अमिताभ ने ब्लॉग में लिखा, "रविवार के मायने अब पहले की तरह नहीं रहे.मेरे आने का इंतजार करना.सिक्योरिटी होती और मेरे शुभचिंतकों की चिरिपरिचित चिल्लाने की आवाजें मुझे खींच लाती थी।"
उन्होंने कहा कि प्रशंसकों के खुश चेहरे मोबाइल में रिकॉर्डिंग करने लगते। लोग खुशी से चिल्लाते और कई गिफ्ट और हैंडीक्रॉफ्ट भी दे जाते।
अमिताभ को अपने प्रशंसकों को ऑटोग्राफ देने की और कुछ प्रशसंकों के द्वारा उपहार लाने की भी याद आ रही है।
अमिताभ के घर के बाहर हर रविवार को प्रशसंकों की भीड़ जुटने की शुरुआत करीब 1980 के दशक की शुरुआत में हुई जब एंग्री यंग मैन के रूप में उनका स्टारडम चरम पर था और तब से अमिताभ हर रविवार को बंगले के बाहर खड़े प्रशंसकों को अपनी एक झलक दिखाने जरूर आते रहे हैं।
--आईएएनएस