शिशु को ज्यादा उलटी आने के क्या कारण है?

नवजात शिशु के देखभाल बहुत ही प्यार से और सावधानी से की जाती है। ताकि शिशु को कोई परेशानी नहीं होने पाए। पर कई बार हम शिशु की देखरेख बहुत अच्छे से करते हुए भी यह नहीं समझ पाते की शिशु को कोई परेशानी या कोई समस्या है। शिशु को कई ऐसी प्रॉब्लम हो जाती है की माँ समझ नहीं पाती और खुद भी परेशान रहती है।

शिशु को गैस की परेशानी होना, अपचा की समस्या,पेट में दर्द और उल्टी जैसी कई दिक़्कतें हो जाती है जिसमे से एक दिक्कत शिशु को बार बार उलटी आना है। हम नहीं जान पाते की शिशु बार बार उलटी क्योँ कर रहा है।
आज इस आर्टिकल के माधयम से यही बताने जा रही हूँ की शिशु को बार बार उलटी आने के क्या कारन होते है।?
शिशु को बार बार उल्टी आने के क्या कारण होते है
जर्म्स और बैक्टीरिया
जब भी शिशु को स्तनपान कराने वाली माँ यदि शिशु को दूध पिलाने से पहले अच्छे से अपने स्तन को साफ़ नहीं करती तो उनमे जर्म्स और बैक्टीरिया होने लगते है। और यह जर्म्स और बैक्टीरिया पसीने आने के कारण हो जाते है। या फिर ठीक से अपनी साफ़ सफाई न करने के कारण । जो स्तनपान करवाते समय उनके शिशु के मुँह में चले जाते है और उलटी आने का कारण बनते है।
इसके लिए यह ख़ास धयान रखे की जब भी शिशु को स्तनपान करना हो तो हमेशा अच्छी तरह से साफ करके ही शिशु को दूध पिलाए।
ओवर ईटिंग
क्योंकि शिशु बहुत ही छोटा होता है इसलिए उसका किसी भी कार्य को समय निश्चित नहीं होता। किसी भी समय वह रोने लगता है, किसी भी समय वह सो जाता है। और किसी भी समय वह जागता है। लेकिन जब भी शिशु रोता है तो अक्सर माँ उन्हें स्तनपान कराने लगती है। चाहे उन्होंने थोड़े ही समय पहले शिशु को दूध पिलाया हो।
वह यह नहीं जान पाती की शिशु के रोने का कोई और कारण भी है या नहीं। क्या शिशु सोते हुए डर गया इसलिए रो रहा है या फिर शिशु ने यूरिन पास किया है इस लिए रो रहा है। वह तुरंत ही दूध पिलाने लगतीं है जिसके कारण शिशु का पेट भरे होने के बाद भी दूध पीने से वह उल्टी कर देता है।
तो आपको शिशु के स्तनपान कराते का समय जरूर याद रखना होगा जिससे ओवर ईटिंग के कारण शिशु को बार बार उलटी न हो।
ब्रैस्ट इन्फेक्शन
स्तनपान करने वाली महिलाओं की एक बहुत बड़ी समस्या यह होती है की जब शिशु के दांत निकलने लगते है तब वह चिड़चिड़े हो जाते है। उनके मसूड़े फूलने के कारण, मसूड़ों में दर्द होने के कारण हर चीज़ को जोर से अपने दांतों से काटने की कोशिश करते है।
ऐसे में शिशु स्तनपान करते समय माँ को भी काट लेता है। जिसके कारण महिला हो ज़ख़्म या घाव हो जाते है। पर शिशु इतना छोटा होता है की वह माँ के दूध के सिवा वह कुछ पी नहीं सकता और ऐसे फिर भी माँ को ही दूध पिलाना पड़ता है तो ये ज़ख्म और घाव के इन्फेक्शन से भी शिशु को उल्टी की परेशानी से जूझना पड़ता है।
गैस या बदहजमी की परेशानी
कई बार शिशु को गैस के समस्या हो जाती है और शिशु का पेट फूलने लगता है जिससे वह कुछ भी खाया या पीया हुआ आहार नहीं पचा सकता। और फिर भी उसके ऊपर शिशु को कुछ न कुछ खिलने के प्रयास के कारण शिशु को उलटी हो जाती है।
माँ का खान पान
डिलीवरी के बाद शिशु के 1-2 महीने के होने तक तो वैसे ही बहुत धयान रखना पड़ता है माँ को अपने खान पान का। किन्तु अगर माँ नहीं धयान रखती और कुछ भी शिशु के बारे में बिना सोचे समझे खा लेंती हैं तो यह ठीक नहीं रहता।
यदि ज्यादा मसालेदार भोजन या फिर तेज मिर्च, ज़क फ़ूड का सेवन करती है तो शिशु यह स्तनपान के रूप में प्राप्त किया आहार नहीं पचा पाता और उल्टी की परेशानी से पीड़ित हो जाता है।
इसके लिए कम से कम 5 से 6 माह तक उबला हुआ या कम मसालेदार भोजन का ही सेवन करें।
बोतल और निप्पल की सफाई
कई महिलाओं को अपने शिशु को दूध पिलाने के लिए बोतल का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन बोतल में बार-बार दूध पिलाने से उसमे जर्म्स और बैक्टीरिया पनपने लगते है। जो शिशु की सेहत के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है।
इसके लिए बोतल को हमेशा अच्छी तरह से साफ़ करें। ५ से ७ मिनट के लिए बोतल और निप्पल को गरम पानी में उबाले। और फिर उसे सूखने रख दें। उसके बाद ही उस बोतल का इस्तेमाल करें।
ये थे कुछ कारण जिनसे शिशु को उल्टी होती है। लेकिन शिशु को जब भी कभी पूरे दिन में उल्टी २ - ३ बार भी आये तो आप समय को न ख़राब करते हुए डॉक्टर के पास जल्दी से जल्दी जाये। घरबराय नहीं, डॉक्टर शिशु को अच्छी तरह देख कर आपको सुनिश्चित कर देंगे की क्या करना है और क्या नहीं।

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