आपके लिए खतरा मोल रहे बैंककर्मी, इसलिए आप भी करिए उनकी चिता

सीतामढ़ी। पुलिस, डॉक्टर और सफाई कर्मचारियों की तरह एक वर्ग और भी है, जो इन दिनों लगातार काम में जुटा है। ये हैं बैंक कर्मचारी। जो वर्क फ्रॉम होम की सुविधा नहीं ले रहते। अपनी सुरक्षा के उपाय इन्होंने खुद ही ईजाद किए हैं। कहीं काउंटर के आगे डोरी बांधी गई है तो कहीं घेरा बना लिए हैं, बावजूद खतरा कम नहीं है और उससे जूझते हुए ग्राहकों को सेवा दे रहे हैं। एक ताली इनके लिए भी बजनी चाहिए। ये भी हमारे सच्चे योद्धा हैं। देश भर में फैली कोरोना की महामारी के बीच नोटों के लेन-देन से भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। कोरोना के खतरे से जूझते हुए अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं कर रहे हैं। ग्राहकों से लेनदेन के लिए कैश काउंटर पर बैठने वाले कर्मचारी सहमे हुए जरूर हैं मगर कर्तव्यों के पालन में कोई कोताही नहीं करते। नोटों में इंफेक्शन रहने की संभावना के मद्देनजर अपनी ओर से एहतियात बरतते हैं। बार-बार हाथ धोने के साथ ही अपने काउंटर, दराज, कंप्यूटर, की-बोर्ड, माउस, मोबाइल को भी लगातार सैनिटाइज करते रहते हैं। खतरा मोलकर भी हम जरूरतमंदों के चेहरे पर बिखेरते मुस्कान शहर के मेहसौल चौक स्थित सिडिकेट बैंक प्रबंधक अंशुल परिहार बताते हैं कि जब पूरा देश आपदा में घर के अंदर है तब उनकी सहायता के लिए काम करना हम सबके लिए सच में अपने आप को गौरवान्वित करने जैसा है। कोरोना संक्रमण से बचाव हमारे लिए और भी अधिक चुनौती भरा है। शाखा में प्रवेश करने वालों से मास्क लगाकर आने की अपील की जा रही है। 4 अप्रैल को लीड बैंक मैनेजर को पत्र लिखा गया कि सभी कर्मियों व ग्राहकों के लिए मास्क व सैनिटाइजर की व्यवस्था की मांग की गई है। पर अभी तक उस पर हमें कोई जवाब नहीं मिला। निजी तौर पर बैंक को तीन बार डिटॉल तथा अन्य पदार्थो से सैनिटाइज किया जाता है। ग्राहकों व कर्मियों के बीच नियमित दूरी बनाने को ले निर्देश दिए जाते हैं। काउंटर के सामने रस्सी भी बंधी गई है। ताकि, ग्राहक नजदीक न आ सकें। कर्तव्य के आगे सुरक्षा की चिता किसे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, सीतामढ़ी ब्रांच के पदाधिकारी विनोद ठाकुर बताते हैं कि कोरोना से बचाव बैंकर्मियों के के लिए भी काफी चुनौती भरा है। बैंक में काफी भीड़ उमड़ रही है। उससे निपटने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ रही है। ऐसे में फिजिकल डिस्टेंस का पालन नहीं हो पाता है। बैंककर्मी चाहकर भी इसको सख्ती से पालन नहीं कर सकते। कारण यह भी कि अधिकतर ग्राहक गांव-देहात के और कम पढ़े-लिखे होते हैं। उन्हें समझा पाना मुश्किल होता है। उनसे पैसे लेकर गिनना, उनके पासबुक चेक करना, उसको अपडेट कराना, पैसों का लेन-देन करना संक्रमण को दावत देने के समान है। बावजूद, हमें ये सब करना पड़ता है। क्योंकि, हम उनके काम नहीं आएंगे तो उनकी जरूरत के लिए पैसे का लेन-देन नहीं हो पाएगा। यहीं बात इस बैंक की कृति श्रीवास्तव, रवींद्र भगत, सुजीत कुमार, शाहिद अख्तर भी फरमाते हैं। फिजिकल डिस्टेंस के लिए बैंक में डोरी व सेफ्टी के तमाम उपायों के बावजूद इनके लिए खतरा कम नहीं है।

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