मुसीबत में सरकारी, संविदा और आउटसोíसंग काम आए एक साथ

बक्सर : सरकारी विभागों में आजकल तीन से चार तरह के लोग काम करते हैं। किसी पर परमानेंट सरकारी होने का लेबल लगा हुआ है तो कोई संविदा पर काम कर रहा है। कोई आउटसोíसंग के माध्यम से अपनी सेवा देता है तो कोई डेली बेसिस पर रोजी-रोटी के लिए काम करता है। आज जब मुसीबत की घड़ी आई है तो क्या सरकारी, क्या संविदा और क्या आउटसोíसंग, सब एक साथ नजर आ रहे हैं।

सरकार ने इनके साथ आजतक भले ही भेदभाव किया है लेकिन ये अपनी सेवा देने में कोई कोताही नहीं कर रहे हैं बल्कि, सबको एक नजर से देख रहे हैं। इनके जज्बे को सलाम करना चाहिए। सरकार को भी इस विषय पर सोचना चाहिए, इस पहलू पर ध्यान देना चाहिए कि मुसीबत की घड़ी में जब सभी एक हैं तो आम दिनों में एक क्यों? नहीं हो सकते। काम जिसको जो मिला है, जब सभी उसे मानवता का धर्म मानकर कर रहे हैं तो फिर सरकारी, संविदा और आउटसोíसंग का भेद क्यों? स्वास्थ्य विभाग को ही लें तो यहां डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक सरकारी और संविदा के रूप में तैनात हैं। मानवता के इस प्लेटफॉर्म पर सभी लोग एकजुट हो गए हैं। कोरोना की इस लड़ाई में कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखाई दे रहा है। अब शासन-प्रशासन को भी चाहिए कि वह इस पर मंथन करे।
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लड़ाई में बड़ी भूमिका निभा रहे सविदा वाले डॉक्टर
चिकित्सकों में जो सरकारी या परमानेंट हैं वे तो कोविड-19 की ड्यूटी में लगे ही हैं, जो संविदा पर हैं, खासकर अरबीएसके के चिकित्सक वे भी कोरोना की इस लड़ाई में बढ़-चढ़कर अपनी जिम्मेवारी निभा रहे हैं। फील्ड की बात करें उसका निर्वाहन ये लोग ही ज्यादा कर रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के स्तर पर गठित चिकित्सकीय टीमों में आरबीएसके के चिकित्सकों की भूमिका अहम है। आउटसोíसंग वाले भी बखूबी निभा रहे जिम्मेवारी
इससे अलग जो आउटसोíसंग के अंतर्गत कार्यरत हैं वे भी अपनी जिम्मेवारी बखूबी निभा रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य समिति से जुड़े लोग एवं विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत प्रबंधक से लेकर विभिन्न जिम्मेवारियां संभाल रहे अन्य लोग भी कोरोना संकट के इस दौर में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहे हैं।
Posted By: Jagran
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