खगड़िया। खगड़िया के तत्कालीन एसपी ने 2018 में खगड़िया को नक्सलमुक्त जिला घोषित कराने व सरकार को रिपोर्ट भेजने में जल्दबाजी कर दी। इसका नतीजा यह हुआ कि इस जिला को नक्सल प्रभावित जिलों जैसी सुविधा नहीं मिल रही है। ऑपरेशन एएसपी का पद भी यहां से समाप्त हो गया। अटपटा भूगोल व हजारों एकड़ फैली जमीन पर कई बार नक्सलियों से पुलिस की मुठभेड़ हो चुकी है।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के अनुज के चातर स्थित चीमनी को नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़ा दिया था। दो दर्जन मामले अब भी नक्सली से संबंधी न्यायालय में लंबित हैं। ऐसे में तत्कालीन एसपी द्वारा खगड़िया जिला को नक्सलमुक्त जैसी रिपोर्ट भेजना जिलेवासियों के लिए न्याय संगत नहीं था। सहरसा व खगड़िया पुलिस भी मान रही है कि जहां रामानंद की हत्या हुई वह पूरी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। 2009 में अमौसी नरसंहार के बाद तत्कालीन एसपी अनसूईयारण सिंह साहु ने सरकार को जो रिपोर्ट भेजी थी उसमें 104 गांव को नक्सल प्रभावित बताया गया था। उस रिपोर्ट में अटपटा भूगोल व अशिक्षा को नक्सल प्रभाव फैलने का मुख्य कारण माना गया था। घटनाओं पर विराम लगाने के लिए उस समय के मुंगेर डीआइजी अमित कुमार द्वारा कई जगहों पर जल थाना स्थापित करने को लेकर सरकार को रिपोर्ट भेजी गई थी। अमौसी नरसंहार के बाद से ही बहादुरपुर, पीपरपांती, मोहराघाट जैसे जगहों पर पुलिस पिकेट की स्थापना की गई। ऐसे में तत्कालीन एसपी द्वारा किस आधार पर नक्सलमुक्त जिला से संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी गई, यह एक बड़ा सवाल है। खगड़िया एसपी मीनू कुमारी ने बताया कि अप्रैल 2018 से यह जिला नक्सलमुक्त जिला घोषित किया गया। अब कब सरकार को रिपोर्ट भेजी गई, यह पता नहीं है।
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Posted By: Jagran
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