बखरी, बेगूसराय। कोरोना को लेकर बखरी में चिह्नित कर सील किए गए प्रखंड के चकहमीद गांव में समिति के लोगों ने गरीबों की मदद के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है। गरीबों को भुखमरी से बचाने के लिए यहां बैतुलमाल का गठन कर उन्हें सहायता पहुंचाई जा रही है। बैतुलमाल में अध्यक्ष और सभी सदस्यों के अलावा सक्षम लोगों से दान लेकर धन एकठ्ठा कर रहे हैं। इसके अलावा जकात, सदका तथा मनसेरी (फसल उत्पादन का चालिसवां भाग) की राशि का भी उपयोग किया जा रहा है। चकहमीद के पूर्व मुखिया व वर्तमान में गांव में बनी समिति के अध्यक्ष अब्दुल हलीम ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रशासन ने गांव को सील किया है। साथ ही आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए यहां आंतरिक और बाह्य समिति का गठन किया गया है। समिति के सदस्यों द्वारा दवा, राशन, साग सब्जी आदि की पूर्ति की जा रही है। कितु लॉकडाउन के कारण सभी तरह के रोजगार बंद हैं। भवन निर्माण, दिहाड़ी मजदूरी तथा बीड़ी मजदूरी का काम बंद रहने से दर्जनों परिवारों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गई है। आरंभ में ऐसे परिवार किराना दुकानों से उधार राशन और अन्य सामग्री लेकर अपने पेट की आग को बुझा रहे थे। लेकिन गांव के सील कर दिए जाने से किराना दुकानें भी बंद हो गई। ऐसे में उन निस्सहाय लोगों के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया। कई घरों के चूल्हे ठंडे पड़ गए। सरकार द्वारा घोषित कोई भी राहत इन गरीबों को नहीं मिलने से वे पैसे पैसे के लिए मोहताज हो गए। ऐसे में समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने ऐसे गरीब लोगों की मदद की ठानी और बैतुलमाल का गठन किया। जिसमें सभी ने अपनी अपनी ओर से दान देकर सक्षम लोगों से भी दान की अपील की। गांव के वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य आदि के द्वारा नि:सहाय लोगों की सूची तैयार कराई गई है। उन्हें भी मदद पहूंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस इलाके में करीब नौ सौ की आबादी है। इसमें से कई परिवारों को मदद पहुंचाई जा रही है। ऐसे परिवारों का नाम गुप्त रखा जाता है।
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क्या है बैतुलमाल
वैसी संस्था जिसमें गरीबों की मदद के लिए वस्तुओं एवं सामग्रियों को जमा किया जाता हो। यह संस्था उसी प्रकार काम करती है जिस तरह से सरकार टैक्स जमा करती है। फर्क सिर्फ इतना है कि टैक्स का फायदा देश के सभी अमीर गरीब लोगों को मिलता है। लेकिन शरिया के मुताबिक बैतुलमाल में जमा धन से केवल गरीबों एवं मोहताजों की जरूरतें पूरी की जाती है। इसमें सदका, जकात, दान, मनसेरी अर्थात फसल की उपज का चालीसवां हिस्सा जमा किया जाता है।
Posted By: Jagran
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