Mahabharat 23 April Noon Episode 53 Written Live Updates: राक्षस से साथ अपनी बली देने निकले भीम

देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि शकुनि, ऋषियों को भोजन कराते हैं। तभी दुर्योधन शकुनि से मिलने के लिए पहुंचते हैं। वह मामा से कहते हैं कि इन ऋषियों को यहां से भगाओ। यह बात ऋषिवर सुन लेते हैं और गुस्सा हो जाते हैं तभी शकुनि उन्हें समझाते हैं कि दुर्योधन तो पांडव भाइयों को याद कर रहा है। यह सुनकर ऋषिवर खुश हो जाते हैं।

द्रौपदी, पांडव भाइयों को भोजन परोस रही होती हैं। वह कहती हैं कि तुम लोगों की ये दशा मुझसे देखी नहीं जाती। इस पर युधिष्ठिर कहते हैं कि अगर ऐसा है तो वापस चली जाओ। द्रौपदी कहती हैं कि जो कुछ भी हुआ उसे सोचकर युधिष्ठिर का क्रोध नजर नहीं आता। यह बात सुनकर युधिष्ठिर, द्रौपदी को समझाते हैं। वह कहते हैं कि अपनी क्रोध की अग्नि को धीमा करो। इस पर भीम का गुस्सा फूट पड़ता है और वह उठकर बाहर चले जाते हैं। अब देखिए आगे...
12:08- वहीं, पांडव भाई आपस में विचार कर रहे हैं कि पांचाली भी भोजन कर चुकी होंगी, ऐसे में भोजन शेष नहीं होगा। ऋषि को नाराज करके भी नहीं वापस भेज सकते। दुर्योधन की चाल बखूबी समझ रहे हैं। चलो घर चलकर पांचाली से बात करते हैं। पांचाली को युधिष्ठर बताते हैं कि 5 ब्राह्मण और ऋषि भोजन करने के लिए आएंगे। वह अभी स्नान करने गए हैं। वहीं, पांचाली देखती हैं तो उन्हें केवल एक चावल का दाना देखकर दुख होता है और वह चिंता में पड़ जाती हैं। कृष्ण से पांचाली प्रार्थना करती हैं और कृष्ण प्रकट हो जाते हैं। कृष्ण भी भोजन करने के लिए कहते हैं। ऐसे में पांचाली कहती हैं कि एक चावल का दाना है इसमें से आधा आप खा लीजिए और आधा संसार को खिला दीजिए।
वहीं, ऋषि स्नान कर रहे होते हैं और भोजन करने के लिए युधिष्ठर और पांचाली के पास जा रहे होते हैं। दूसरी ओर, कृष्ण एक चावल का दाना खाते हैं और कहते हैं कि पेट भर गया है। इतने में पांचों ब्राह्मण और ऋषि का अचानक पेट भर जाता है। ब्राह्मण कहते हैं कि मुंह में खीर का स्वाद है और नींद आ रही है। कृष्ण, युधिष्ठर और पांचाली, पांचों ब्राह्मणों और ऋषि का भोजन के लिए इंतजार कर रहे हैं।
12:05- समय कहते हैं कि पांडवों ने तो वनवास स्वीकार कर लिया। चाहे फिर वह दुर्योधन द्वारा किए कपट की वजह से ही क्यों न चौसर में हारे हों। लेकिन, दुर्योधन वह पेड़ था जो कभी संतुष्ट नहीं होता। ऐसे में वह पांडवों के अपमान पर दोबारा तीर चलाना चाहता था। वहीं, वह यह भी जानता था कि ऋषि को अगर उसने नाराज किया तो ऋषि की जीभ पर रखा श्राप उसे लग जाएगा और नष्ट कर देगा। वहीं, भीम वन में एक आग में जल रहे हैं। गुस्से में लकड़ी काट रहे हैं। वहीं, पांडव भाइयों को वन में ऋषि आते नजर आते हैं। वह कहते हैं कि हम तुम सभी को आशीर्वाद देने आए हैं। हमारे भोजन का आयोजन करो।
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