'कोरोना' से जुड़े लिंक पर बिहार पुलिस की नजर, पैसे दान करने से पहले एकबार जरूर कर ले जांच

प्रशांत कुमार, पटना। आप कहीं कोरोना के चक्कर में न पड़ जाइएगा। जहां एक ओर दुनियाभर में 'कोरोना वायरस' से लड़ने के उपाय ढूंढे जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ साइबर अपराधी खुद को क्वारंटाइन कर लोगों के बैंक अकाउंट खाली करने में सक्रिय हैं। 'कोरोना' नाम से गूगल पे, फोन पे जैसे यूआइपी आइडी पर कई तरह के लिंक जुड़ गए हैं, जिनपर दान देने से पहले उनकी जांच जरूरी है। दूसरे राज्यों में इस तरह के मामले सामने आने के बाद बिहार पुलिस भी जालसाजी रोकने के लिए ऐसे लिंक पर नजर रख रही है।

राजन ने कहा कि हमारी टीम फर्जी लिंक को निष्क्रिय करने में लगी है, ताकि लोग जालसाजों के झांसे में न आ सकें। इस तरह के लिंक फेसबुक और अन्य प्रमुख साइट पर भी दिख जाएंगे। उनपर क्लिक करने की भी जरूरत नहीं है, अन्यथा निजी जानकारियां जालसाजों तक पहुंच जाएंगी। जालसाज के निशाने पर वे लोग हैं, जो कोरोना वायरस से संबंधित इलाज, परीक्षण, टीके, दवाई के बारे में इंटरनेट पर जानकारी खोजते हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखाअधिकारी ने पटना पुलिस को जानकारी दी कि लॉकडाउन की अवधि में सभी तरह की किस्त जमा करने को लेकर आरबीआइ ने गाइडलाइन जारी की है। उपभोक्ताओं को तीन माह तक कोई किस्त जमा नहीं करना है। इसका फायदा उठाकर जालसाज उपभोक्ताओं को कॉल कर रहे हैं। एसबीआई गांधी मैदान की मुख्य शाखा के पूर्व सहायक महाप्रबंधक मनोज कुमार ने कहा कि किस्त जमा करने के नाम पर एसएमएस द्वारा जालसाज ओटीपी भेज सकते हैं। फ्री रिचार्ज करने का भी वे लालच दे रहे हैं। ऐसे किसी भी लिंक पर लोगों को ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
- रुपये ट्रांसफर करने से पहले लिंक की अच्छी तरह पहचान कर लें।
- किसी भी ई-कॉमर्स साइट पर कार्ड की डिटेल कभी सेव न करें।
- कोरोना नाम से आए अनचाहे व अनजाने ई-मेल का रिप्लाई न करें।
- कोरोना से संबंधित खबर को केवल विश्वसनीय लिंक पर क्लिक करें।
- साइबर क्राइम होने पर पुलिस को अविलंब संपर्क करें।

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