-कोसी के इलाके में गृहणियां करती हैं बाढ़ पूर्व तैयारी, फैमिली मैनेजमेंट का है बेजोड़ नमूना
-अप्रैल से मई-जून तक फुर्सत के समय में करती हैं अचार, अदौड़ी, तिलौरी, पापड़ आदि तैयार
राजेश कुमार, सुपौल: कोरोना को लेकर जारी लॉकडाउन का उपयोग गृहणियां फैमिली मैनेजमेंट में कर रही हैं। हर साल बारिश के दिनों में बाढ़ या फिर इसकी आशंका को झेलने के लिए तैयार कोसी की गृहणियां इसके लिए इतनी अभ्यस्त हो चुकी हैं कि कोरोना को लेकर वे भयभीत नजर नहीं आ रहीं, बल्कि घरों में बंद रहने का सदुपयोग कर रही हैं। वे फुर्सत के इस समय में अचार, अदौड़ी, तिलौरी, पापड़, आलू के चिप्स आदि तैयार कर रही हैं। इससे जहां लॉकडाउन में सब्जी खरीदने के लिए निकलना नहीं पड़ रहा वहीं बारिश के दिनों में जब सब्जियों की कमी होगी तो ये सामग्रियां उनके विकल्प के रूप में काम आएंगी। इनकी यह तैयारी अप्रैल से शुरू होकर मई-जून तक चलेगी।
कोसी का इलाका होने के कारण यहां बाढ़ की आशंका बनी रहती है। इसकी तैयारी लोग पहले से शुरू कर देते हैं। परिवार चलाने में गृहणियों की अहम भूमिका होती है इसलिए वे अपने हिस्से की जिम्मेदारी बखूबी निभाती हैं। बारिश या बाढ़ के दिनों में सब्जी का संकट नहीं हो इसके लिए अप्रैल से तरह-तरह की तैयारी करती हैं। दुर्भाग्यवश इस साल कोरोना महामारी के रूप में सामने आया है। बचाव के लिए लॉकडाउन लगा है, शारीरिक दूरी बनाए रखने के निर्देश का पालन हो रहा है। ऐसे में गृहणियां इसका अच्छे मौके रूप में उपयोग कर रही हैं। गृहणी चंदा मिश्रा बताती हैं कि कोसी के इलाके की यह परंपरागत व्यवस्था है। बारिश के दिनों में सब्जी की कमी हो जाती है, इसलिए महंगी भी मिलती है। भगवान न करें कहीं बाढ़ आ गई तो मिलती ही नहीं। ऐसे में अभी से तैयार की जा रही यह सामग्री सब्जी के रूप में काम आएंगी। अभी धूप भी तेज रहती है इसलिए इनके सूखने में वक्त भी नहीं लगता है। अब आम के टिकोले भी गिरने लगे हैं। इससे खटाई तैयार की जाएगी। मई से टिकोले के बड़ा होने के बाद अचार तैयार किया जाएगा, जून तक अचार बनाने का काम चलेगा। इस साल लॉकडाउन लगा है इसलिए बाहर निकलना भी नहीं है सो अन्य सालों की अपेक्षा अधिक मात्रा में तैयार कर रही हैं। इससे दो फायदे हो रहे हैं एक तो बारिश के दिनों में ये काम आएंगे ही फिलहाल सब्जी खरीदने के लिए बाहर निकलना भी नहीं पड़ता है। घर के अन्य सदस्य भी घर में ही रहते हैं, वे भी मदद करते हैं। नतीजा है कि समय आराम से कट जाता है।
Posted By: Jagran
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