लग्न के शुभ मुहूर्त में भी विवाह के पारंपरिक गीत सुनाई नही देंगे। कोरोना ने इस पर पानी फेर दिया। लॉकडाउन के कारण एक ओर जहां छपी हुई शादी कार्ड धरी की धरी रह गई। इसका खामियाजा छपाई करने वाले प्रिंटिंग प्रेस को भी भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि छपी हुई कार्ड को ले जाने से लोग परहेज करने लगे हैं। वहीं अब शादी की तारीख अगले वर्ष या नवंबर-दिसंबर में करने की लोग सोचने लगे हैं। हालांकि लोग पहले सोच रहे थे कि 14 अप्रैल के बाद राहत मिलेगी। लिहाजा शादी की तारीख नही बदले थे। लॉकडाउन की तिथि बढ़ने के साथ ही बिटिया - बहन की शादी को लेकर लोगों की चिता सताने लगी है। बैंड बाजा, हलवाई ,टेंट, वाहन, नाच आदि के संचालक भी परेशान हैं। शिवोंबहार निवासी डॉ. राजनारायण सिंह, नन्दकिशोर शर्मा, बलिहार के भगवान चौधरी, लाला चौधरी, बारून के बिरेन्द्र कुमार, सूर्यपुरा के संजय राम, चवरिया के दुर्गा सिंह आदि ने बताया कि अप्रैल व मई के प्रथम सप्ताह मे अपनी बिटिया व बेटे की शादी का दिन तय किया था, परंतु लॉकडाउन दो के बाद अब तिथि मे बदलाव किया जा रहा है। हालांकि सरकार द्वारा 20 अप्रैल के बाद मिलने वाली राहत पर भी कुछ लोगों की नजर टिकी है, पर लोगों का विश्वास है कि इस लग्न मे शहनाई नहीं बज पाएंगी। बुजुर्ग चन्द्रमा शर्मा, देवकुमार सिंह, आचार्य विजय किशोर तिवारी, मोहन चौबे, शिव कुमार आदि ने बताया कि जब शादी विवाह होते हैं तो नाई, पनिहारिन, हलवाई, कहार, बढई, बैड बाजा, थियेटर, टेंट-पंडाल, रवाईस, शादी कार्ड छपाई वाले, वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी वाले लोगों को रोजगार एवं आमद का जरिया हो जाता है। लेकिन इस बार सबकुछ कोरोना ने लील लिया।
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Posted By: Jagran
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