सीतामढ़ी। एक तरफ कोरोना वायरस का खौफ गांव-गांव तक फैला है। वही, दूसरी तरफ किसान को इससे अधिक अपनी फसल की चिता सता रही है। मजदूरों की कमी के बीच बुधवार को बेमौसम हुई बरसात से फसलों के नुकसान को देख किसान माथे के बल पड़ गए। गौरतलब है कि सुखाड़ और बाढ़ की मार झेलने वाले यहां के किसानों को इस वार कोरोना वायरस से जैसे संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके बचाव को लेकर सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन ने परेशानी और बढ़ा दी। ़फसल तैयार है और मजदूर नहीं मिल रहे। इन सब के बीच बेमौसम बारिश ने गहरी चिता में डाल दिया है। रामपुर के किसान विजय राय ने बताया कि कोरोना वायरस के डर के कारण तैयार फसल कट नहीं पा रही है क्योंकि मजदूर नहीं मिल रहे हैं। अकेले या दो से तीन लोग मिलकर कैसे कटाई करें सबको अपने-अपने खेत की चिता है। इसी गांव के शिवजी राय बताते है कि बेमौसम बरसात ने वैसे भी काफी नुकसान किया है। सरकार को इसकी मुआवजा देनी चाहिए। बिक्रमपुर निवासी दिलीप महतो बताते है कि एक सप्ताह में गेहूं की फसल नहीं कटी तो खेत में दाने झड़ने की नौबत आ जाएगी। ऐसे में फसल की बर्बादी होने से कोई नहीं बचा सकता। पचासी के महेश लाल कहते है कि दूसरे राज्यों से कई मजदूर आए भी तो उन्हें क्वारंटाइन सेंटर पर रखे जाने के बाद काफी डरे हुए है। कृषि विज्ञान के फसल वैज्ञानिक सच्चिदानंद प्रसाद बताते है कि यह बारिश सिर्फ काट कर खेत मे पड़े गेहूं को नुकसान पहुंचा सकता है। खड़े पेड़ की फसल पर बारिश तत्काल कोई प्रभाव नहीं डाल पाएगा। उन्होंने 20 अप्रैल तक छिटपुट बारिश होने की संभावना व्यक्त की। कहा कि इस बारिश के बाद किसान मूंग व तिल की फसल लगा सकते हैं।
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Posted By: Jagran
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