सिवान । कोविड 19 कोरोना की काली छाया भले ही लोगों को अपने आगोश में ले रही हो, लेकिन दूसरी तरफ इसके भय ने लोगों को जीना सिखाने का काम भी कर दिया है। कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को छोड़ दें तो 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 25 से अब तक देश में चल रहे लॉकडाउन के दौरान जिले में सामान्य मौत की दर में काफी कमी आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सदर अस्पताल में अब तक 23 पोस्टमार्टम हुए हैं। जबकि लॉकडाउन के पूर्व एक समय ऐसा था जब सिवान में सड़क दुर्घटनाओं के कारण लोग काल के गाल में समा रहे थे। हालात तो ऐसे थे कि छह माह पूर्व प्रतिदिन जिले में 3 से चार मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो रही थीं। यह आंकड़ा 22 मार्च के बाद पूरी तरह से शून्य हैं। दूसरी ओर लॉकडाउन के कारण जिले में आपराधिक घटनाओं में भी कमी आई है। अपराधी भी कोरोना के डर से अपने अपने ठिकानों में लॉकडाउन हैं। जिन अपराधियों को कानून और पुलिस का डर नहीं था, उन्हें कोरोना ने डरा दिया है। ऐसे में हत्या जैसी वारदातें सामने नहीं आ रही हैं।
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अब तक मात्र 23 का ही पोस्टमार्टम
पीएम हाउस पर जहां प्रतिमाह आने वाले शवों का आंकड़ा 30 से 40 के बीच रहता था,वहीं लॉक डाउन के दौरान अब तक मात्र 23 शव ही आए हैं।
दिनांक मौत
24 मार्च दो
29 मार्च दो
30 मार्च एक
31 मार्च दो
4 अप्रैल एक
5 अप्रैल दो
6 अप्रैल दो
7 अप्रैल एक
8 अप्रैल एक
11 अप्रैल एक
13 अप्रैल दो
14 अप्रैल दो
15 अप्रैल एक
16 अप्रैल दो
17 अप्रैल एक
कहते हैं अधिकारी
लॉकडाउन के दौरान मृत्यु दर में कमी तो आई है। जिले में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या हमेशा अधिक रहती थी लेकिन सड़कों पर वाहन न चलने से उसमें भी गिरावट आई है। अस्पताल में अब तक 23 शव का ही पोस्टमार्टम किया गया है।
एसरारूल हक
सदर अस्पताल प्रबंधक।
Posted By: Jagran
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