देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है। दर्शक यह सीरियल काफी पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि चौसर खेलते हुए युधिष्ठर, द्रौपदी को दाव पर लगाते हैं। और इसमें दुर्योधन बाजी जीत लेते हैं। दुर्योधन बाजी चलने से पहले एक शर्त रखते हैं कि अगर वह जीत जाते हैं तो महारानी द्रौपदी को उनका दासी बनना पड़ेगा।
बाजी जीतने के बाद दुर्योधन, द्रौपदी को लाने का आदेश देते हैं। द्वारपाल, द्रौपदी के पास जाते हैं और बताते हैं कि युधिष्ठर अपने राज्य और भाइयों के साथ आपको भी हार गए हैं। द्वारपाल की यह बात सुनकर द्रौपदी काफी दुखी और क्रोधित हो जाती हैं। अब देखिए आगे...
12:36-
12:33- द्रौपदी अपने अपमान की गाथा लेकर पहले भीष्म फिर धृतराष्ट्र और इसके बाद द्रोणाचार्य के पास जाती हैं, लेकिन सभी की नजरें अपमान से नीचे झुक जाती हैं। पांडवों में फूट पड़ता देख शकुनि बहुत प्रसन्न हो रहे हैं।
12:24- भीष्म पितामह की आंखें द्रौपदी को इस हालत में देखकर शर्म से झुक जाती हैं। द्रौपदी कहती हैं कि पितामह आप मुझे इस हालत में देखकर, ऐसे वस्त्रों में देखकर मुझे क्या आशीर्वाद देंगे।
12:21- दुर्योधन, दुशासन से कहते हैं कि द्रौपदी को मेरी जांघ पर बिठा दो। ऐसे में भीम गुस्से में आकर कहते हैं कि मैं तेरी जांघ तोड़ दूंगा अगर तूने ऐसा किया तो।
12:20- द्रौपदी को दुशासन घसीटकर लेकर सभा में आते हैं। और उनके साथ बदत्तमीजी करते हैं। द्रौपदी उनके सामने गिड़गिड़ाती रहती हैं लेकिन दुशासन उनकी एक नहीं सुनते।
12:18- दुर्योधन, द्वारपाल की बात सुनकर क्रोधित होते हैं और वह कहते हैं कि यह सब प्रश्न क्यों उठ रहे हैं जब मैं चौसर का खेल जीता हूं। गुस्से में आकर दुर्योधन, दुशासन को द्रौपदी को लेने के लिए भेजते हैं।
12:16- द्वारपाल, द्रौपदी को दुर्योधन की बात बताते हैं और वह कहती हैं कि मैं केवल अपने से बड़ों का आदर करूंगी। अगर काकाश्री (धृतराष्ट्र) चाहते हैं कि मैं सभा में आऊं तो मैं आऊंगी। द्वारपाल, द्रौपदी की बात सुनकर वापस सभा में आ जाते हैं।
12:10- दुर्योधन सभी पांडवों से अपने मुकुट उतारकर उनके चरणों में रखने की इच्छा जाहिर करते हैं। युधिष्ठर समेत सभी पांडव शर्मिंदा होकर अपने मुकुट उतार देते हैं और दुर्योधन के चरणों में रख देते हैं। मामा शकुनि यह सब देखकर खुश होते हैं। वहीं, द्वारपाल सभा में आते हैं और कहते हैं कि द्रौपदी नहीं आएंगी। दुर्योधन, द्वारपाल से कहते हैं कि द्रौपदी को कहो वह अपना प्रशन यहां सभा में आकर मेरे से करे। द्वारपाल, द्रौपदी को दोबारा लेने के लिए चले जाते हैं।
12:08- भीष्म कहते हैं कि द्रौपदी कुल वधु है और उसका अपमान कुल का अपमान होगा। वहीं, दुर्योधन लड़ते हुए कहते हैं कि द्रौपदी को मैंने जीता है और वह बाकी दासियों के साथ दासी बनकर काम करेंगी।
12:05- मर्यादा के इस पार द्रौपदी के साथ कोई नहीं, और मर्यादा के उस पार बाकी सभी हैं। द्रौपदी इस समय अकेली पड़ गई हैं- समय कहते हैं। शकुनि मामा कहते हैं कि युधिष्ठर आप तो सब कुछ हार बैठे हैं। भाइयों के साथ द्रौपदी को भी। दुर्योधन और शकुनि मामा खुश हो रहे हैं। वहीं, युधिष्ठर दुखी।
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