास?
कहानी देशभक्त की जैसा कि इस फिल्म के शीर्षक से पता चल रहा है, यह एक देशभक्त की कहानी है। कादर खान, प्रयाग राज और के बी पाठक की लिखी फिल्म देशप्रेमी में आजादी की लड़ाई का हिस्सा रहे मास्टर दीनानाथ को उनके गांव से उनके बेटे राजू समेत बाहर निकाल दिया जाता है। दरअसल मास्टर के गांव का जमीदार ठाकुर प्रताप सिंह कई गलत धंधे में संलिप्त था जिसकी खबर मास्टर को लग जाती है। वह प्रताप को गिरफ्तार करवा देते है। उसका बदला लेने के लिए प्रताप अपने दोस्तों की मदद लेकर मास्टर को गांव से बाहर निकलवा देता है। कहानी आगे और भी मजेदार है लेकिन जब हम ही बता देंगे तो आप क्या देखेंगे? अगर मास्टर जी का संघर्ष आपको फिल्म देखने के लिए मजबूर नहीं करता है तो चलिए आपको फिल्म की कुछ खास बातें बताते हैं।
जब अमिताभ के हेयरड्रेसर बने अभिनेता इस फिल्म के दौरान एक बहुत ही दुखद घटना हुई। फिल्म के मुख्य कलाकारों में से एक उत्तम कुमार इस फिल्म में काम करते हुए दुनिया को अलविदा कह गए। जब वह नहीं रहे तो उनके किरदार को आगे बढ़ाने के लिए तत्काल में एक कलाकार की जरूरत थी। निर्देशक मनमोहन देसाई ने आव देखा ना ताव और उनकी जगह अमिताभ बच्चन के हेयर ड्रेसर को ही उत्तम कुमार की जगह फिल्म में ले लिया। बाकी के सारे दृश्य उस हेयर ड्रेसर ने ही फिल्म में किए।
रफी की आवाज का जादू इस फिल्म का शीर्षक गीत सिनेमा के सबसे बेहतरीन गायकों में से एक रहे मोहम्मद रफी ने गाया है। यहां भी दुख इस बात का रहा कि यह फिल्म 1982 में रिलीज हुई लेकिन मोहम्मद रफी 1980 में ही इस दुनिया को छोड़ कर चले गए थे। वह इस फिल्म के निर्देशक मनमोहन देसाई के पसंदीदा गायक थे, इसलिए अपनी हर फिल्म में मनमोहन मोहम्मद रफी के गीत जरूर इस्तेमाल किया करते थे।
राजकुमार और बिग बी की नहीं बनी जोड़ी हिंदी सिनेमा के रौबदार अभिनेता राज कुमार के व्यवहार से तो आप परिचित होंगे ही। इस फिल्म में राज कुमार को अमिताभ बच्चन के साथ वह किरदार ऑफर किया गया था जो इस फिल्म में परीक्षित साहनी ने निभाया है। हालांकि उस समय यह किरदार काफी बड़ा था। लेकिन, राज कुमार ने मनमोहन देसाई के सामने एक शर्त रख दी थी कि वह इस फिल्म को तब ही करेंगे जब उन्हें अमिताभ से एक रुपया ज्यादा मिलेगा। मनमोहन समझ गए और उन्होंने यह ऑफर वहीं छोड़ दिया। बाद में मनमोहन ने इस किरदार को फिर से लिखा और एक छोटा सहायक किरदार बनाया। क्या करें? राज कुमार का स्वभाव ही ऐसा था।
सब दिन जात न एक समान अब भी अगर फिल्म देखने की इच्छा नहीं हुई है तो अंत में एक मजेदार बात और बताते हैं। शायद इसके लिए तो आप जरूर फिल्म देखेंगे! इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने मुख्य किरदार निभाया है और नवीन निश्चल सेकंड लीड करते हुए नजर आए। दिलचस्प बात यहां यह है कि इन्हीं नवीन निश्चल ने फिल्म 'दीवार' में रवि का किरदार निभाने से मना कर दिया था जो कि बाद में शशि कपूर ने निभाया। उनका मानना था कि वह अमिताभ बच्चन के सामने सेकेंड लीड किरदार नहीं करेंगे। इससे पहले भी नवीन निश्चल ने फिल्म परवाना में अमिताभ के साथ एक फ्रेम में खड़े होने से मना कर दिया था। कहा ये भी जाता है कि नवीन निश्चल को ये फिल्म अमिताभ बच्चन ने ही दिलवाई थी ताकि उनकी कुछ आर्थिक मदद हो सके।
संगीतकार लक्ष्मीकांत ने गाया गाना फिल्म देशप्रेमी में कुल छह गाने हैं। लता मंगेशकर का गाया और हेमा मालिनी पर फिल्माया गाना, जाओ जी जाओ पर इतना सुन लो, थोड़ी चूड़ियां पहन लो, अपने समय का सुपरहिट गाना रहा है। फिल्म में किशोर कुमार ने मोहम्मद रफी के गाए गाने हम काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं, जैसा ही गाना गाया, खातून की खिदमत में सलाम अपुन का। अमिताभ बच्चन ने यहां कपड़े भी वैसे ही पहने जैसे मोहम्मद रफी के गाने पर महमूद ने पहने थे। फिल्म का एक गाना किशोर कुमार ने अपने बेटे अमित कुमार के साथ भी गाया है, जा जल्दी भाग जा। लेकिन, फिल्म का हाईलाइट गाना है, गोरे नहीं हम काले सही, हम नाचने गाने वाले सही। ये इकलौता गाना है मशहूर जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के करियर का जिसे आशा भोसले के साथ खुद लक्ष्मीकांत ने गाया है। गाने की क्रेडिट से उनका पूरा नाम भी पता चलता है, लक्ष्मीकांत कुंडलकर। कानपुर की मंजूश्री टॉकीज में इस फिल्म ने गोल्डन जुबली मनाई।(बाइस्कोप अमर उजाला डिजिटल का दैनिक कॉलम है जिसमें हम उस दिन रिलीज हुई किसी पुरानी फिल्म के बारे में चर्चा करते हैं)