समस्तीपुर, [शंभूनाथ चौधरी]। Coronavirus का खतरा, ऊपर से लॉकडाउन का पहरा। ऐसे में भगवान का ही सहारा। संकल्प और आस्था के साथ हनुमान-काली मंदिर में जब दीपक जलता तो मोहल्लेवासी छत और बालकनी के किनारे खड़े हो जाते। सबके हाथों में दीपक होता। फिर आरती होती। घंटा बजने के साथ सभी प्रणाम करते। इस दौरान फिजिकल डिस्टेंस का पूरा ख्याल रखा जाता। यहां प्रभु ठाकुर मोहल्ले में यह दृश्य प्रतिदिन शाम में दिखता है।
40 वर्ष से सांध्य आरती की परंपरा
रोसड़ा के वार्ड नंबर नौ के प्रभु ठाकुर मोहल्ले में 40 वर्ष पूर्व हनुमान मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। तब से सांध्य आरती की परंपरा है। पहले शाम होते मंदिर के बाहर श्रद्धालु उमड़ पड़ते थे। लेकिन, कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण मंदिर जाने पर पाबंदी लगा दी गई। ऐसे में लोगों को चिंता सताने लगी। तब, मंदिर के सेवक राकेश कुमार के नेतृत्व में परंपरा निर्वहन की चर्चा हुई। यह सुझाव लोगों को पसंद आया। तब से मोहल्लेवासी इसी विधि से पूजा कर रहे हैं।
मोहल्ले के लोग खड़े होते
मंदिर में संध्या आरती प्रारंभ होते ही मोहल्लेवासी अपने-अपने घर की छत के ऊपर, बालकनी या मुख्यद्वार के आगे खड़े हो जाते। फिजिकल डिस्टेंस का ख्याल रखते और भगवान से संपूर्ण विश्व को महामारी से निजात दिलाने की प्रार्थना करते। मोहल्ले के अखिलेश कुमार, मुन्नी देवी, रूपाली कुमारी, रामानंद ठाकुर, ऋषिका राज, सुरेश ठाकुर, अंजुषा कुमारी, कविता कुमारी, चांदनी, ऋचा एवं नीलम कुमारी सहित अन्य हनुमान-काली मंदिर को आस्था का केंद्र बताते हैं। मंदिर में नियमित पूजा-पाठ व आरती करने वाले सेवक राकेश बताते हैं कि आरती के समय मोहल्लेवाले भी अपने-अपने घरों से ही भगवान को आरती दिखाते हुए प्रणाम करते हैं। ईश्वर के प्रति यह आस्था सचमुच अद्भुत और अलौकिक है।