14 साल की उम्र में ही अनाथ हो गए थे अरशद वारसी, घर-घर जाकर बेचते थे लिपस्टिक और नेल पॉलिश

बॉलीवुड में ऐसे कई अभिनेता हैं जिन्हें उनके टैलेंट के हिसाब से काम नहीं मिलता। लेकिन जब भी वो पर्दे पर दिखते हैं धमाल मचा देते हैं। वो अपने किरदार में ऐसी जान डाल देते हैं कि मानो लगता है कि ये रोल इनसे बेहतर और कोई नहीं निभा सकता। ऐसे ही एक कलाकार हैं अरशद वारसी। 19 अप्रैल को अरशद 52वां जन्मदिन मना रहे हैं।

अरशद वारसी ने गरीबी को बेहद करीब से देखा है। जिस उम्र में बच्चे अपने माता-पिता के साए में रहते हैं उस उम्र में अरशद के सिर से ये साया उठ गया। महज 14 साल की उम्र में अरशद ने अपने माता-पिता को खो दिया। माली हालत ठीक न होने की वजह से अरशद ने 10वीं की पढ़ाई छोड़ दी।
मजबूर अरशद जब 17 साल के थे तो घर-घर जाकर लिपस्टिक और नेल पॉलिश बेचा करते थे। इसके बाद उन्होंने फोटो लैब में भी काम किया। काम के दौरान ही अरशद को डांस में दिलचस्पी बढ़ी और उन्हें अकबर सामी के डांस ग्रुप में शामिल होने का ऑफर मिला। साल 1991 में अरशद डांस प्रतियोगिता में मॉडर्न जैज कैटेगरी में चौथे नंबर पर आए।
साल 1992 में डांस वर्ल्ड प्रतियोगिता जो कि लंदन में हो रही थी उसमें अरशद ने हिस्सा लिया। उस वक्त अरशद महज 21 साल के थे। इसके बाद अरशद ने अपना डांस स्टूडियो खोल लिया। अरशद ने साल 1993 में आई फिल्म 'रूप की रानी चोरों का राजा' गाने के टाइटल ट्रैक को कोरियोग्राफ भी किया।
एक्टिंग में डेब्यू से पहले अरशद मुंबई के इंग्लिश थियेटर ग्रुप के साथ जुड़े थे। उन्होंने महेश भट्ट को फिल्म 'काश' में अस्सिट किया था। 1996 में उन्होंने फिल्म तेरे मेरे सपने से फिल्मी पर्दे पर कदम रखा। इसके बाद उन्होंने 'मुन्नाभाई सीरीज', 'हलचल', 'कुछ मीठा हो जाए', 'गोलमाल सीरीज' और 'टोटल धमाल सीरीज' में अपने किरदार लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया।

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