पटना - बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को लाए जाने पर आपत्ति जताने के बावजूद नवादा जिले में हिसुआ से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अनिल सिंह के कोटा से अपनी पुत्री को वापस लाने पर प्रदेश की राजनीति में घमासान मच गया है।
बिहार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधानमंडल दल की नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अपने छात्रों को वापस बुला सकती है। सीमा पर जमा हुए उत्तर प्रदेश के मजदूरों को भी बस भेजकर बुला सकती है। गुजरात सरकार बस भेजकर गुजरातियों को वापस बुला सकती है तो बिहार सरकार बिहारी नागरिकों के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकती। मुख्यमंत्री जवाब दें।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा, "बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लॉकडाउन के नियमों और उद्देश्यों का पाठ पढ़ाते हुए कह रहे थे कि उन्हें कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए बसों को अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। यह मर्यादा के विरुद्ध है। वहीं, दूसरी ओर अपने समर्थक विधायक को गोपनीय तरीके से उनकी पुत्री को वापस लाने की अनुमति दे रहे थे। "
श्री यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में ऐसे अनेकों वीआईपी (अति विशिष्ट) और अधिकारियों को पास निर्गत किए गए। बिहार सरकार द्वारा प्रभावशाली लोगों के बच्चों को चुपचाप बिहार में बुलाया गया। जब साधारण छात्रों और आम बिहारवासियों के बच्चों की बात आयी तो मर्यादा और नियमों का हवाला देने लगे। उन्होंने कहा, "हम लगातार सरकार से सवाल कर रहे है क्योंकि हम सत्ता में बैठे लोगों की दोहरी नीति से अच्छी तरह वाकिफ हैं। महामारी और विपदा की घड़ी में भी ये लोग आम और खास का वर्गीकरण कर राजनीति कर रहे है। गरीबों के साथ अन्याय क्यों। मजदूरों के साथ बेरुख़ी क्यों। अब सरकार का असली चेहरा लोगों के सामने आ रहा है।