अक्सर प्रेगनेंसी के बाद वजन बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है,जिसे काम करने के लिए काफी मशकत करनी पड़ती है ,और देखा जाये तो बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं देखरेख के कारण एक्सरसाइज़ या खुद की केयर की तरह ड़याँ नहीं दे पति है साथ ही बच्चे को ब्रेस्टफीड के चलते लिए वे हाई-फैट, हाई-कैलोरी डायट भी लेती हैं जिसके कारण वज़न और अधिक बढ़ने लगता है। पोस्ट-प्रेगनेंसी पीरियड के दौरान बेली फैट की समस्या के कारण महिलाओं की फिगर भी बिगड़ने लगता है,परन्तु संतुलित डायट और योगा की मदद से यह वेट कम करने में काफी सहायता मिलती है । पर्वतासन योग आसन में हमें शरीर की मुद्रा पर्वत की चोटी जैसी बनानी पड़ती है,जो की बहुत ही सरल है, इस पर्वतासन से रीढ़ की हड्डी, कमर और पीठ पर सीधा असर होता है, और बेली फैट कम होने के साथ ही कमर, पीठ और शोल्डर में महसूस होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। पर्वतासन करने के लिए - ज़मीन पर मैट बिछाकर व्रजासन की मुद्रा में बैठ जाये,फिर दोनों हथेलियों को जोड़ते हुए नमस्कार की मुद्रा में रखते हुए धीरे-धीरे दोनों हाथों को अपने चेस्ट तक ले आएं। अब अपनी हथेलियों को आहिस्ता से सिर से ऊपर की तरफ ले जाएं,और हाथों को सीधा रखते हुए ऊपर की ओर खींचने का प्रयास करे, इस दौरान हाथों का ऊपरी हिस्सा कानों के पास सटा हुआ होना चाहिए। इस दौरान एड़ियों को ज़मीन पर टिकाए रखते हुए हिप्स को धीरे-धीरे उठाएं, और धीरे से हाथों को नीचे की और लाएं, हथेलियों को चेस्ट के पास ले आये और पूर्व मुद्रा में आ जाएं, योगासन के दौरान अपनी पीठ को सीधे रखें और अपनी सुविधा के प्रयास करते रहे । पाद प्रसार पश्चिमोत्तनासन योगासन पोस्ट प्रेगनेंसी के फैट डिपॉजिट वाले एरिया, जिनमे पेट और पेल्विक भाग होते है पर प्रभाव करता है,इससे पीठ में दर्द होने की संभावना को भी कम किया जा सकता है ,जो आमतौर पर प्रेगनेंसी के बाद एक्सरसाइज़ करने पर महिलाओं को महसूस होती है। पाद प्रसार पश्चिमोत्तनासन योगासन करने के लिए - आसन के लिए सबसे पहले समस्ती मुद्रा में बैठ जाएं, और पैरों को सीधा रखते हुए धीरे-धीरे उन्हें फैलाएं। सांस अंदर खींचते हुए, दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं,इस दौरान गर्दन सीधी रखें, फिर सांस बाहर निकालते हुए अपने हाथों को पैरों की तरफ ले जाएं और पैर के अंगूठे को हाथों से पकड़ने की कोशिश करें। मुद्रा में रहते हुए ही धड़ से ज़मीन को छूने की कोशिश करते हुए धीरे-धीरे सिर को नीचे ले आएं, जिससे सिर से ज़मीन को छुआ जा सके। फिर, धीरे-धीरे शरीर को पूर्व मुद्रा में ले जाएं।