बच्चों को लगने वाले टीकों का एक तय शेड्यूल होता है. टीकाकरण अगर ठीक समय पर नहीं हो तो माता-पिता का चिंतित होना लाजिमी है. कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन है.
ऐसे में कई लोगों के लिए टीकाकरण करवा पाना मुमकिन नहीं हो पा रहा है. लेकिन इस हालात में भी अभिभावकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है. बच्चों को लगने वाले अधिकतर टीके बाद में भी लगवाए जा सकते हैं. इमरजेंसी स्थिति में टीके में छह महीने का भी अंतराल होने कि सम्भावना है. बस अगली बार जब टीकाकरण के लिए जाएं, तो पिछली बार लगे टीके की जानकारी व बीच में आए अंतराल से चिकित्सक को अवगत जरूर करवाएं.
कितना अंतराल रख सकते हैं?
वैसे तो टीकों को तय शेड्यूल के अनुसार ही लगवाना बेहतर होता है, लेकिन इन दिनों कोरोनावायरस से खुद को व अपने बच्चों को बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसलिए व्यक्तिगत अस्पतालों में लगने वाले टीके लगवाने से बचना चाहिए. इन्हें आप बाद में भी लगवा सकते हैं. सरकारी प्रोग्राम में शामिल टीके लगवाए जा सकते हैं. अस्पताल जाते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. अगर कोई टीका छूट भी जाए, तो बाद में उसे कवर कर सकते हैं. जैसे अगर आपने बच्चे को डेढ़ महीने की आयु में डीपीटी का टीका लगवाया था, लेकिन इस बीच लॉकडाउन की वजह से दूसरा डीपीटी आप नहीं लगवा पाए, तो इसे कुछ दिनों से लेकर महीनों बाद भी लगवा सकते हैं. इससे बच्चे को कोई नुकसान नहीं होगा.
अगर जन्म के समय टीका नहीं लगा हो तो क्या करें?
कुछ टीके बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर लगना जरूरी होते हैं. अगर लॉकडाउन के दौरान कोई बच्चा पैदा हुआ है तो प्रयास करें कि बच्चे को वहीं अस्पताल में ही जन्म के समय ही यह लगवा लें. लेकिन अगर अस्पताल में टीके उपलब्ध न हों या किसी कारण से ये टीके भी न लग पाए तो भी घबराएं नहीं. बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले ये टीके भी बाद में लग सकते हैं. इन टीकों के समय में कितना भी अंतराल होने कि सम्भावना है. बस, छूटना नहीं चाहिए.
बाद में टीकाकरण करवाएं तो क्या ध्यान रखें?
परिस्थितियां सामान्य होने के बाद जब टीकाकरण के लिए जाएं, तो पिछली बार लगवाए हुए टीके की जानकारी चिकित्सक को जरूर देंं. टीकों में बेहद गैप होने की स्थिति में कई बार टीकाकरण का चक्र फिर से प्रारम्भ करना पड़ता है व इसमें भी कोई परेशानी की बात नहीं है. बस, अपने पास उपलब्ध टीकाकरण चार्ट संभालकर रखें.
रोटावायरस सात माह के बाद ना पिलाएं
सात महीने की आयु तक इसके तीन डोज़ होना महत्वपूर्ण है. पहला डोज़ छह सप्ताह, दूसरा 10 हफ्ते व तीसरा 14 हफ्ते की आयु में दिया जाता है. सारे टीकों में रोटावायरस अकेला ऐसा अपवाद है, जिसे सात महीने की आयु के बाद नहीं दिया जा सकता. सात महीने की आयु के बाद देने पर दुष्परिणाम हो सकते हैं. अगर रोटावायरस नहीं लगा है तो चिकित्सक से परामर्श कर लें. कुत्ते के काटने पर भी तुरंत इंजेक्शन लगवाएं.
टीकों का ठीक समय
जन्म के समय बीसीजी, पोलियो और हेपेटाइटिस बी का टीका. छह सप्ताह की आयु में रोटावायरस, पेंटावेलेंट, न्यूमोकोकल व इंजेक्शन पोलियो का टीका. 10 हफ्ते की आयु में पेंटावेलेंट, इंजेक्शन पोलियो व रोटावायरस. 14 हफ्ते की आयु में पेंटावेलेंट, रोटावायरस, न्यूमोकोकल, इंजेक्शन पोलियो का टीका. 9 महीने की आयु में एमआर, ओरल पोलियो व न्यूमोकोकल के टीके. कुछ टीके व्यक्तिगत अस्पतालों में लगवाए जाते हैं. फ्लू के दो टीके छह महीने और सात महीने की आयु में. एक वर्ष की आयु में हेपेटाइटिस ए, 15 महीने की आयु में एमएमआर व चिकनपॉक्स. 18 महीने की आयु में पेंटावेलेंट, न्यूमोकोकल व ओरल पोलियो. पांच वर्ष की आयु में डीपीटी व पोलियो का टीका.