आईएएनएस का तब्लीगी जमात पर पलटवार

नई दिल्ली, 8 अप्रैल | भारत की सबसे बड़ी स्वतंत्र समाचार एजेंसी इंडो-एशियन न्यूज सर्विस ने तब्लीगी जमात के एक सदस्य को कानूनी नोटिस भेजा है। इस सदस्य ने आईएएनएस के कुछ मीडिया ग्राहकों को इस्लामिक मिशनरियों की संदिग्ध पृष्ठभूमि पर आईएएनएस की एक विशेष रिपोर्ट को अपने डिजिटल संस्करणों पर चलाने को लेकर परेशान करने और डराने का आपराधिक प्रयास किया था।

जमात के इस सदस्य के आरोपों पर पलटवार करते हुए, आईएएनएस ने तर्क दिया कि उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से कई प्रतिष्ठित समाचारों और सुरक्षा मामलों की वेबसाइटों पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित थी, जिस पर अब तक जमात सहित किसी ने भी सवाल नहीं उठाया था।
आईएएनएस ने जमात के सदस्य से एक स्पष्टीकरण मांगा है कि जमात के सदस्य या जमात ने पिछले दो दशकों में इस तरह की रिपोटरें के प्रकाशकों और लेखकों के खिलाफ विश्वसनीयता को चुनौती देने और सार्वजनिक डोमेन से इन रिपोटरें को हटाने की मांग को लेकर क्या कदम उठाए हैं, जब उसे आशंका थी कि जमात के कुकृत्यों को बताने वाली इस तरह की खबरें भारत में तब्लीगी जमात के खिलाफ दुश्मनी पैदा करेंगी, जिससे जमात के सभी सदस्यों पर हिंसा का खतरा हो सकता है?
आईएएनएस ने जमात के सदस्य से पूछा है कि उसने ऐसा कोई कदम उठाने के बजाए आईएएनएस के ग्राहकों को क्यों निशाना बनाने के लिए चुना। आईएएनएस ने जमात के सदस्य को मीडिया संस्थाओं के खिलाफ कानूनी नोटिस को तुरंत वापस लेने के लिए कहा है।
भारत में कोरोनवायरस के 'सबसे बड़ा ज्ञात वायरल वेक्टर' बनने के बाद तब्लीगी जमात की प्रतिष्ठा कई घोटालों में घिर गई है। इसका प्रमुख मौलाना मुहम्मद साद कांधलवी फरार है, और संगठन के एक स्वयंभू सदस्य बेंगलुरू निवासी हफीजुल्ला खान के वकील ने आईएएनएस के ग्राहकों को एक कानूनी नोटिस भेजा था। उस लेख में प्रख्यात सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा लिखे गए और सार्वजनिक डोमेन में पहले से ही उपलब्ध दस्तावेजों-साक्ष्यों का उपयोग किया गया है, जो जमात को वैश्विक संदिग्धों से जोड़ता है।
आईएएनएस ने कहा है कि सबसे पहले प्रचारकों की यह मण्डली, केंद्र और राज्य सरकार के कानूनों और दोनों के द्वारा जारी की गई सलाह की पूरी अवहेलना कर जानबूझकर आयोजित की गई थी। इसके कारण भारत में सिर्फ चार दिनों में कोविड-19 के मामले दोगुने हुए। दूसरी बात यह है कि पिछले हफ्ते भर में जमात सदस्यों ने देश भर में कई बार अभद्र काम किया है।
बेंगलुरू के टस्कर कस्बे की एक बड़ी लॉ फर्म ने खान की ओर से जाने-माने मीडिया संस्थानों, उनके प्रकाशकों, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और प्रधान संपादक को नोटिस भेजा। आईएएनएस के इन मीडिया कस्टमर ने आईएएनएस की विशेष रिपोर्ट "तब्लीगी जमात के आतंकी संगठनों से संबंध" के डिजिटल संस्करण का उपयोग अपनी खबरों में किया था।
खान ने अपने नोटिस में तब्लीगी जमात की प्रतिष्ठा को "नुकसान" पहुंचाने के लिए बनाई गई इस रिपोर्ट को "अपमानजनक" कहा और इसे अपने सदस्यों के लिए "हिंसा के जोखिम में डालने" और "दुश्मनी और नफरत" को बढ़ावा देने वाली रिपोर्ट कहा। इससे खान को हुई "भयानक मानसिक पीड़ा" के लिए एक करोड़ रुपये और माफी की मांग की।
तब्लीगी सदस्य ने इन मीडिया संस्थाओं के खिलाफ आपराधिक मानहानि के लिए एक अलग आपराधिक मामला दर्ज करने की धमकी दी।
जबावी नोटिस में आईएएनएस ने कहा है कि खान ने अपने उलटे और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए कानून की उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का प्रयास किया है। आईएएनएस ने देश भर में प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई और जमात द्वारा किए गए गलत कार्यो और गैरकानूनी कामों की रिपोटिर्ंग की है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों और स्थानीय पुलिस ने पिछले कुछ हफ्तों में जमात द्वारा किए गए गंभीर उल्लंघन को लेकर कई मामले दर्ज किए हैं।
जबकि मौलाना साद और संगठन के अन्य सदस्यों के खिलाफ दिल्ली में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। मुंबई में कानूनों का उल्लंघन करने के लिए संगठन के 150 सदस्यों के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई है।
यूपी में, पुलिस ने नर्सों के साथ कथित तौर "अनुचित व्यवहार" के लिए कई एफआईआर दर्ज किए।
यहां तक कि प्रयागराज निवासी उस व्यक्ति की हत्या के मामले में भी जमात एक कथित संदिग्ध है, जिसे कथित तौर पर इसलिए मार दिया गया कि उसने भारत में कोरोनोवायरस संक्रमण फैलाने में संगठन की भूमिका को लेकर उसकी आलोचना की थी।

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