-शब -ए बरात आज, गुनाहों से निजात की है रात
जागरण संवाददाता, छपरा :
शब -ए-बारात आज है। इसमें मुसलमान अपने पूर्वजों के कब्र पर फातिहा पढ़ते हैं। गुनाहों की माफी मांगते हैं। इसमें बंदों पर खास रहमतें बरसती हैं। दुआएं कबूल होती हैं। लेकिन इस समय देश में लॉकडाउन लगा है। मौलाना और इमाम ने कब्रिस्तान में नहीं जाने की अपील की है। सभी ने शब-ए बारात की इबादत घर में ही करने की अपील की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:- फोटो 8 सीपीआर 31
इस्लामी साल के आठवें महीने शाबान के बारे में हदीस में आया है कि यह खुदा का महीना है। इसी महीने की 15 वीं की रात यानी शबे बरात में मुसलमान अपने पूर्वजों के कब्रों पर जाकर फातिहा पढ़ते और दुआएं मांगते हैं। वर्तमान समय में देश में कोरोना महामारी फैली हुई। जिसमें सामाजिक दूरी ही इसका बेहतर उपचार है। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि कब्रिस्तान व मस्जिदों में बिल्कुल भीड़ ना लगाएं। घर में ही इबादत करें।
हाफिज साहेब रजा खान छपरवी
अध्यक्ष,सुन्नी एकेडमी फोटो 9 सीपीआर 29
हदीसे पाक में शबे बरात की बहुत फ•ाीलत बताई गई है। इस रात में जो भी बन्दा सच्चे दिल से अल्लाह पाक से जो भी नेक मुरादें मांगता है पूरी होती है। इस रात में चाहिए कि गुनाहों से सच्ची तौबा कर के नेक रास्ते पर आगे बढ़े।
डॉ. जौहर शफियाबादी
सज्जादानशीन ़खाऩकाह जौहरिया फोटो 9 सीपीआर 28
शबे बरात वह बरकत वाली रात है जिसमें अल्लाह के बंदों पर खास रहमतें उतरती है और इस रात में दुआएं ़कुबूल होती हैं। ऐसे में घर में ही शब ए बरात मनाएं। चाहिए कि लोग भारत की तरक्की और खुशहाली की दुआ करें।
मुफ्ती शमशीर मिस्बाही
अध्यक्ष, सारण मु़फ्ती कॉउंसिल फोटो 9 सीपीआर 32
शब का मतलब होता है रात और बरात का माना छुटकारा यानी अपने गुनाहों से छुटकारा। ये खास रात है। इस रात्रि में नौजवान विशेष तौर पर स्टंटबाजी से बचे और घरों में ही इबादत करें। भारत का वकार पूरी दुनिया में बुलंद हो।
मौलाना साजिद र•ा मिस्बाही
अध्यक्ष
इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन फोटो 9 सीपीआर 30
शबे बरात दो शब्दों से बना है जिसका अर्थ है कि मोक्ष की रात या पापों की माफी,अल्लाह इस रात में अपने सेवकों को अपना विशेष प्रकाश देता है। इस साल, मुसलमानों से अनुरोध किया जाता है कि वे अपने घर में रहकर अच्छी रात गु•ारें।
हा़िफ•ा आफताब र•ावी
अध्यक्ष सारण इमाम कॉउंसिल फोटो 9 सीपीआर 33
अपने घरों में परिवार के साथ इबादत व तिलावत करें। मुस्लिम समुदाय पूरी तरह से लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन करते हुए शबे बरात मनाएं। क्योंकि इस्लाम में स्वास्थ्य की अहमियत हैं। उसके साथ ही मुसलमान कोरोना से निजात के लिए विशेष दुआ करें।
हाफिज जाकिर हुसैन
मौला मस्जिद